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इंदौर में गुरुवार को किसानों के सब्र का बांध टूट गया और जमकर नारेबाजी करते हुए वे कलेक्टर कार्यालय पहुंच गए। यहां पर उन्होंने खाद, फसल, बीमा, बाढ़ आदि सहित 11 मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा। उन्होंने कहा कि जल्दी ही हमारी मांगों को नहीं माना गया तो बड़े स्तर पर जिला स्तरीय आंदोलन किया जाएगा।
सोयाबीन फसल पर पीला मोजेक रोग
जिला किसान कांग्रेस ने बुधवार को कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर किसानों की समस्याओं को लेकर विस्तृत ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कहा गया कि इंदौर जिले के हजारों किसानों की सोयाबीन फसल पीला मोजेक रोग से नष्ट हो रही है। अभी तक फसल सर्वे प्रारंभ नहीं हुआ, जिससे किसानों में आक्रोश है। बीमा कंपनी से किसानों को शीघ्र फसल बीमा लाभ दिलाने की मांग की गई।
अतिवर्षा और बाढ़ से नुकसान
कई गांवों में अतिवर्षा और बाढ़ के कारण सब्जियों और मौसमी फसलों को नुकसान हुआ है। ज्ञापन में मांग की गई कि सर्वे कराकर किसानों को उचित मुआवजा दिलाया जाए। यह ज्ञापन जिला कांग्रेस कमेटी इंदौर के पदाधिकारियों में पूर्व विधायक विपिन वानखेडे, शहर कांग्रेस अध्यक्ष चिंटू चौकसे और जिला किसान कांग्रेस अध्यक्ष जितू ठाकुर के नेतृत्व में सौंपा गया।
सीलिंग एक्ट और सिंहस्थ भूमि
किसान संगठनों ने उज्जैन सीमा पर सीलिंग एक्ट के अवैध कार्यान्वयन का विरोध किया। सिंहस्थ मेले की तैयारियों के लिए किसानों की जमीन स्थायी रूप से अधिग्रहित न करने और परंपरा के अनुसार केवल अस्थायी उपयोग करने की बात कही गई।
खाद की उपलब्धता और मिलावटखोरी
नई फसल के लिए किसानों को डीएपी, यूरिया और अन्य खाद की ज़रूरत है। ज्ञापन में कहा गया कि पूर्व में मिलावटी खाद का भंडारण पकड़ा गया था। इसलिए गुणवत्ता युक्त खाद की उपलब्धता और कालाबाजारी पर रोक के लिए स्थाई व्यवस्था की जाए।
पिछले वर्षों की बीमा राशि
वर्ष 2021-22, 2022-23 और 2023-24 की रबी-खरीफ फसलों का बीमा लाभ अब तक किसानों को नहीं मिला है। इसे तत्काल किसानों तक पहुंचाने की मांग की गई।
भूमि अधिग्रहण पर सवाल
पूर्व-पश्चिम आउटर रिंग रोड, इंदौर-मनमाड़ रेल लाइन, दाहोद रेल परियोजना और ग्रीन कॉरिडोर जैसी परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण को लेकर भी आपत्ति दर्ज कराई गई। किसानों ने कहा कि भूमि अधिग्रहण 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून के अनुसार होना चाहिए और किसानों को बाजार मूल्य का चार गुना मुआवजा मिलना चाहिए।
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आईडीए योजनाएं और सहकारी चुनाव
ज्ञापन में आरोप लगाया गया कि आईडीए की योजनाएं लंबित हैं और नए गांवों में टीपीएस स्कीम लागू कर किसानों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। सहकारी संस्थाओं और कृषि उपज मंडी के चुनाव 10 वर्षों से लंबित हैं, जिससे किसानों के संवैधानिक अधिकारों का हनन हो रहा है।
अधिकारियों की लापरवाही पर नाराजगी
ज्ञापन में कहा गया कि तहसील और उपखंड स्तर के अधिकारी किसानों की समस्याओं से अनभिज्ञ हैं। पटवारी और आरआई जैसे राजस्व कर्मचारियों की मनमानी पर भी सवाल उठाए गए और कठोर कार्रवाई की मांग की गई।जिला किसान कांग्रेस ने चेतावनी दी कि यदि इन समस्याओं का शीघ्र निराकरण नहीं किया गया, तो किसान जिला स्तरीय उग्र आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
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