पिछले महीने जिला एवं सत्र न्यायालय (District and Sessions Court) के एक न्यायाधीश ने लूट (Robbery) का मामला दर्ज करवा दिया और युवक को जेल भेज दिया था।
हालांकि, इंदौर हाईकोर्ट (Indore High Court) ने सुनवाई के बाद युवक को जमानत दे दी और कहा कि लूट जैसी कोई घटना नहीं घटी थी। कोर्ट ने सीसीटीवी फुटेज (CCTV Footage) भी देखे और पाया कि यह सिर्फ एक विवाद और मारपीट का मामला था।
पुलिस ने गिरफ्तार कर भेजा जेल
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि जिला कोर्ट (District Court) के न्यायाधीश मोहित रघुवंशी (Judge Mohit Raghuvanshi) ने शैलेंद्र नागर (Shailendra Nagar) के खिलाफ कनाड़िया थाना (Kanadiya Police Station) में लूट की धाराओं के तहत केस दर्ज करवाया था।
शैलेंद्र को पुलिस ने तुरंत गिरफ्तार किया और पहले रिमांड पर लिया, फिर जेल भेज दिया। जिला एवं सत्र न्यायालय ने शैलेंद्र की जमानत अर्जी (bail application) भी खारिज कर दी थी।
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जज की गाड़ी से विवाद
हाईकोर्ट में अधिवक्ता मनीष यादव (Advocate Manish Yadav) और करण बैरागी (Karan Bairagi) ने शैलेंद्र की जमानत अर्जी दायर की थी। उन्होंने घटना की रात के सीसीटीवी फुटेज (CCTV Footage) को प्रस्तुत किया।
फुटेज में साफ देखा जा सकता है कि शैलेंद्र की कार को कट मारने के बाद न्यायाधीश ने उन्हें रोका। न्यायाधीश अपने दुपहिया वाहन (Two-Wheeler) से कार के पास आए और शैलेंद्र ने कार का शीशा नीचे कर उनसे बातचीत की।
सीसीटीवी रिकॉर्डिंग से सामने आया सच
सीसीटीवी रिकॉर्डिंग में कहीं भी लूट जैसी घटना नहीं दिख रही है, बल्कि सामान्य कहासुनी और विवाद की झलक मिलती है। घटना शैलेंद्र की किराना दुकान (Shailendra’s Grocery Store) के सामने हुई थी।
हाईकोर्ट (High Court) ने शैलेंद्र की जमानत स्वीकार करते हुए कहा कि सीसीटीवी फुटेज देखकर स्पष्ट है कि केवल मारपीट हुई थी, लूट जैसा कुछ नहीं था। अभियुक्त का कोई आपराधिक रिकॉर्ड भी नहीं है और घटना स्थल उसकी दुकान के सामने ही था। इसलिए, उसे जमानत दी जाती है।
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