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इंदौर का देवास बायपास हाल ही में लगे महाजाम के कारण सुर्खियों में जरूर आया है, लेकिन विवादों से इसका नाता बहुत पुराना है। द सूत्र के हाथ एक बड़ी जानकारी लगी है। असल में केंद्र सरकार के सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने देशभर के 219 नेशनल हाइवे का कुछ वर्ष पहले पहली बार इंटरनल ऑडिट करवाया था। उसमें इंदौर का 45 किलोमीटर का राऊ–देवास बायपास फिसड्डी निकला था। इसे 100 में से सबसे कम अंक 36.96 ही मिले थे।
ऐसे फिसड्डी आया था राऊ-देवास बायपास
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण(एनएचएआई) ने देश में सबसे बेहतरीन नेशनल हाईवे की एक सूची जुलाई 2021 में जारी की थी। उस दौरान एनएचएआई ने पूरे भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों का एक सर्वेक्षण किया था और उसी के आधार पर यह सूची तैयारी की थी। इस सर्वे (इंटरनल ऑडिट) में देशभर में 219 राष्ट्रीय राजमार्गों को शामिल किया गया था, जो कि लगभग 18668 किलोमीटर की दूरी तय करते हैं। इस तरह के अध्ययन दुनियाभर में नियमित रूप से किए जाते हैं। हालांकि, यह पहली बार था जबकि भारत ने अपने राष्ट्रीय राजमार्गों के अध्ययन के लिए यह पहल की थी।
फिर दोबारा जारी नहीं हो पाई रैंकिंग
देवास बायपास की रैंकिंग में सर्विस रोड़ जर्जर, मुख्य हाइवे पर गड्ढे, न हरियाली और ना ही मार्किंग, साइन बोर्ड तक ठीक नहीं मिले थे। इंदौर से जुड़े बाकी के तीनों एनएच इंदौर-खलघाट, देवास-ब्यावरा और खलघाट-मप्र/महाराष्ट्र बॉर्डर का नंबर भी देशभर के 100 हाइवे के बाद ही आया था। इसके बाद देशभर में एनएचएआई अफसरों की कार्यशैली की किरकिरी हुई थी। उसी के बाद से यह इंटरनल ऑडिट पर रोक लगा दी गई थी और फिर कभी इसे दोबारा किया ही नहीं गया।
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यह रैंकिंग आई थी फिसड्डी बायपास की
1. राऊ-देवास बायपास सिक्सलेन 45 किलोमीटर
- 40 किलोमीटर सितंबर 2014 में पूरा हुआ
- 5 मिलोमीटर का हिस्सा 2016 में पूरा हुआ
- प्रोजेक्ट की लागत 325 करोड़ रुपए।
- मियाद 2036 तक।
- रैंकिंग की सूची में स्थान 219, 100 में से 36.96 अंक मिले, रेटिंग-खराब।
- राजमार्ग दक्षता में 45 में से 22.9, सुरक्षा मेें 35 में से 9.71, उपभोक्ता सेवा में 20 में से 4.35
2. इंदौर-खलघाट सिक्सलेन 77.32 किलोमीटर
- 2006 में काम शुरू हुआ और 2009 में पूरा हुआ।
- प्रोजेक्ट की लागत472 करोड़ रुपए।
- मियाद सितंबर 2026 तक।
- रैंकिंग की सूची में स्थान 158, 100 में से 62.4 अंक मिले, रेटिंग-बहुत अच्छा।
- राजमार्ग दक्षता में 45 में से 34.92, सुरक्षा मेें 35 में से 18.55, उपभोक्ता सेवा में 20 में से 8.57
3. ब्यावरा-देवास एनएच3 सेक्शन 140.26 किलोमीटर
- 9 जुलाई 2016 को शुरू हुुआ काम और 22 जुलाई 2020 को पूरा हुआ
- प्रोजेक्ट की लागत1584 करोड़ रुपए।
- मियाद 2043 तक।
- रैंकिंग की सूची में स्थान 147, 100 में से 63.29 अंक मिले, रेटिंग-बहुत अच्छा।
- राजमार्ग दक्षता में 45 में से 38.63, सुरक्षा मेें 35 में से 17.01, उपभोक्ता सेवा में 20 में से 7.66
4. खलघाट-एमपी/महाराष्ट्र बॉर्डर एनएच-76 सिक्सलेन 82.8 किलोमीटर
- 19 नवंबर 2008 से शुरू हुआ और 25 अक्टूबर 2013 में पूरा हुआ।
- प्रोजेक्ट की लागत 549 करोड़ रुपए।
- मियाद 2026 तक।
- रैंकिंग की सूची में स्थान 121, 100 में से 66.26 अंक मिले, रेटिंग-बहुत अच्छा।
- राजमार्ग दक्षता में 45 में से 33.79, सुरक्षा मेें 35 में से 21.73, उपभोक्ता सेवा में 20 में से 10.74
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यह था रैंकिंग का पैमाना: 40 से कम अंक मतलब खराब
जिन हाइवे को 80 से 100 के बीच अंक मिले मतलब बेहतरीन, 60 से 80 मतलब बहुत अच्छा, 40 से 60 मतलब अच्छा और 40 से कम अंक वाले हाइवे को खराब की श्रेंणी में रखा गया है।
इस तरह से हुई 100 अंकों की मार्किंग
1. हाइवे दक्षता के 45 अंक में टोल प्लाजा से वाहनों के निकलने में देरी, सर्विस रोड़ की उपलब्धता, साइनेज मार्किंग, मुख्य सड़क से पानी निकासी की व्वस्था आदि शामिल हैं।
