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Indore News. इंदौर कलेक्टर शिवम वर्मा (Shivam Verma ias) ने जमीनों की हेराफेरी रोकने का काम तेज कर दिया है। इस मामले में पहली बड़ी कार्रवाई करते हुए कलेक्टर ने क्रिश्चियन कॉलेज में होने वाले खेल पर लगाम लगा दी है।
इस जमीन की कीमत 500 करोड़ से भी ज्यादा है और यहां करोड़ों का खेल जमाया जा रहा था। साथ ही अब कॉलेज से जमीन वापस लेने की भी तैयारी हो रही है। इसके लिए कलेक्टर कोर्ट में प्रकरण दर्ज किया गया है।
यह वही कॉलेज है जहां से प्रसिद्ध गायक किशोर कुमार पढ़े हुए हैं और इंदौर व मप्र की कई हस्तियों ने शिक्षा हासिल की है।
क्या था कॉलेज का खेल
कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. अमित डेविड इंदौर के कस्बा सर्वे नंबर 407/1669/3 कुल 68.303 हेक्टेयर में से 1.702 हेक्टेयर पर बने क्रिश्चियन कॉलेज की भूमि पर लंबे समय से नक्शा पास कराने में जुटे हुए हैं।
यह नक्शा यहां पर व्यावसायिक ऑफिस, दुकान बनाने का है। जमीन की कीमत के लिहाज से यह खेल 50 करोड़ से अधिक का था।
आसान भाषा में समझें तो इंदौर के क्रिश्चियन कॉलेज की 500 करोड़ की जमीन पर नक्शा बनाकर दुकान बनाने का खेल 50 करोड़ से ज्यादा का था
कलेक्टर शिवम वर्मा ने ऐसे रोका खेल
क्रिश्चियन कॉलेज की यह फाइल लंबे समय से कलेक्ट्रेट के गलियारों में एसडीएम, तहसीलदार से लेकर अलग-अलग अधिकारियों के पास दौड़ रही है। उधर प्रिंसिपल डेविड ने इसके नक्शे के लिए टीएंडसीपी में फाइल लगा दी।
आखिरकार इसमें कलेक्टर शिवम वर्मा ने एसडीएम जूनी और तहसीलदार की टीम बनाकर जमीन की जांच कराई और रिपोर्ट ली।
इस जांच के बाद अब कलेक्टर ने टीएंडसीपी को पत्र लिख दिया है। इसमें इस जमीन पर किसी भी तरह की मंजूरी देने पर रोक लगा दी है।
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कलेक्टर बोले जमीन सरकारी मानी
कलेक्टर ने जांच रिपोर्ट के आधार पर पाया कि दस्तावेज, दानपत्र, हिस्ट्री ऑफ यूएनसीआई आदि में है कि यह भूमि महाराजा होलकर द्वारा 1 दिसंबर 1887 को कुछ शर्तों के साथ बिना रेंट अनुदान के दी गई थी।
शर्तों के तहत भूमि उपयोग केवल विद्यालय व महिला अस्पताल के लिए किए जाने का प्रावधान था। जब तक यह उपयोग होगा मिशन द्वारा उपयोग किया जाता रहेगा और समाप्त होने पर भूमि वापस महाराजा या उसके उत्तराधिकारी द्वारा ली जा सकेगी। कलेक्टर की जांच में आया कि यहां महिला अस्पताल नहीं है और कॉलेज भी समाप्ति की ओर है। ऐसे में संस्था का मूल उद्देश्य खत्म हो चुका है।
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अब जमीन भी वापस लेंगे
कलेक्टर ने पत्र में ही लिखा है कि महाराजा के उत्तराधिकार के तौर पर अब मप्र शासन है। ऐसे में जमीन शासन की होकर शासकीय है। इसलिए प्रोफेशनल ऑफिसेज उपयोग के लिए किसी प्रकार की नक्शा मंजूरी नहीं दी जाए। साथ ही जमीन वापस लेने के लिए प्रकरण चल रहा है।
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