महापौर की वकालत BJP विधायक भीमावद के आई काम, हुकुम सिंह कराड़ा की याचिका खारिज

मध्‍य प्रदेश की शाजापुर सीट पर हुए चुनाव को लेकर कांग्रेस प्रत्याशी हुकुमसिंह कराड़ा द्वारा दायर की गई याचिका को इंदौर हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। कांग्रेस द्वारा लगाए गए आरोपों पर हाईकोर्ट ने कोई साक्ष्य न मिलने के कारण याचिका को खारिज कर दिया।

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Sanjay gupta
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Indore HighCourt shajapur election Hukum Singh Karada petition rejected 
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INDORE. शाजापुर विधानसभा सीट को लेकर इंदौर हाईकोर्ट में लगी इलेक्शन पिटीशन मामले में बीजेपी विधायक अरूण भीमावद (BJP MLA Arun Bhimawad) के लिए वकील बने महापौर पुष्यमित्र भार्गव (Mayor Pushyamitra Bhargav) की वकालत काम आ गई। इस मामले में कांग्रेस प्रत्याशी हुकुम सिंह कराड़ा (Hukum Singh Karada) की चुनाव याचिका हाईकोर्ट इंदौर ने खारिज कर दी। इस मामले में 12 नवंबर को तीन घंटे तक सुनवाई हुई थी। इसके बाद आदेश सोमवार (17 फरवरी) को जारी हुआ।

इस आधार पर हुई खारिज

हाईकोर्ट जस्टिस प्रणय वर्मा ने फैसले में दोनों पक्ष सुनने के बाद माना कि कराड़ा की याचिका तथ्यात्मक नहीं है और पोस्टल बैलेट वोट की गिनती में भी कोई गड़बड़ी नहीं है। याचिकाकर्ता द्वारा जो मुद्दे उठाए गए हैं, इसके लिए कोई भौतिक साक्ष्य नहीं है, यह उस तरह के मुद्दे जो लगभग हर याचिका में उठाए जाते हैं और कॉपी-पेस्ट की तरह है। दलीलें अस्पष्ट और बिना साक्ष्य के हैं।

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महापौर ने यह तर्क रखे थे सुनवाई में

सुनवाई के दौरान अधिवक्ता बने महापौर भार्गव ने कहा था कि- लोकप्रतिनिधित्व एक्ट के नियम में सभी केस की जानकारी देना जरूरी नहीं है, एक साल से अधिक की सजा होना और अन्य नियम है इसके तहत ही जानकारी देना अनिवार्य है। वहीं 158 पोस्टल बैलेट को लेकर भी तर्क रखे कि इनके एजेंट द्वारा सही तरह से आपत्ति नहीं ली गई है। यह याचिका चलने योग्य ही नहीं है। एक वोट से हुई हार-जीत के सुप्रीम कोर्ट के एक केस को भी उन्होंने पेश किया।

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28 वोट से हुई थी हार-जीत

शाजापुर विधानसभा चुनाव दिसंबर 2023 में कांग्रेस प्रत्याशी कराड़ा की 28 वोट से हार हुई और बीजेपी के भीमावद चुनाव जीत गए। इसके बाद कराड़ा ने याचिका लगाई और इसमें भीमावद द्वारा नामाकंन पत्र में पूरी जानकारी नहीं देने और साथ ही चुनाव अधिकारी द्वारा पोस्टल बैलेट की गिनती नहीं करने का मुद्दा उठाया। इनका कहना था कि 158 पोस्टल बैलेट निरस्त किए गए, इनकी डिटेल जानकारी नहीं दी गई, यदि यह गिने जाते तो जीत होती, क्योंकि ईवीएम में भी वोट की गिनती में हम (कांग्रेस प्रत्याशी) जीते थे।

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अधिवक्ता आशीष श्रोती ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस पद की ली शपथ

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