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INDORE. संविधान को लेकर लोकसभा चुनाव के समय से ही जमकर राजनीति चल रही है। बुधवार, 26 नवंबर को संविधान दिवस पर इंदौर में जमकर राजनीतिक गरमाहट के आसार दिख रहे हैं।
कारण है कि इस दिन सीएम डॉ. मोहन यादव इंदौर में ही हैं। इसके साथ ही पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह, कांग्रेस नेता विवेक तन्खा भी इंदौर में ही रहेंगे हैं। ऐसे में दोनों ओर से बयानों की बौछार होगी।
सीएम इन कार्यक्रमों में रहेंगे
सीएम मोहन यादव (CM Mohan Yadav) का मुख्य कार्यक्रम गौतमपुरा में भावांतर योजना के तहत होगा। इसमें 1.52 लाख किसानों के खाते में 253 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए जाएंगे। कृषि मंत्री एदल सिंह कंषाना भी इस कार्यक्रम में शामिल होंगे।
सीएम किसानों से संवाद भी करेंगे। इसके साथ ही, वह सरदार पटेल की 150वीं जयंती पर आ रही यूथ यात्रा का स्वागत करेंगे। सीएम सरदार पटेल की प्रतिमा पर माल्यार्पण करेंगे और यात्रा का शुभारंभ करेंगे।
पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह का ये कार्यक्रम
दिग्विजय सिंह और विवेक तन्खा संविधान दिवस कार्यक्रम में शामिल होंगे। यह कार्यक्रम जिला कांग्रेस कमेटी इंदौर के जरिए आयोजित किया गया है। वे गीताभवन पर बाबा साहब आंबेडकर की प्रतिमा पर संविधान की शपथ दिलवाएंगे। इसके साथ ही, वे अन्य आयोजनों में भी हिस्सा लेंगे।
इंदौर में संविधान दिवस पर हलचल की खबर
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26 नवंबर को क्यों मनाया जाता है संविधान दिवस
भारत का संविधान 26 नवंबर 1949 को अपनाया गया था। हालांकि, यह 26 जनवरी 1950 से लागू हुआ। इस वजह से 26 नवंबर को संविधान दिवस और 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाता है। नागरिकों में संविधान के मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाने का निर्णय लिया। यह निर्णय 19 नवंबर 2015 को सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने अधिसूचित किया था।
जानें कितने दिन में बना था संविधान
भारतीय संविधान सभा के चुनाव जुलाई 1946 में हुए थे। संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई थी। 14-15 अगस्त 1947 की रात भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद, संविधान सभा दो भागों में बंट गई। इसमें कुल 299 सदस्य थे। डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद इसके अध्यक्ष थे। संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को अपना काम खत्म किया और 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ। इसे तैयार करने में 2 साल, 11 महीने और 8 दिन लगे थे।
भारत का संविधान क्यों है खास
भारत का संविधान दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है। इसके अनुसार, भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है। इसका मतलब है कि सभी धर्मों को समान सम्मान मिलता है और राज्य का कोई धर्म नहीं है। यह एक संघात्मक प्रणाली है, जिसमें केंद्र की मजबूत भूमिका है। इसमें केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन और एकात्मक तत्व भी हैं।
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