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INDORE. लव जिहाद के लिए फंडिंग करने के आरोपी कांग्रेस के वार्ड 58 के पार्षद अनवर कादरी उर्फ डकैत की पार्षदी के गिनती के दिन ही बचे हैं। इस मामले में 9 अक्टूबर को नगर निगम परिषद ने दो तिहाई बहुमत से उसे पद से हटाने का प्रस्ताव पास कर दिया था। अब यह प्रस्ताव एक-दो दिन में राज्य निर्वाचन आयोग, शासन को भेजा जा रहा है।
वहीं इस मामले में संभागायुक्त डॉ. सुदाम खाड़े भी आदेश करने जा रहे हैं। इसके साथ ही कादरी पांच साल तक चुनाव लड़ने के लिए भी अपात्र रहेगा, यानी अगला चुनाव भी नहीं लड़ सकेगा।
परिषद के प्रस्ताव के बाद यह हो रहा है
9 अक्टूबर को नगर निगम परिषद के एजेंडे में कादरी को कदाचार के कारण हटाने का प्रस्ताव पास हुआ था। यह प्रस्ताव मध्यप्रदेश नगर पालिक एक्ट की धारा 19(1) और 1(अ) के तहत जारी किया गया था।
महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि कादरी के कृत्य के चलते यह प्रस्ताव बहुमत से पास हुआ। साथ ही, कादरी को हटाने के प्रस्ताव को सभापति के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा गया है।
इसके बाद निगमायुक्त के हस्ताक्षर से इसे शासन स्तर पर भेजा जाएगा। वार्ड 58 का पार्षद पद रिक्त हो जाएगा। संभागायुक्त के पास भी मैंने चिट्ठी भेजी थी, उनके स्तर पर भी कार्रवाई की जा रही है।
संभागायुक्त ने अवसर किए खत्म, जल्द आदेश
इस मामले में संभागायुक्त को भी नगर पालिक एक्ट के तहत प्रावधान है कि वह पार्षद को हटा सकती है। जून में महापौर ने इस संबंध में संभागायुक्त को विस्तृत पत्र लिखा था।
इसके बाद तत्कालीन संभागायुक्त दीपक सिंह ने नोटिस जारी कर कादरी से जवाब मांगा। बाद में उनके ट्रांसफर के बाद संभागायुक्त डॉ. सुदाम खाड़े ने भी नोटिस देकर जवाब मांगा, लेकिन कोई जवाब नहीं दिया गया।
तीन-चार बार अवसर देने के बाद भी जवाब नहीं आने पर अब उसके जवाब के अवसर खत्म कर दिए गए हैं। अब किसी भी दिन संभागायुक्त के जरिए पार्षद पद जीरो करने और आगे चुनाव से लड़ने पर रोक के आदेश जारी हो जाएंगे।
सीएम बोले थे पकड़ो उसे, फिर हुआ था सरेंडर
सीएम मोहन यादव ने इंदौर दौरे के दौरान 19 जून को कहा था कि डकैत हो या उसका बाप, छोड़ेंगे नहीं। अधिकारियों का कहा है जहां भी जैसे हो पकड़ो। बाद में पुलिस ने फरार कादरी पर 10 हजार का ईनाम घोषित किया और कलेक्टर ने रासुका भी लगाई है।
बाद में फरारी के चलते ईनाम 40 हजार तक कर दिया गया। उधर कादरी नेपाल तक फरारी काटने के बाद 29 अगस्त को सरेंडर हो गया था, जिसके बाद उसे जेल भेजा गया।
नियम के तहत पार्षदी खत्म करने का अधिकार
महापौर के जरिए संभागायुक्त को जो पत्र लिखा गया था उसमें कांग्रेस पार्षद अनवर कादरी को देशद्रोही और आपराधिक प्रवृत्ति का बताया गया। पार्षदी से हटाए जाने के मामले में नगर निगम एक्ट 1956 की धारा 19 के तहत संभागायुक्त को सीधे अधिकार है।
वहीं, इसी धारा 19(2) के तहत उनके द्वारा पहले पार्षद कादरी को नोटिस जाता है कि क्यों न आपकी पार्षदी खत्म कर दी जाए। इस पर कादरी से जवाब लिया गया।
धारा 19 में पार्षद को हटाने के लिए यह है नियम
(1) संभागीय आयुक्त किसी भी समय किसी निर्वाचित पार्षद को हटा सकता है, यदि-
(क) संभागीय आयुक्त की राय में पार्षद का बने रहना जनता या निगम के हित में वांछनीय नहीं है;
(क-1) यह पाया जाता है कि पार्षद उस आरक्षित श्रेणी से संबंधित नहीं है जिसके लिए सीट आरक्षित थी (म.प्र. अधिनियम संख्या 29, 2003 के जरिए जोड़ा गया); या
(ख) निगम, कुल पार्षदों की कम से कम दो-तिहाई संख्या द्वारा समर्थित प्रस्ताव द्वारा, कर्तव्य में कदाचार या अपमानजनक आचरण के आधार पर हटाने की सिफारिश करता है।
(2) संभागीय आयुक्त हटाने के आदेश में यह भी निर्दिष्ट कर सकता है कि पार्षद किसी भी निगम में पांच वर्ष तक सेवा करने के लिए पात्र नहीं होगा। हालांकि, कोई भी निष्कासन आदेश या संकल्प तब तक प्रभावी नहीं होगा जब तक कि पार्षद को यह बताने का उचित अवसर न दिया जाए कि उन्हें हटाने की सिफारिश क्यों न की जाए।
कादरी राज्य सरकार को कर सकेंगे अपील
नियम 19 की धारा 3 में इस आदेश के खिलाफ अपील के भी प्रावधान हैं। इसके तहत उपधारा (1) या (2) या धारा 18 के तहत पारित कोई भी आदेश दिए जाने की तारीख से 30 दिनों के भीतर राज्य सरकार के समक्ष अपील योग्य है।
महापौर ने यह भी लिखा था पत्र में
महापौर भार्गव ने पार्षद भारत रघुवंशी के पत्र का हवाला दिया है। महापौर ने पत्र में लिखा है कि रघुवंशी जो पार्षद व अपील समिति सदस्य हैं, उन्होंने कादरी के संबंध में एफआईआर व अपराध संबंधी अन्य दस्तावेज भेजे हैं।
इससे साफ दिखता है कि कादरी देशद्रोही और आपराधिक प्रवृत्ति के हैं। वार्ड 58 के पार्षद कादरी के जरिए लव जिहाद को बढ़ावा देने के लिए संप्रदाय विशेष के युवकों को फंडिंग भी दी गई।
वह अभी फरार है और पुलिस ने दस हजार का ईनाम घोषित किया है। ऐसे में उन्हें मध्यप्रदेश नगर पालिक एक्ट 1956 के तहत पार्षद पद से हटाया जाए।
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