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डेली कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ.गुनमीत बिंद्रा Photograph: (The Sootr)
INDORE. देश के नामचीन शैक्षणिक संस्थानों में गिना जाने वाला इंदौर का डेली कॉलेज इस समय आरोपों और विवादों की आग में झुलस रहा है। कभी गौरव और अनुशासन का प्रतीक माना जाने वाला यह संस्थान अपने ही प्रबंधन की कथित मनमानी से बदनाम हो रहा है।
अब डेली कॉलेज के ओल्ड डेलियन संदीप पारेख ने कॉलेज की प्रिंसिपल व सोसायटी की सचिव डॉ.गुनमीत बिंद्रा को लेकर कई आरोप लगाए हैं। उन्होंने सहायक रजिस्ट्रार, फर्म्स और सोसाइटीज इंदौर को इसे लेकर लिखित शिकायत भी भेजी है। डेली कॉलेज के विश्वस्त सूत्रों ने 'द सूत्र' को यह शिकायत उपलब्ध कराई है।
क्या हैं आरोप?
पारेख ने शिकायत में लिखा है कि सचिव (प्रिंसिपल) डॉ.गुनमीत बिंद्रा ने सोसाइटी के पंजीकृत नियमों का बार-बार उल्लंघन किया है। वे अपने पद का दुरुपयोग कर रही हैं। उन्होंने न केवल बोर्ड के सदस्यों को समय पर सूचना देना टाला है, बल्कि कई बार एजेंडे से जरूरी मुद्दों को जानबूझकर गायब कर दिया।
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सिलसिलेवार समझिए पूरी शिकायत
1 सूचना छिपाना
प्रिंसिपल ने बोर्ड की बैठकों के लिए जरूरी दस्तावेज और सूचना बार-बार मांगने पर भी सचिव ने उपलब्ध नहीं कराई। इसकी वजह से सदस्य सही ढंग से निर्णय ही नहीं ले पाए।
2. एजेंडे से खिलवाड़
वरिष्ठ कर्मचारियों की नियुक्ति, वेतन वृद्धि, नए पुरस्कार जैसे अहम मुद्दों को पहले एजेंडे से हटा दिया जाता है और बाद में बैठक के बीच अचानक पेश कर दिया जाता है। यानी सब कुछ बिंद्रा की मनमानी से होता है।
3. मिनट्स में हेरफेर
जो बातें बैठक में होती ही नहीं, उन्हें भी आधिकारिक मिनट्स (MoM) में लिख दिया जाता है। असली चर्चा और फैसले को गलत तरीके से दर्ज किया जाता है। बाद में इन्हीं गलत मिनट्स को बहुमत से पास करा दिया जाता है। यानी रिकॉर्ड को तोड़-मरोड़कर पेश किया जाता है।
4. मनमाना रवैया
प्रिंसिपल पर यह भी आरोप है कि उन्होंने कई बार बोर्ड सदस्यों के आधिकारिक पत्र और शिकायतें तक नजरअंदाज कीं। यानी कामकाज में न निष्पक्षता दिखाई और न ही पारदर्शिता बरती।
5. नियमों का उल्लंघन
शिकायत में कहा गया है कि यह सबकुछ सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट और डेली कॉलेज सोसाइटी के खुद के बाय-लॉज के खिलाफ है। खासकर अनुच्छेद 19 और उससे जुड़े प्रावधानों की खुली धज्जियां उड़ाई गई हैं। यह नियम कॉलेज की संपत्ति, फंड और लेखा व्यवस्था से जुड़े हैं।
प्रिंसिपल ने कहा- सब कुछ नियमों के हिसाब से हो रहा
आरोपों पर प्रिंसिपल डॉ. गुनमीत बिंद्रा ने कहा, आप क्यों बार-बार इन चीजों को पकड़कर बैठ जाते हैं। मैं अभी एक वर्कशॉप में हूं। जो भी शिकायत हुई है, वह एक दम गलत है। डेली कॉलेज में सब कुछ नियमों के हिसाब से हो रहा है।
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हाल ही में सामने आए ये मामले
यह कोई पहला मामला नहीं है। देश और मध्यप्रदेश के नामचीन शैक्षणिक संस्थानों में गिना जाने वाला डेली कॉलेज इन दिनों विवादों और आरोपों के दलदल में फंसा हुआ है। कभी अनुशासन, उत्कृष्ट शिक्षा और गौरवशाली विरासत का प्रतीक माना जाने वाला यह संस्थान अपने ही भीतर से उठे सवालों से हिल गया है। ताजा घटनाक्रमों ने कॉलेज के प्रशासनिक ढांचे को कटघरे में खड़ा कर दिया है। पूरे सिस्टम की पारदर्शिता और नैतिकता पर भी गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
डेली कॉलेज बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में पैरेंट नॉमिनी के तौर पर लंबे समय से सक्रिय सुमित चंडोक ने पिछले दिनों इस्तीफा दे दिया है। यह इस्तीफा कॉलेज की अंदरूनी उठापटक और बोर्ड के भीतर चल रही गुटबाजी की तरफ इशारा करता है।
वहीं, डेली कॉलेज में हेड गर्ल के एक पत्र में किए गए खुलासे ने कॉलेज के प्रशासन और शिक्षा व्यवस्था को कठघरे में खड़ा कर दिया है। इस पत्र में कॉलेज फेकल्टी और स्टाफ पर गंभीर आरोप लगाते हुए हेड गर्ल ने इस्तीफा दे दिया। पत्र में उसने दावा किया कि उसे लगातार दखलंदाजी का सामना करना पड़ा और अपमानित किया गया।
एक खुले खत ने भी कॉलेज की साख पर करारा प्रहार किया है।
पहचान छिपाकर लिखी गई इस चिट्ठी में शिक्षा, अनुशासन, वित्तीय पारदर्शिता और नैतिक मूल्यों की भारी गिरावट को सामने रखा गया। इस चिट्ठी में कई सवाल उठाए गए हैं। लिखा है, यदि डेली कॉलेज अपने छात्रों को सफलता के लिए तैयार ही नहीं कर पा रहा तो इसके नाम और भवनों से परे इसकी वास्तविक उपयोगिता क्या है? काउंसलिंग की स्थिति भी उतनी ही चिंताजनक है। सभी छात्रों को बाहर के काउंसलरों से क्यों सलाह लेनी पड़ती है? यदि स्कूल का काउंसलर छात्रों से जुड़ नहीं पा रहा, तो उसकी नियुक्ति का औचित्य क्या है?
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