DCP विश्वकर्मा, TI तारेश सोनी सहित सभी पुलिस वाले FIR से बचने के लिए पहुंचे हाईकोर्ट, कोर्ट ने अविलंब केस दर्ज करने का दिया था आदेश

कोर्ट ने टीआई तारेश सोनी, डीसीपी अभिनव विश्वकर्मा सहित आठ पुलिसकर्मियों पर अविलंब यानि तत्काल प्रभाव से एफआईआर दर्ज करने के आदेश एमजी रोज टीआई विजय सिंह सिसौदियो दिए थे, लेकिन 30 जून, एक जुलाई और दो जुलाई पूरी बीत गई और पुलिस ने कुछ नहीं किया।

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Sanjay gupta
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DCP विश्वकर्मा
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INDORE : जब सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का… डीसीपी अभिनव विश्वकर्मा, लसूडिया टीआई तारेश सोनी सहित आठों पुलिसकर्मियों के लिए तो अभी यही कहावत सही है। कोर्ट ने 29 जून की शाम को टीआई तारेश सोनी, डीसीपी अभिनव विश्वकर्मा सहित आठ पुलिसकर्मियों पर अविलंब यानि तत्काल प्रभाव से एफआईआर दर्ज करने के आदेश एमजी रोज टीआई विजय सिंह सिसौदियो दिए थे, लेकिन 30 जून, एक जुलाई और दो जुलाई पूरी बीत गई और पुलिस ने कुछ नहीं किया। उधर आरोपियों को पूरा मौका दिया गया कि वह कोर्ट से राहत लेकर आएं। जिला कोर्ट से राहत मिलने की कम उम्मीद के चलते सभी आरोपी सीधे हाईकोर्ट पहुंच गए हैं।

डीसीपी का मेंशन नामंजूर, टीआई की ही सुनेंगे

द सूत्र को मिली जानकारी और याचिका नंबर के मुताबिक सोनी की ही याचिका अभी सुनवाई पर आई है। इसकी सुनवाई बुधवार को है। बाकी अन्य आरोपियों की याचिका लग गई है लेकिन अभी लिस्टिंग पर नहीं आई है। इस याचिका में जिला कोर्ट के आर्डर पर रोक लगाने की मांग की गई है, ताकि उन पर एफआईआर नहीं हो। उधर डीसीपी की भी याचिका लग गई थी, इस पर भी जल्द सुनवाई की मांग थी लेकिन इस मांग को नामंजूर कर दिया गया, इसके बाद उनका नंबर एक-दो दिन बाद ही आने की संभावना है। लेकिन सोनी को राहत मिली तो सभी को मिलेगी नहीं तो सभी पुलिस अधिकारियों की मुश्किलें बढने वाली है।

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तीन दिन से क्या कर रही पुलिस?

आम आदमी को तो बात अलग है कोर्ट के आदेश के बाद 24 घंटे में केस दर्ज हो जाता है। लेकिन न्यायाधीश जय कुमार जैन द्वारा 29 जून की शाम को अविलंब एमजी रोड टीआई सिसौदिया को केस दर्ज करने के आदेश दिए थे, धाराओं के साथ, जिसमें गिरफ्तारी ही होती है। लेकिन आला अधिकारियों ने ही यह कहकर बचाव कर दिया कि यह टाइपिंग एरर है, आरोपी ने ही नाम गलत बताया जिसके चलते यह गलतियां हुई है इसमें पुलिस वालों की कोई गलती नहीं है। इसके बाद सभी ने गली निकाली, पहले कोशिश की गई कि जिला व सत्र कोर्ट में ही रिवीजन याचिका लगा दें, लेकिन इसमें दस्तावेज निकालने में पुलिस वालों को देरी हुई। इसी बीच समय निकल रहा था, पुलिस पर दबाव था कि केस दर्ज करना होगा। इसके बाद तय हुआ कि सीधे हाईकोर्ट ही जाएंगे। इसके बाद टीआई तारेश सोनी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी।

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इन अधिकारियों पर इस धाराओं में केस

