इंदौर में हाईकोर्ट की दो टूक, सरकार के पास पर्याप्त अधिवक्ता तो पैनल लॉयर की जरूरत क्यों?

हाई कोर्ट की डिविजन बेंच ने सरकार की अपील खारिज करते हुए कहा कि जब सरकार के मामलों की पैरवी के लिए अतिरिक्त महाधिवक्ता, उप महाधिवक्ता, उप शासकीय महाधिवक्ता, शासकीय अधिवक्ता पर्याप्त हैं तो फिर पैनल लॉयर को क्यों भेजा जाता है।

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Vishwanath Singh
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इंदौर में हाईकोर्ट ने पेंशन के प्रकरण में सरकार द्वारा लगाई गई अपील को खारिज कर दिया है। साथ ही यह भी कहा है कि जब सरकार के पास बड़ी संख्या में अधिवक्ता मौजूद हैं। इसमें अतिरिक्त महाधिवक्ता, उप महाधिवक्ता, उप शासकीय महाधिवक्ता, शासकीय अधिवक्ता आदि शामिल हैं तो फिर पैरवी के लिए पैनल लॉयर की जरूरत क्यों पड़ रही है? पैनल लॉयर को सीमित किया जाए। 

प्रमुख सचिव विधि विभाग को जाएगी आदेश की कॉपी

हाई कोर्ट की डिविजन बेंच ने सरकार की अपील खारिज करते हुए कहा कि जब सरकार के मामलों की पैरवी के लिए अतिरिक्त महाधिवक्ता, उप महाधिवक्ता, उप शासकीय महाधिवक्ता, शासकीय अधिवक्ता पर्याप्त हैं तो फिर पैनल लॉयर को क्यों भेजा जाता है। इनकी उपस्थिति को सीमित किया जाना चाहिए। बेंच ने आदेश की प्रति मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव विधि विभाग को भेजने के आदेश भी दिए हैं। इस मामले की सुनवाई जस्टिस विवेक रुसिया और जस्टिस गजेंद्र सिंह कर रहे हैं।

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पेंशन के प्रकरण में रिट पिटीशन की थी दायर

 सिंगल बेंच (जस्टिस सुबोध अभ्यंकर) के समक्ष पेंशन से जुड़े मामले में रिट पिटिशन दायर की गई थी। यह पिटिशन सुरेंद्र सिंह परिहार ने दायर की थी। पिटिशन पहली ही सुनवाई पर हाई कोर्ट ने स्वीकार कर ली थी। सिंगल बेंच के समक्ष शासन की तरफ से पैरवी करने के लिए पैनल लॉयर को भेज दिया गया था। उनके द्वारा जवाब पेश करने के लिए समय नहीं मांगा गया।

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राज्य ने तर्क दिया कि याचिका के तथ्य अलग हैं

साथ ही यह कह दिया कि ठीक इसी तरह का मामला प्रिसिंपल बेंच जबलपुर में निर्धारित हो चुका है। कोर्ट ने उसे स्वीकार करते हुए आदेश पारित कर दिया। अतिरिक्त महाधिवक्ता कार्यालय ने शासन की तरफ से उक्त आदेश की अपील दायर की। उप महाधिवक्ता सुदीप भार्गव शासन की पैरवी करने उपस्थित हुए। राज्य ने यह रिट अपील इस आधार पर की है कि याचिका के मामले के तथ्य अलग हैं। प्रिसिंपल बेंच में जो समानांतर मामला निर्धारित हुआ था उससे यह मामला बिलकुल अलग है। हाई कोर्ट ने फैसले में कहा कि हम महाधिवक्ता कार्यालय की इस कार्यप्रणाली की सराहना नहीं करते हैं।

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कौन होते हैं पैनल लॉयर

"पैनल लॉयर" का मतलब है एक वकील जो किसी संगठन या अदालत द्वारा नियुक्त किया जाता है, ताकि वह जरूरतमंद या निर्धन व्यक्तियों को मुफ्त या कम लागत वाली कानूनी सेवाएं प्रदान कर सके। पैनल लॉयर को राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) या राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (SLSA) द्वारा नियुक्त किया जाता है। ये वकील उन लोगों को कानूनी सहायता प्रदान करते हैं जो अपनी कानूनी लड़ाई के लिए पैसे खर्च करने में सक्षम नहीं हैं। पैनल लॉयर अदालत में जरूरतमंद व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं और उन्हें कानूनी सलाह देते हैं।

वकीलों को पैनल में शामिल होने के लिए एक विशिष्ट प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, जिसमें उनकी योग्यता और अनुभव की जांच की जाती है। अलग-अलग प्रकार के मामलों के लिए अलग-अलग पैनल हो सकते हैं, जैसे कि सिविल, आपराधिक, संवैधानिक, वैवाहिक, पर्यावरण, श्रम कानून आदि। दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (DSLSA) के अनुसार, "पैनल वकील" का मतलब है राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) के विनियमन 8 के तहत चयनित वकील जो जरूरतमंद व्यक्तियों को मुफ्त और सक्षम विधिक सेवा प्रदान करता है। 

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पहले थी सरकारी अधिवक्ताओं की कमी

राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता को सहमति देने से पहले रिट न्यायालय के समक्ष सतर्क रहना चाहिए। महत्वपूर्ण मामलों में राज्य का प्रतिनिधित्व पैनल अधिवक्ताओं द्वारा किया जा रहा है। पैनल अधिवक्ताओं को एजी कार्यालय में रखा जाता है, क्योंकि पहले सरकारी अधिवक्ताओं की कमी थी। लेकिन अब अतिरिक्त महाधिवक्ता, उप महाधिवक्ता, शासकीय अधिवक्ता और उप शासकीय अधिवक्ता पर्याप्त संख्या में हैं। न्यायालयों में पैनल अधिवक्ताओं की न्यूनतम उपस्थिति होनी चाहिए। 

 

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