इंदौर शासकीय लॉ कॉलेज में कट्टरता फैलाने के आरोपी रहे पूर्व प्रिंसीपल इनार्मुर रहमान जांच में बरी

इंदौर में पूर्व प्रिंसीपल इनार्मूर रहमान को कट्टरता फैलाने के आरोपों से बरी कर दिया गया है। उच्च शिक्षा विभाग की जांच में उन्हें क्लीन चिट मिली। एबीवीपी के विरोध और एफआईआर के बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी पर रोक लगाई।

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Sanjay Gupta
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Indore. इंदौर के सरकारी लॉ कॉलेज के पूर्व प्रिंसीपल इनार्मुर रहमान को तीन साल बाद कट्टरता फैलाने के आरोपों से मुक्ति मिल गई है। मप्र शासन उच्च शिक्षा विभाग की जांच में उन्हें क्लीन चिट मिली है। एबीवीपी ने इस मामले में आंदोलन किया था। भंवरकुआं थाने पर एफआईआर दर्ज की गई थी।

तत्कालीन गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने गिरफ्तारी की बात कही थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाई थी। अंत में, उन्हें क्लीन चिट मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने मप्र शासन के रवैए पर फटकार लगाई थी।

मप्र शासन ने यह जारी किया आदेश

मध्य प्रदेश उच्च शिक्षा विभाग अवर सचिव वीरन सिंह भलावी द्वारा इस संबंध में आदेश जारी किए गए हैं। इसमें कहा गया है कि ABVP की तरफ इस संबंध में शिकायत की गई थी। इस पर जांच समिति बनाकर रिपोर्ट ली गई।

समिति ने शैक्षणिक संस्थान में धार्मिक कट्टरता फैलाने, पक्षपाती काम करने, सामाजिक समरसता और सौहार्दता को भंग करने, और शासकीय नीतियों के खिलाफ छात्रों को गुमराह करने की बात कही थी। साथ ही, उन्होंने इसकी निंदा की थी।  इस पर 9 दिसंबर 2022 को उन्हें निलंबित किया गया और विभागीय जांच बैठाई गई थी। 

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विभागीय जांच में यह बात आई

विभागीय जांच में साक्षियों के कथन और दस्तावेज़ों की कमी से आरोप प्रमाणित नहीं हो सके। साथ ही इस मामले में भंवरकुआं थाने में दर्ज की गई FIR को भी सुप्रीम कोर्ट की तरफ से खारिज कर दिया गया। इसलिए जांच अधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर उनकी जांच यहीं पर समाप्त की जाती है। डॉ. रहमान 31 मई 2024 को सेवानिवृत्त हो चुके हैं। ऐसे में निलंबन अवधि 9 दिसंबर 2022 से 31 मई 2024 तक के सभी लाभ दिए जाते हैं।

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यह था पूरा मामला

साल दिसंबर 2022 में सरकारी लॉ कॉलेज इंदौर में शिक्षकों पर धार्मिक कट्‌टरता फैलाने का आरोप लगा। ABVP ने आरोप लगाए कि किताब सामूहिक हिंसा एवं दाण्डिक न्याय पद्धति को पढ़ाया जा रहा है जो धार्मिक सौहार्द के खिलाफ है।

किताब के लेखक डॉ. फरहत खान, प्राचार्य इनामुर्रहमान और प्रोफेसर डॉ. मिर्जा मोईज के खिलाफ केस दर्ज किया गया। आरोप है कि किताब में बिना साक्ष्य के हिन्दू धर्म के खिलाफ झूठी टिप्पणियां की गई। मुस्लिम शिक्षकों ने जानबूझकर छात्रों को रेफर किया।

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