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मप्र कांग्रेस के जिलाध्यक्ष, शहराध्यक्ष की घोषणा के बाद से ही बवाल मचा हुआ है। इसे कांग्रेस नेताओं के क्षत्रपों की जीत और लोकसभा प्रतिपक्ष नेता राहुल गांधी के सृजन अभियान का विसर्जन बताया जा रहा है। इंदौर में सुरजीत सिंह चड्ढा की शहराध्यक्ष पद से और सदाशिव यादव की जिलाध्यक्ष पद से विदाई हो गई है। चिंटू चौकसे शहराध्यक्ष और विपिन वानखेड़े ग्रामीण जिलाध्यक्ष बनाए गए हैं। चिंटू के विरोध में संभागीय प्रवक्ता सन्नी राजपाल ने इस्तीफा भी दे दिया है।
शहराध्यक्ष बने चिंटू के नाम ऐसा रिकॉर्ड
चिंटू चौकसे वर्तमान में इंदौर नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष हैं। उन्होंने साल 2023 का विधानसभा चुनाव भी इंदौर विधानसभा-2 से लड़ा था। इसमें उन्होंने सबसे ज्यादा वोट से हारने का रिकॉर्ड बनाया था। यानी हार के उन्होंने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। बीजेपी के रमेश मेंदोला ने चिंटू को 1.07 लाख वोट से करारी मात दी थी, जो उस समय मप्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़ तीनों ही राज्यों में सबसे बड़ी जीत थी। अब बात उठ रही है कि जो नेता सबसे बड़ी हार का रिकॉर्ड बना चुका है, उसे ही शहर कांग्रेस संभालने का जिम्मा किस आधार पर दे दिया गया। वहीं, क्या वह दूसरा पद नेता प्रतिपक्ष का छोड़ेंगे।
दोनों ही पद पर बने रहने की संभावना
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार चिंटू दोनों पद पर बने रहेंगे। इसी शर्त पर उन्होंने प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी को अपनी सहमति दी थी। यह भी तय है कि साल 2028 के चुनाव के पहले वह इस्तीफा देंगे या इस पद से हटेंगे, क्योंकि उन्हें फिर विधानसभा चुनाव लड़ना है और राहुल गांधी का सृजन अभियान कहता है कि चुनाव लड़ने वाले जिलाध्यक्ष, शहराध्यक्ष नहीं रहेंगे।
इंदौर कांग्रेस के नए शहराध्यक्ष की खबर पर एक नजर
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इधर यादव समाज में भी नाराजगी
उधर यादव समाज में भी चिंटू के आने और दीपक यादव को नजरअंदाज करने से नाराजगी है। इस मामले में यादव समाज की सोमवार को बैठक भी संभावित है। माना जा रहा है कि वह प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी से नाराज हैं और पुतला दहन जैसी तैयारी भी की जा रही है।
इधर बीजेपी कांग्रेस के बागड़ी के समर्थन में आ गई
वैसे मामला तो कांग्रेस के शहराध्यक्ष पद का है, लेकिन इसमें बीजेपी कांग्रेस नेता अरविंद बागड़ी के समर्थन में आ गई। बीजेपी नगराध्यक्ष सुमित मिश्रा ने इस मामले में कहा कि- बागड़ी को इस बात की सजा मिल रही है कि वह खजराना गणेश भगवान के भक्त हैं और सनातन धर्म के अनुयायी और सच्चे भक्त के रूप में काम करते हैं।
कांग्रेस में ऐसे नेता को अध्यक्ष बनाया है, जिन पर विविध थानों में 14 से ज्यादा केस हैं और जो अनुसूचित जाति के लोगों से नफरत करते हैं। वहीं एक और अरविंद बागड़ी हो जो लगातार धर्म से जुड़ा हो, उन्हें अध्यक्ष नहीं बनाना यह बताता है कि कांग्रेस धर्म के प्रचार-प्रसार और मंदिर से जुड़े व्यक्ति को पसंद नहीं करती है।
अन्य कांग्रेसियों को चेतावनी है कि वह यदि मंदिर में जाएंगे तो उन्हें कोई पद नहीं मिलेगा। कांग्रेस भगवान और भक्त का अपमान कर रही है। उल्लेखनीय है कि बागड़ी पर लगातार फूलछाप (जो कांग्रेस में लेकिन बीजेपी के करीबी हो) होने के आरोप लगते रहे हैं और इसी कारण एक बार उन्हें शहराध्यक्ष बनाकर एक ही दिन में होल्ड कर हटा दिया था। इस बार फिर वह दौड़ में थे, लेकिन चिंटू को पद मिल गया।
गांवों में विपिन का भी विरोध
उधर आगर-मालवा की एससी सीट से चुनाव लड़ने वाले पूर्व विधायक विपिन वानखेड़े को इंदौर ग्रामीण जिलाध्यक्ष पद देने से ग्रामीण में भी विरोध के सुर फूट रहे हैं। इन क्षेत्रों में नेताओं का कहना है कि वह तो आगर-मालवा में सक्रिय रहते हैं, फिर इंदौर जिले में क्यों एंट्री कराई गई है। इंदौर में एक एससी सीट सांवेर है, जहां से रीना सैतिया चुनाव लड़ी थी और आगे भी उन्हीं की दावेदारी है।
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