कोर्ट में गलत दस्तावेज पेश करने, न्याय को प्रभावित करने वाला अपराध करने, कूटरचित दस्तावेज बनाने और पेश करने के चलते न्यायाधीश जय कुमार जैन ने एमजी रोड थाना को आदेश दिया है। डीसीपी 2 (अभिनव विश्वकर्मा), संबंधित थाना प्रभारी टीआई (तारेश सोनी) के साथ ही एसआई राहुल डाबर, नरेंद्र जायसवाल महेंद्र मकाले, सहायक उपनिरीक्षक राजेश जैन, कैलाश मार्सकोले, आरक्षक बेनू धनगर पर केस दर्ज किया जाएगा। इसमें धारा 200, 203, 467, 468, 465, 471 औऱ् 34 धाराएं लगाई जाएगी। न्यायाधीश जय कुमार जैन ने इस केस में स्पष्टीकरण मांगने पर भी जवाब नहीं देने पर पुलिस आयुक्त (राकेश गुप्ता) पर भी नाराजगी जाहिर की है। कहा है कि इनके द्वारा कोर्ट को सहयोग नहीं किया गया। इस पूरे मामले में जांच के भी आदेश दिए और साथ ही एमजी रोड थाने को कहा है कि वह जल्द इस मामले में रिपोर्ट पेश करें और साथ ही एफआईआर दर्ज कर कोर्ट को जल्द सूचित करें।

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टीआई और डीसीपी के लिए क्या होगा

टीआई तारेश सोनी और उनका थाना बल इस स्थिति के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार है। कूटरचित चालान पेश किए गए और खुद उनके एसआई राहुल डाबर के बयान ने उनके बचने के कई रास्ते बंद कर दिए हैं। एसआई ने साफ कर दिया कि चालान में मेरी लिखावट नहीं है, बाकी चालान में मेरा नाम क्यों है यह भी नहीं पता क्योंकि मेरी तो ड्यूटी ही बाकी केस में नहीं थी, अन्य अधिकारी थे। तकनीकी तौर पर चालान रसीद थाना प्रभारी के नाम पर होते हैं और वही पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाकर केस बनवाते हैं और फिर चालान भी उन्हीं के हस्ताक्षर से पेश होता है। यानि पूरी तरह से टीआई सोनी मुश्किल में हैं। वहीं मॉनीटरिंग नहीं करने, कोर्ट के बार-बार बोलने पर भी स्पष्टीकरण नहीं देने के चलते डीसीपी अभिनव विश्वकर्मा भी गंभीर मुश्किलों में हैं। केस दर्ज हुआ तो गिरफ्तारी होगी और साथ ही थाने और वर्तमान पदस्थापना से भी विभाग को हटाना ही होगा।

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क्या है मामला

लसूडिया पुलिस की ओर से आरक्षक बेनू धनगर ने चालान 126/2024, 127/2024, 128/2024, 114/2024 पेश किए थे। यह मोटर व्हीकल एक्ट के तहत केस थे जिसमें शराब पीकर वाहन चलाने का मामला था। चालान 126 में आरोपी अभिषेक सोनी और कुलदीप बुंदेला था लेकिन कोर्ट के चालान में दोनों के नाम ही हटा दिए गए और अन्य नाम पेश कर दिया गया। मुख्य आरोपी छोड़ दिए गए। कोर्ट में एसआई राहुल डाबर ने बताया कि यह चालान पर मेरे हस्ताक्षर और लिखावट नहीं है। इसी तरह जब अन्य चालान देखे गए तो एक में आरोपी अविनाश दुबे की जगह रितेश कर दिया गया। इन चालान में फोटो किसी के, नाम किसी और के और तथ्य कुछ और पेश किए गए और मुख्य आरोपियों को बचा लिया गया।

न्यायाधीश ने पूरी जांच के लिए कहा

इस मामले में कोर्ट ने पाया कि एसआई राहुल डाबर, नरेंद्र जायसवाल महेंद्र मकाले, सहायक उपनिरीक्षक राजेश जैन, कैलाश मार्सकोले, आरक्षक बेनू धनगर की केस में संलिप्तता है। साथ ही टीआई और डीसीपी द्वारा इन कूटरचित दस्तावेज जानते हुए भी चालान को कोर्ट में पेश कराया। जब स्पस्टीकरण मांगा गया तो जवाब नहीं दिया गया। इनके द्वारा इस मामले में सहयोग किया गया। इस पूरे केस की जांच की जाए, सीसीटीवी फूटेज देखे जाएं व अन्य तथ्य देखते हुए जांच की जाए और संबंधितों पर पहले केस दर्ज किया जाए।

इंदौर न्यूज इंदौर डीसीपी अभिनव विश्वकर्मा