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इंदौर में फर्जी रजिस्ट्री से हुए जमीनों के 100 करोड़ के खेल के खुलासे के बाद आखिरकार पुलिस ने कलेक्टर आशीष सिंह के आदेश पर केस दर्ज कर लिया। पंढरीनाथ थाने पर यह केस हुआ है। इसमें आरोपियों के खिलाफ 420 की धारा के साथ 467, 468 भी लगी है। लेकिन आरोपी अज्ञात हैं। पंजीयन विभाग के उप पंजीयक प्रदीप निगम की शिकायत पर यह केस हुआ है।
अब पुलिस को पता लगाना है कौन है आरोपी
कलेक्टर के आदेश पर 9 दिसंबर 2024 को उप पंजीयकों की पांच सदस्यीय जांच कमेटी गठित की गई थी, जिसकी रिपोर्ट 17 जुलाई को प्राप्त हुई। इसमें 20 रजिस्ट्री फर्जी मिली, जिसमें दो मामलों में पहले ही एमजी रोड थाने पर केस हो चुका है। बाकी 18 मामलों में अब पंढरीनाथ थाने में केस दर्ज हुआ है।
अब पुलिस इस मामले में सभी दस्तावेज जब्त करके पता लगाएगी कि इनकी फर्जी कॉपी किसने प्राप्त की, किसने इसका उपयोग किया और कैसे किया, आवेदन किसने लगाया था, नामांतरण के आवेदन करके संपत्ति का क्या किया, क्या कोई बैंक लोन भी लिया है और इसमें दलाल के साथ ही किसी विभाग के कर्मचारियों की कोई भूमिका है या नहीं। इसमें जिनके नाम आएंगे वह सभी नामजद आरोपी बनेंगे।
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रजिस्ट्री की फॉरेंसिक जांच भी जरूरी
पुलिस को इसके लिए यह भी देखना होगा कि जो कागज, दस्तावेज हैं, उनकी सत्यता कितनी है। फर्जी रजिस्ट्री कब बनी, यह दस्तावेज किस अवधि के हैं और इसमें सील, बाइडिंग, स्याही आदि का उपयोग किस समय हुआ। इसके लिए फॉरेंसिक जांच होगी।
इंदौर में फर्जी रजिस्ट्री मामले को एक नजर में समझें...
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इस तरह मुंबई के व्यक्ति ने किया खुलासा
इस खेल का खुलासा बीते साल अगस्त-सितंबर 2024 में मुंबई में रहने वाले हस्तीमल चौकसे की एक शिकायत से हुआ। दरअसल, चौकसे हर साल एक बार इंदौर आते हैं और निगम में सभी अपने टैक्स भरते हैं। जब वह बीते साल टैक्स भरने आए तो बताया गया कि जोन 3 में शिवविलास पैलेस का प्लॉट तो उनके नाम पर है ही नहीं। इस पर वह चौंक गए। उन्होंने इसकी शिकायत कलेक्टर, निगमायुक्त और पंजीयन विभाग में की। कलेक्टर ने वरिष्ठ जिला पंजीयक दीपक शर्मा को इसकी जांच का जिम्मा दिया।
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जांच की चौंकाने वाली बात आई
जांच में सामने आया कि इस प्लॉट की फर्जी रजिस्ट्री रिकॉर्ड रूम में मौजूद है और इसी फर्जी रजिस्ट्री के आधार पर निगम में इस प्लॉट का नामांतरण दूसरे नाम पर कर लिया गया। इसमें भी कहानी पता चली कि इस प्लॉट पर कचरा फैलने की शिकायतें हुई तो निगम का कर्मचारी वहां गया तो उसे पता चला कि यहां कोई नहीं आता सालों से यह खाली है।
इसके बाद उसने सांठगांठ की और इसकी फर्जी रजिस्ट्री रिकॉर्ड रूम में बनवाकर रखी और फिर इसी आधार पर प्लॉट का नामांतरण अपने नाम करा लिया। इसके बाद इसे बेचने की साजिश की गई। इस पर कलेक्टर ने थाने में केस दर्ज कराया। साथ ही दीपक शर्मा को इस तरह के सभी दस्तावेजों की जांच करने के लिए कहा गया।
इसमें पांच सदस्यीय कमेटी बनाई गई और इन सभी रजिस्ट्री की जांच की तो इस तरह की 20 रजिस्ट्री फर्जी पाई गई। इसमें से 18 के दस्तावेज जुटाकर पंढरीनाथ थाने पर केस दर्ज कराने के लिए आवेदन किया गया है।
जांच में इन संपत्तियों को लिया गया
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नैनोद का सर्वे नंबर 294/1
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चौहानखेड़ी सर्वे नंबर 192/1
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मित्रबंधु नगर सर्वे 1087, 1088, 1092 व अन्य
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न्यायनगर प्लॉट 208
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बिहाड़िया सर्वे 3
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बिहाड़िया सर्वे नंबर 82/2, 84
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गोकन्या महू सर्वे नंबर 72, 190, 191, 181/1, 123, 184, 185
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पिपल्याहाना सर्वे नंबर 213/1
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मूसाखेड़ी सर्वे नंबर 461/3
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पालाखेड़ी सर्वे नंबर 1
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बुढ़ानिया सर्वे नंबर 162/3/1, 161
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प्लॉट 293 उषानगर
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खजराना सर्वे नंबर 664/2
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शिवविलास पैलेस प्लॉट
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छोटा बांगड़दा सर्वे नंबर 103/1/35
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मनोरमागंज प्लॉट 481
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उषा नगर दशहरा मैदान भूखंड 293
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नीर नगर भूखंड 84
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छोटा बांगड़दा सर्वे 103/3
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भिचौली हप्सी के सर्वे नंबर ⅙, 30/1
इस तरह किया गया पूरा खेल
इस पूरे खेल में शामिल लोगों ने पंजीयन विभाग के रिकार्ड रूम प्रभारी मर्दन सिंह रावत के साथ मिलकर खेल किया। इसमें रिकार्ड रूम से असली दस्तावेज हटाकर फर्जी दस्तावेज रख दिए गए। मूल रजिस्ट्री हटाकर फर्जी रजिस्ट्री लगाई गई हैं। इसमें फर्जी दस्तावेज थे, अंगूठे के फर्जी निशान थे।
जांच समिति को यह मामला अंगूठा पंजी से पकड़ में आया क्योंकि जिन जमीनों और संपत्तियों की फर्जी रजिस्ट्री तैयार की गई उनकी मूल अंगूठा पंजी फाड़ दी गई थी। रावत को मई में कलेक्टर ने निलंबित कर दिया था।
कोरोना काल में बनाए गए ये दस्तावेज
जांच में सामने आया है कि जिन संपत्तियों और जमीनों की फर्जी रजिस्ट्री तैयार की गई, ये सभी फर्जी रजिस्ट्री कोरोना काल में की गई हैं जब पंजीयन कार्यालय बंद था। इस समय का फायदा उठाकर इस कृत्य में लिप्त अधिकारी/कर्मचारियों ने फर्जीवाड़े को अंजाम दिया। फिलहाल 27 शिकायतें प्राप्त हुई थीं, जिनकी जांच हुई।
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