2. सुरक्षा के 35 अंक में प्रति किलोमीटर प्रति वर्ष सड़क हादसों की संख्या, एम्बूलेंस रिस्पॉन्स टाइम, एक्सीडेंट के बाद रोड़ क्लीयर करने का समय, एमटीएम का संचालन, नेशनल हाइवे और स्टेट हाइवे के लिए ग्रेड सेपरेटर, फुटपाथ और रेलिंग आदि शामिल हैं।
3. उपभोक्ता सेवा के 20 अंक में हाइवे पर सफाई, टोल प्लाजा पर पीने के पानी और शौचालय की उपलब्धता, मोटर रिपेयर वर्कशॉप, अतिक्रमण और अवैध होर्डिंग, ध्वनि क्वालिटी इंडेक्स आदि शामिल है।
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इन पैमाने पर हुई रेटिंग
एनएचएआई ने इस अध्ययन में हाईवे की रैंकिंग से पहले उनकी दक्षता, सुरक्षा और उपयोगकर्ता को मुहैया कराए जाने वाली सर्विस जैसे विभिन्न पहलुओं को शामिल किया। सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक इस तरह के अध्ययन अब हर छह महीने में किए जाएंगे। अधिकारियों का कहना है कि ऐसे सर्वे से हाईवे के मानकों को वैश्विक स्तर के हिसाब से बनाए रखने में मदद मिलेगी।
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खामियों को दूर करना मकसद
रिपोर्ट के मुताबिक, हाईवे कॉरिडोर की रेटिंग की व्यवस्था से नेशनल हाईवे पर उपलब्ध सेवाओं के स्तर की मौजूदा स्थिति के बारे में पता चलेगा। इससे डिजाइन, मानकों, प्रथाओं, दिशा-निर्देशों और कॉन्ट्रैक्ट एग्रीमेंट की खामियों को पहचानने में मदद मिलेगी। उन खामियों को दूर करने से बेहतर उपयोगकर्ता अनुभव और हाईवे की गुणवत्ता में सुधार सुनिश्चित हो सकेगा।
ये मिले थे सबसे बेहतरीन हाईवे
219 हाईवे में से एनएच-48 पर अहमदाबाद-वडोदरा के बीच 102 किलोमीटर लंबा रास्ता सबसे अच्छा मिला था। 6-लेन वाला यह नेशनल हाईवे दिल्ली और चेन्नई महानगरों को जोड़ता है। इस सर्वे में एनएच-48 को 100 में से 91.81 का ओवरऑल स्कोर मिला था। दूसरे नंबर पर एनएच-66 पर गोवा, कर्नाटक से कुंडापुर तक का 141 किलोमीटर लंबा हिस्सा रहा था। वहीं, अहमदाबाद-वडोदरा को जोड़ने वाली एनई-1 की 93 किलोमीटर लंबी चार-लेन सड़क को इस सूची में तीसरे स्थान पर रखा गया था। इन तीनों टॉप हाईवे के इन हिस्सों को आईआरबी इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपर्स ने बनाया था।
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तब यह कहा था अफसरों ने
एनएचएआई इंदाैर पीआईयू के तत्कालीन प्रोजेक्ट डायरेक्टर मनीष असाटी ने इस रैंकिंग को लेकर कहा था कि यह हाइवे रेटिंग की प्रक्रिया सड़क एवं परिवहन मंत्रालय द्वारा शुरू की गई है, जो कि अब हर 6 महीने में होनी है। हाइवे यूजर्स के सारे पॉइंट को इसमें लिया गया है। इससे देशभर के हाइवे के प्रोजेक्ट में पारदर्शिता आएगी। राऊ-देवास बायपास की खराब स्थिति को लेकर ऑपरेटर को टर्मिनेशन का नोटिस भी दिया गया है। जो कमियां देखने को मिली हैं उन्हें दूर किया जा रहा है और कोशिश है कि इंदौर के सारे प्रोजेक्ट रैंकिंग में ऊपर आएं।
जाम पर यह सफाई दी है NHAI ने
इंदौर–देवास बायपास और अर्जुन बरोदा ओवरब्रिज क्षेत्र में अब यातायात पूरी तरह से सामान्य हो गया है। वाहनों की आवाजाही अब सुगमता से हो रही है और यात्रियों को किसी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ रहा है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के परियोजना निदेशक सोमेश बांझल ने बताया कि अर्जुन बरोदा क्षेत्र में बनाए गए डायवर्जन मार्ग की मरम्मत का कार्य पूर्ण कर लिया गया है, जिससे अब यहां से वाहन सामान्य रूप से गुजर रहे हैं। साथ ही बाईपास के अन्य हिस्सों में भी ट्रैफिक सुचारू रूप से संचालित हो रहा है।
इंदौर-देवास बायपास पर हुई मौत पर भी झूठ बोल रहा NHAI
जांच में पता चला जाम में नहीं हुई मौत
एनएचएआई की तरफ से जारी बयान में यह भी कहा गया है कि– जांच में स्पष्ट हुआ कि अर्जुन बरोदा बायपास क्षेत्र में जाम के कारण तीन व्यक्तियों की मृत्यु होने की खबर पूरी तरह भ्रामक हैं। बताया गया कि एक व्यक्ति की मृत्यु शाजापुर से इंदौर आते समय हुई थी, जबकि दूसरी घटना लसूड़िया क्षेत्र की है। इन दोनों मामलों का अर्जुन बरोदा क्षेत्र के जाम से कोई संबंध नहीं है। साथ ही अपील की गई है कि नागरिक अफवाहों पर ध्यान न दें और केवल अधिकृत स्रोतों से प्राप्त जानकारी पर ही विश्वास करें।