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Photograph: (TheSootr)
राजस्थान के राजसमंद जिले के नाथद्वारा उपखंड की नमाना ग्राम पंचायत की महिला सरपंच जीना देवी के लिए 8वीं की फर्जी मार्कशीट के मामले में एक बड़ा फैसला आया है। वर्ष 2015 में जीना देवी ने सरपंच पद के लिए चुनावी प्रक्रिया के दौरान 8वीं कक्षा की फर्जी मार्कशीट लगाकर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। अब इस मामले में न्यायालय ने जीना देवी को दोषी करार देते हुए तीन साल का कठोर कारावास और भारी आर्थिक दंड का फैसला सुनाया है।
यह फैसला अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नाथद्वारा के पीठासीन अधिकारी प्रतापसिंह राठौड़ ने सुनाया। इस मामले में पुलिस ने धारा 193, 420, 467, 468, और 471 के तहत आरोप पत्र पेश किया था, और न्यायालय ने सभी धाराओं में सजा का आदेश दिया।
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फर्जी मार्कशीट से चुनाव लड़ने का मामला
साल 2015 में जब नाथद्वारा के नमाना ग्राम पंचायत के सरपंच पद के लिए चुनाव हो रहे थे, तो जीना देवी ने 8वीं कक्षा की मार्कशीट को असली बताकर पेश किया। इस मार्कशीट का उपयोग कर वह सरपंच पद के लिए उम्मीदवार बनीं और चुनाव में जीत हासिल की। जब इस मामले का खुलासा हुआ, तो परिवादी कृष्णा ने 17 अप्रैल 2015 को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के बाद पुलिस ने जांच शुरू की और जीना देवी के खिलाफ अपराध दर्ज किया। पुलिस ने सभी आवश्यक दस्तावेज को एकत्रित किया और आरोप पत्र न्यायालय में पेश किया।
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न्यायालय का निर्णय और सजा
न्यायालय ने जीना देवी द्वारा पेश की गई 8वीं कक्षा की फर्जी मार्कशीट को असल के रूप में स्वीकार करने के आरोप में उसे दोषी ठहराया। न्यायालय ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जीना देवी को विभिन्न धाराओं के तहत सजा सुनाई:
धारा 193 (False evidence): तीन साल का कठोर कारावास और 2,000 रुपए का अर्थदंड।
धारा 420 (Cheating): तीन साल का कठोर कारावास और 3,000 रुपए का अर्थदंड।
धारा 467 (Forgery of valuable security): तीन साल का कठोर कारावास और 5,000 रुपए का अर्थदंड।
धारा 468 (Forgery for purpose of cheating): तीन साल का कठोर कारावास और 2,000 रुपए का अर्थदंड।
धारा 471 (Using forged document as genuine): दो साल का कठोर कारावास और 2,000 रुपए का अर्थदंड।
यदि जीना देवी इस जुर्माने को अदा नहीं करतीं, तो उन्हें अतिरिक्त तीन महीने का साधारण कारावास भुगतना होता।
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न्यायालय का संदेश और समाज पर प्रभाव
यह मामला केवल एक व्यक्तिगत अपराध नहीं है, बल्कि यह पूरी प्रणाली और समाज पर भी असर डालने वाला निर्णय है। न्यायालय ने यह सजा देकर यह स्पष्ट किया कि किसी भी व्यक्ति को फर्जी दस्तावेज के जरिए चुनावी प्रक्रिया में शामिल होकर पद नहीं प्राप्त करने दिया जाएगा।
यह फैसला चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता और पारदर्शिता को बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे समाज में यह संदेश जाएगा कि अगर कोई व्यक्ति फर्जी दस्तावेजों का सहारा लेता है, तो उसे कड़ी सजा मिलेगी। इस फैसले से आने वाले समय में चुनावी उम्मीदवारों को एक सकारात्मक संकेत मिलेगा कि वे सिर्फ अपनी योग्यता और सत्यनिष्ठा से चुनावी प्रक्रिया में भाग लें।
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समाज में बदलाव के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए?
राजस्थान में महिला सरपंच द्वारा फर्जी मार्कशीट का उपयोग के खिलाफ आए इस फैसले के बाद, यह जरूरी है कि समाज में इस प्रकार के फर्जीवाड़े और भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए जागरूकता फैलाई जाए। चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता बनाए रखने के लिए नागरिकों और प्रशासन को मिलकर काम करना होगा।
समाज के लिए महत्वपूर्ण कदम:
शिक्षा और जागरूकता: लोगों को फर्जी दस्तावेज के खतरे और इसके दुष्परिणाम के बारे में जागरूक किया जाए।
सख्त कानून: ऐसे मामलों में कड़ी से कड़ी सजा देने के लिए कानून को और मजबूत किया जाए।
ट्रांसपेरेंसी: चुनावी प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता रखी जाए, ताकि कोई भी व्यक्ति गलत तरीके से पद न प्राप्त कर सके।