INDORE. राजस्व न्यायालय (एसडीएम, तहसीलदार) की कार्यशैली को लेकर हाल ही में हाईकोर्ट ने तीखी टिप्पणी की थी और उनकी कार्यशैली, फैसलों की जांच तक की बात कही थी। लेकिन इसका खास असर इन कोर्ट पर नहीं हुआ है। इंदौर कलेक्टोरेट में एसडीएम कोर्ट के एक आदेश से फिर मामला उलझ गया है।
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मकान मालिक-किराएदार में यह था विवाद
मामला राउ क्षेत्र में किराएदार मनोज डोंगले और संपत्ति मालिक ओमप्रकाश भाटी के बीच का है। भाटी की संपत्ति पर एक मेडिकल दुकान के लिए डोंगले ने साल 2021 में किरायानामा अनुबंध किया। मूल रूप से यहां पहले अस्पताल था और इसी के साथ बाद में दुकान खुली। अस्पताल बाद में शिफ्ट हो गया। इसके बाद भाटी परिवार ने दुकान खाली करने के लिए कहा। यही विवाद जिला कोर्ट पहुंचा।
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जिला कोर्ट ने यह दिए आदेश
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इस मामले में फरवरी 2025 में जिला कोर्ट में प्रथम व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ खंड सृष्ट अग्निहोत्री ने आदेश दिए। इसमें अस्थाई निषेधाज्ञा जारी की। इसमें था कि प्रतिवादी (यानी संपत्ति मालिक) दुकान 189 फीट पर बल पूर्वक व अवैधानिक रूप से हस्तक्षेप कर बेदखल व बेकब्जा किए जाने का प्रयास न तो स्वयं करेंगे और न ही किसी अन्य से करवाएंगे। यह आदेश प्रकरण के निराकरण तक या 6 माह तक प्रभावशील रहेगा।
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एसडीएम राउ ने कर दिया बेदखल
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इस मामले में भाटी परिवार ने भरण पोषण एक्ट के तहत संपत्ति पर कब्जे करने और किराएदार डोंगले को बाहर करने का आवेदन लगाय। इस पर एसडीएम राउ गोपाल वर्मा ने केस चलाते हुए इसमें सुनवाई के बाद डोंगले को बाहर करने का आदेश दिया। आदेश देने के बाद उन्होंने तहसीलदार को भेजकर मौके पर डोंगले को बाहर करवया और कब्जा भाटी परिवार को सौंप दिया। जबकि जिला कोर्ट से इसमें निषेधाज्ञा लागू थी।
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