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INDORE. इंदौर के मूसाखेड़ी इलाके में 25 करोड़ रुपए की सरकारी जमीन पर कब्जे हो रहे हैं। इस पर इंदौर प्रशासन की लापरवाही रवैया सामने आया है। जिस भूमि को तीन विभागों ने मिलकर अतिक्रमण से मुक्त कराया था। वहां अब फिर से पक्के निर्माण खड़े हो रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि अधिकारियों को इसकी जानकारी है। फिर भी न कोई नोटिस जारी किया गया, न किसी को रोका गया।
पटवारी पहुंची, सिर्फ बोर्ड लगाकर लौटीं
मूसाखेड़ी पटवारी रजनी टीम के साथ मौके पर पहुंची थी। निर्माण रुकवाने के बजाय उन्होंने सिर्फ एक बोर्ड लगाकर खानापूर्ति कर दी। बोर्ड पर लिखा गया यह भूमि शासकीय है, इस पर अतिक्रमण करना दंडनीय अपराध है। खास बात यह है कि जो बोर्ड लगा है उसके पीछे ही निर्माण चल रहा है। अतिक्रमण करने वालों को न तो रोका गया और न ही उनके खिलाफ कोई कार्रवाई की गई।
यहां बिना अनुमति और बिना भवन नक्शा पास कराए ही दुकानें-बिल्डिंगें तैयार हो गईं। इस मामले में पटवारी रजनी ने बताया कि उन्हें एसडीएम का आदेश था कि बोर्ड लगाकर आना है। उन्होंने कहा, मैं बोर्ड लगाकर आ गई।
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फिर से भू-माफियाओं का कब्जा
मूसाखेड़ी की यह शासकीय भूमि इन दिनों फिर से भू-माफियाओं के कब्जे में नजर आ रही है। निर्माण खुलेआम चल रहे हैं, लेकिन जिला प्रशासन और नगर निगम के अधिकारी आंखें मूंदे बैठे हैं। न तो किसी अतिक्रमणकारी को नोटिस दिया गया। न ही कोई अधिकारी मौके पर जाकर निर्माण की जानकारी लेने पहुंचा। इससे यह सवाल उठता है कि क्या प्रशासन की मिलीभगत से यह निर्माण हो रहे हैं? या फिर अधिकारियों ने मौन स्वीकृति दे दी है?
बिना अनुमति और नक्शे के निर्माण
कब्जाधारी ग्रीन नेट और शटर की आड़ में चोरी-छिपे निर्माण कर रहे हैं। बिना किसी अनुमति और नक्शा पास कराए पक्के स्ट्रक्चर खड़े कर दिए गए हैं। यह सब कुछ जिम्मेदार अफसरों को छोड़कर हर किसी को साफ दिखाई दे रहा है, लेकिन कार्रवाई जीरो है।
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यह था मामला
10 दिसंबर 2024 को नगर निगम और जिला प्रशासन ने सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाया था। यह अतिक्रमण मूसाखेड़ी के खसरा नंबर 132 की 45 हजार वर्ग फीट सरकारी जमीन पर था। इस कार्रवाई में गुमटियां और ठेले हटाए गए थे। कलेक्टर और नगर निगम ने ऑफिशियल साइट पर जानकारी पोस्ट की थी। इसमें कहा गया कि इस कदम से ट्रैफिक जाम खत्म होगा और रास्ता सुचारू रहेगा। यह जमीन नगर निगम के जोन नंबर 18 में आती है।
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फिर से कब्जे का खेल शुरू
अब वही जमीन फिर से कब्जाधारियों के अधीन है। अवैध निर्माण दोबारा खड़े हो चुके हैं। ना कोई निरीक्षण, ना नोटिस, ना कार्रवाई। सब कुछ खामोशी में दफन है। सवाल उठता है इतनी बड़ी कार्रवाई के बाद प्रशासन ने निगरानी क्यों बंद कर दी? क्या यह खामोशी ही भू-माफियाओं की हिम्मत बन रही है?
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मामले में हम करवाई करेंगे
इस पूरे मामले में इंदौर के जूनियर SDM प्रदीप सोनी ने कहा कि उक्त मामले में हम करवाई करेंगे। मामला संज्ञान में है। पूरे मामले की जांच तहसीलदार कर रहे हैं।
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