संजय गुप्ता, INDORE. Indore Corporation Scam : महापौर पुष्यमित्र भार्गव ( Mayor Pushyamitra Bhargava ) ने एक बार फिर इंदौर नगर निगम ( Indore Municipal Corporation ) के अधिकारियों को खासकर पूर्व अधिकारियों को निशाने पर लिया है। उन्होंने चुनाव के बाद मीडिया से चाय पर चर्चा करते हुए साफ कहा कि यह पुराने समय का घोटाला है और इसे एक बार में पूरा साफ करने की जरूरत है। इसमें अधिकारियों की भी जिम्मेदारी देखा जाना चाहिए कि उन्होंने क्या मॉनीटरिंग की, खाते से फर्जी फाइल के फर्जी कामों का भुगतान होता गया और किसी ने इन कामों का ना देखा और ना ही खातों को देखा कि आखिर किस मद में कैसे यह राशि कम होती जा रही है? इन सभी अधिकारियों की भूमिका की जांच होना चाहिए। इन सभी की जिम्मेदारी थी आखिर खाते किसी ने देखें क्यों नहीं कि किस मद से और किस तरह से भुगतान हो रहा है और राशि कहां जा रही है?
उच्च स्तरीय कमेटी जांच शुरू करेगी, उन्हें यह बात रखेंगे
महापौर ने खुलकर कहा कि उम्मीद है अब चुनाव हो चुके हैं उच्चस्तरीय जांच कमेटी जल्द इंदौर आएगी। कमेटी से मैं मुलाकात करूंगा यह बात भी रखूंगा। फर्जी फाइल बनी, ऑडिट में गई, फिर पास होकर एकाउंट में गई और वहां से पुराने काम के नाम पर भुगतान भी हो गया। जिस अधिकारियों की यह जिम्मेदारी थी वह मॉनीटरिंग करते तो फिर उन्होंने क्या किया? जो भी दोषी हो और इस काम में लिप्त हो सभी सामने आना चाहिए और सभी से इस घोटाले की राशि की वसूली होना चाहिए।
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पुलिस से भी कहा मॉनीटरिंग हो, जमानत कैसे हो गई
महापौर ने इस घोटाले में एक आरोपी रेणु वढेरा की जमानत होने पर कहा कि इस मामले में चूक हुई है। इसके लिए मैंने उच्च स्तर पर बात की है और कहा है कि पुलिस विभाग से उच्च स्तर पर मॉनीटरिंग होना चाहिए और जमानत कैंसल करने की भी प्रक्रिया करना चाहिए। साथ ही इसे फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाने की भी बात कही है।
75 से 80 करोड़ रुपए भुगतान हो चुका
भार्गव ने कहा कि अभी तक जो जानकारी मेरे पास है उसके हिसाब से फर्जी काम के नाम पर 75-80 करोड़ रुपए का भुगतान हो चुका है। यह जनता की गाढ़ी कमाई का टैक्स का पैसा है और हम इसे वसूल करने की प्रक्रिया पर काम कर रहे हैं।
गुप्ता की कार से फाइल चोरी भी संदिग्ध
महापौर ने माना कि इसकी भी जांच जल्द होना चाहिए कि इंजीनियर सुनील गुप्ता की कार इस घोटाले की संवेदनशील फाइल कैसे चोरी हो गई, वह उसी दिन उनकी कार से कैसे गई? किसे पता था कि कार में वह फाइल है। इसकी भी जांच जरीर है।
डिजिटलाइजेशन ही इसका रास्ता
भार्गव ने कहा कि इस घोटाले को रोकने का एक ही रास्ता है डिजिटलाइजेशन। इस पर काम हो रहा है, टेंडर के सभी डाक्यूमेंट ऑनलाइन कर रहे हैं, उसका डिजिटाइलजेशन किया जा रहा है। महापौर ने साथ ही कहा कि सीएम से लेकर विभागीय मंत्री, हम सभी इस घोटाले को लेकर संजीदा है और यह अलग तरह का घोटाला है, इसलिए यह सामने आते ही मैंने तत्काल सीएम से इसकी जांच की मांग की थी, जिसपर फिर उच्च स्तरीय कमेटी बन चुकी है।
निगम घोटाले में फरार सिद्दकी भी पकड़ाया
उधर नगर निगम बिल घोटाले में फरार चल रहे ठेकेदार मोहम्मद सिद्दकी की गिरफ्तारी हो गई है। वह ग्रीन कंस्ट्रक्शन कंपनी का ठेकेदार है और साथ ही ठेकेदार जाकिर और साजिद का पिता है जो किंग कंस्ट्रक्शन और नीवं कंसट्रक्शन के संचालक है। सिद्दकी ने हाईकोर्ट में वादा किया था कि सात दिन में सरेंडर कर देगा, लेकिन बाद में वह गिरफ्तार हो गया। डीसीपी पंकज पाण्डे ने बताया कि पुलिस ने उसे भंवरकुआं से मंगलवार को गिरफ्तार किया है, उसकी रिमांड कोर्ट से ली जाएगी। उधर अभय राठौर का रिमांड 15 मई को खत्म हो रहा है, पुलिस उसे कोर्ट में पेश कर और रिमांड लेगी। अभी भी उससे कई जानकारियां लेना जरूरी है और उन्हें क्रास चेक भी किया जाना है।
अभी तक इतने गिरफ्तार, दो फरार
अभी तक पुलिस मूल घोटाले में शामिल पांच फर्मों के सभी ठेकेदारों को पकड़ चुकी है जिसमें सिद्दकी, साजिद, जाकिर के साथ रेणु वढेरा और राहुल वढेरा शामिल है। इसमें रेणु की जमानत हो चुकी है। वहीं नगर निगम से पुलिस राठौर के साथ ही उदय भदौरिया, चेतन भदौरिया, राजकुमार साल्वी, मुरलीधरन को गिरफ्तार कर चुकी है। वहीं अभी भी ईश्वर कंपनी का मौसम व्यास और क्रिस्टल कंपनी का इमरान ठेकेदार फरार है, दोनों पर 5-5 हजार का ईनाम पुलिस घोषित कर चुकी है।