इंदौर संभागायुक्त ने की कांग्रेस पार्षद अनवर कादरी की पार्षदी खत्म, 5 साल चुनाव भी नहीं लड़ पाएगा

लव जिहाद के आरोप में कांग्रेस पार्षद अनवर कादरी की पार्षदी खत्म कर दी गई है। संभागायुक्त डॉ. सुदाम खाड़े ने यह आदेश जारी किया है। इस वजह से वार्ड 58 का पार्षद पद खाली हो गया है। कादरी पांच साल तक चुनाव नहीं लड़ सकेंगे।

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Sanjay Gupta
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Anwar Qadri
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Indore. लव जिहाद के लिए फंडिंग करने के आरोपी कांग्रेस पार्षद अनवर कादरी की पार्षदी खत्म हो गई। इस मामले में संभागायुक्त डॉ. सुदाम खाड़े ने आखिरकार औपचारिक आदेश जारी कर दिया। ऐसा उसकी सुनवाई के सारे अवसर खत्म होने के बाद किया गया है। अब कादरी पांच साल तक चुनाव भी नहीं लड़ सकेगा। इस तरह वार्ड 58 पार्षद पद खाली हो गया है। कादरी अभी जेल में हैं। कादरी नियमानुसार 30 दिन के भीतर राज्य शासन को अपील कर सकेंगे। 

नगर निगम भी कर चुका प्रस्ताव पास

इससे पहले नौ अक्टूबर को नगर निगम परिषद ने भी कादरी को दो तिहाई बहुमत से उसे पद से हटाने का प्रस्ताव पास कर दिया था। यह प्रस्ताव भी शासन को भेजा गया था। परिषद में मप्र नगर पालिक एक्ट की धारा के तहत कादरी को हटाने का प्रस्ताव पास हुआ था। 

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संभागायुक्त ने अवसर देकर मांगा था जवाब

कादरी के लव जिहाद को लेकर फंडिंग के आरोप और केस होने के बाद जून में महापौर ने इस संबंध में संभागायुक्त को पत्र लिखा था। इसके बाद तत्कालीन संभागायुक्त दीपक सिंह ने नोटिस जारी कर कादरी से जवाब मांगा था।

उनके ट्रांसफर के बाद संभागायुक्त डॉ. सुदाम खाड़े ने भी नोटिस देकर जवाब मांगा। लेकिन कादरी ने कोई जवाब नहीं दिया। तीन-चार बार मौका देने के बाद भी जवाब नहीं आया। इसके बाद अब उसके जवाब के मौके खत्म कर दिए गए थे। इसके बाद आदेश जारी किया गया है।

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सीएम की सख्ती के बाद हुआ था सरेंडर

सीएम डॉ. मोहन यादव ने इंदौर दौरे के दौरान 19 जून को कहा था कि डकैत हो या उसका बाप, छोड़ेंगे नहीं। अधिकारियों से कहा था कि जहां भी जैसे हो पकड़ो। बाद में पुलिस ने फरार कादरी पर 10 हजार का इनाम घोषित किया। साथ ही कलेक्टर ने रासुका भी लगाई है। बाद में फरारी के चलते इनाम 40 हजार तक कर दिया गया। उधर कादरी नेपाल तक फरारी काटने के बाद 29 अगस्त को सरेंडर हो गया था। इसके बाद उसे जेल भेजा गया।  

नियम के तहत पार्षदी खत्म करने का अधिकार

महापौर द्वारा संभागायुक्त को जो पत्र लिखा गया था इसमें इसमें कादरी को देशद्रोही और आपराधिक प्रवृत्ति का बताया गया था। पार्षदी से हटाए जाने के  मामले में नगर निगम एक्ट 1956 की धारा 19 के तहत संभागायुक्त को सीधे अधिकार है। 

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धारा 19 में पार्षद को हटाने के लिए यह है नियम

(1) संभागीय आयुक्त किसी भी समय किसी निर्वाचित पार्षद को हटा सकता है। यदि...
(क) संभागीय आयुक्त की राय में पार्षद का बने रहना जनता या निगम के हित में वांछनीय नहीं है।
(क-1) यह पाया जाता है कि पार्षद उस आरक्षित श्रेणी से संबंधित नहीं है जिसके लिए सीट आरक्षित थी। 
(म.प्र. अधिनियम संख्या 29, 2003 द्वारा जोड़ा गया) या
(ख) निगम, दो-तिहाई पार्षदों के समर्थन से कदाचार या अपमानजनक आचरण के आधार पर हटाने की सिफारिश करता है।
(2) संभागीय आयुक्त हटाने के आदेश में यह भी निर्दिष्ट कर सकता है कि पार्षद पांच वर्ष तक सेवा करने के लिए पात्र नहीं होगा। निष्कासन आदेश या संकल्प तब तक प्रभावी नहीं होगा जब तक पार्षद को हटाने की सिफारिश का कारण न बताया जाए।

कादरी राज्य सरकार को कर सकेंगे अपील

नियम 19 की धारा 3 में इस आदेश के खिलाफ अपील के भी प्रावधान है। इसके तहत उपधारा (1) या (2) या धारा 18 के तहत पारित कोई भी आदेश, आदेश दिए जाने की तारीख से 30 दिनों के भीतर राज्य सरकार के समक्ष अपील योग्य है।

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महापौर ने यह भी लिखा था पत्र में

महापौर भार्गव ने पार्षद भारत रघुवंशी के पत्र का हवाला दिया है। महापौर ने पत्र में लिखा है कि रघुवंशी जो पार्षद व अपील समिति सदस्य है। उन्होंने कादरी के संबंध में एफआईआर व अपराध संबंधी अन्य दस्तावेज भेजे हैं। इससे साफ दिखता है कि कादरी देशद्रोही और आपराधिक प्रवृत्ति के हैं। वार्ड 58 के पार्षद कादरी द्वारा लव जिहाद को बढ़ावा देने के लिए संप्रदाय विशेष के युवकों को फंडिंग भी दी गई। वह अभी फरार है और पुलिस ने दस हजार का ईनाम घोषित किया है। ऐसे में उन्हें मप्र नगर पालिक एक्ट 1956 के तहत पार्षद पद से हटाया जाए।

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