तहसीलदार, RI, पटवारियों की तिकड़ी से मुक्ति दिलाएगी कलेक्टर की यह पहल

इंदौर कलेक्टोरेट में राजस्व कामों में होने वाली परेशानियों से निपटने के लिए कलेक्टर ने एक नई पहल शुरू की है। 'सुशासन संवाद कक्ष' के माध्यम से अब नागरिकों से सीधे संवाद कर उनके राजस्व मामलों का समाधान किया जाएगा।

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Sanjay gupta
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INDORE. इंदौर कलेक्टोरेट में राजस्व का काम हो और परेशान नहीं होना हो, बिना सेवा शुल्क के यह काम आसानी से हो जाए, यह सपना ही है। नेता, मंत्री और यहां तक मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इनके कामों पर नियंत्रण की बात कह चुके हैं। अब राजस्व कामों में तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक यानी आरआई और पटवारी की तिकड़ी के जाल से मुक्ति के लिए इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह ने नई पहल करते हुए आदेश जारी किए हैं।

यह की गई अनूठी पहल

कलेक्टर आशीष सिंह ने राजस्व प्रकरणों के निराकरण के संबंध में आवेदकों से सीधे संपर्क के लिए अभिनव पहल करते हुए कलेक्टोरेट में सुशासन संवाद कक्ष की स्थापना की है। इस कक्ष के माध्यम से नामांतरण, बंटवारा और सीमांकन संबंधी प्रकरणों के निराकरण के लिए आवेदन करने वाले आवेदकों से सीधा संवाद कर उनसे कठिनाइयों और निराकरण के संबंध में जानकारी फोन कर प्राप्त की जाएगी और समय सीमा में आवेदन पत्रों का निराकरण सुनिश्चित किया जाएगा।

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एक फोन पर खुल जाएगी तिकड़ी की पोल

कलेक्टर ने बताया कि विभिन्न राजस्व प्रकरणों के निराकरण के दौरान आवेदकों के फोन नंबर उपलब्ध रहते हैं। इन नंबरों पर प्रशासन द्वारा आवश्यक सूचना भी जाती है। अब इनका और बेहतर उपयोग करते हुए इनसे राजस्व प्रकरणों के निराकरण के उपरांत फीडबैक भी लिया जाएगा।

सुशासन संवाद कक्ष के प्रभारी अधिकारी जिला प्रबंधक लोक सेवा अमोघ श्रीवास्तव रहेंगे। उनकी सहायता के लिए अधिनस्थ अमले को नियुक्त किया गया है। संबंधित अधिकारी और कर्मचारी कार्यालयीन समय में भूमि स्वामी/कृषकों से दूरभाष के माध्यम से संपर्क कर वस्तुस्थिति की जानकारी लेंगे। जिसे संकलित करने के लिए पंजी का संधारण करेंगे। अद्यतन जानकारी से प्रतिदिन प्रभारी अधिकारी भू-अभिलेख के साथ ही कलेक्टर को भी अवगत कराएंगें।

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आवेदकों से लेंगे यह फीडबैक

नामांतरण, बंटवारा और सीमांकन के लिए आवेदन करने वाले आवेदकों से फोन कर पूछा जाएगा कि उन्होंने किस माध्यम से आवेदन किया है, आवेदन कहां किया गया, आवेदन करने के पश्चात किस कर्मचारी से उनके द्वारा संपर्क किया गया। यह भी पूछा जाएगा कि आवेदन जमा करने के बाद अलग से अवांछित मांग तो नहीं की गई, प्रकरण में कोई विवाद है या नहीं है। आवेदन स्वीकार किया गया या अस्वीकार, निराकरण के पश्चात सत्य प्रतिलिपि दी गई है या नहीं, खसरे में अमल हो गया है या नहीं, निराकरण में कितना समय लगा, संबंधित कर्मचारी-अधिकारी का व्यवहार कैसा था, अन्य कोई सुझाव या समस्या तथा संतुष्टि कैसी रही आदि जानकारी प्राप्त की जाएगी।

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