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इंदौर के आईटी सेक्टर को लेकर बड़ा विवाद सामने आया है। इलेक्ट्रॉनिक्स कॉम्प्लेक्स स्थित एमपीएसईडीसी (मध्यप्रदेश स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन) की बिल्डिंग को सरकार ने मात्र 10 लाख रुपए वार्षिक किराए पर 50 साल की लीज पर निजी कंपनी इन्फोबीन्स को सौंप दिया है। खास बात यह है कि वर्तमान में यहां 15 आईटी कंपनियां काम कर रही हैं, जिनसे सरकार को सालाना 1.75 करोड़ रुपए से अधिक का राजस्व मिल रहा है। अन्य आईटी कंपनियों का आरोप है कि सरकार ने केवल सिंगल टेंडर के जरिए ही यह ठेका इन्फोबीन्स कंपनी को दे दिया। इसके विरोध में कंपनियां हाई कोर्ट पहुंची हैं।
सिंगल बिड पर हुआ अलॉटमेंट
जानकारी के अनुसार, एमपीएसईडीसी ने इस प्रोजेक्ट को पीपीपी मॉडल पर इन्फोबीन्स को अलॉट किया है। तीन एकड़ जमीन के लिए कंपनी ने 2.18 करोड़ रुपए एकमुश्त जमा कराए हैं। कंपनी की लीज 50 साल के लिए होगी और इससे सरकार को हर साल केवल 10 लाख रुपए किराया मिलेगा। इन्फोबीन्स यहां 4 लाख वर्ग फीट का कंस्ट्रक्शन कर आईटी कंपनियों को ऑफिस किराए पर देगी। दावा है कि इससे लगभग 2 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा।
कंपनियों को 3 महीने में खाली करने का नोटिस
फिलहाल कॉम्प्लेक्स में काम कर रही 15 आईटी कंपनियों को तीन महीने के भीतर परिसर खाली करने का नोटिस दे दिया गया है। जबकि इन कंपनियों के पास 2028 तक की वैध लीज है और उन्होंने स्टांप ड्यूटी भी चुकाई है। कंपनियों का कहना है कि यह कदम उनकी वैधानिक लीज और अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन है।
अन्य आईटी कंपनियों का आरोप
लीज एग्रीमेंट की धारा 6.1 और 6.2 के उल्लंघन का आरोप।
2026 और 2028 तक वैध लीज होने के बावजूद अचानक बेदखली।
बिल्डिंग की लाइफ 60 साल होती है, जबकि इनमें से एक बिल्डिंग महज 12 साल पुरानी है।
लीज को 90 साल तक बढ़ाया जा सकता है।
कंपनियों का दावा – 250 करोड़ का नुकसान
इन कंपनियों ने एमपीएसईडीसी को नोटिस भेजकर सवाल उठाया है कि जब सरकार को सालाना 1.75 करोड़ की आय हो रही है तो फिर इतने कम किराए पर 50 साल के लिए लीज क्यों दी गई। उनका दावा है कि इस निर्णय से 250 करोड़ से अधिक का नुकसान होगा और 700 कर्मचारियों सहित करीब 2500 लोग प्रभावित होंगे। कई कंपनियां हाईकोर्ट तक पहुंच चुकी हैं।
2 हजार लोगों को मिलेगा रोजगार
एमपीएसईडीसी के जीएम द्वारकेश सराफ का कहना है कि इस निर्णय से शहर में नए आईटी पार्क की शुरुआत होगी, जिससे 2 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। उन्होंने साफ कहा कि प्रक्रिया भोपाल स्तर से हुई है और कंपनियों को 30 अगस्त तक बिल्डिंग खाली करनी होगी।
हमने चोरी–छिपे नहीं दिया टेंडर
साइंस एंड टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट के अपर मुख्य सचिव संजय दुबे का कहना है कि हमने कोई चोरी–छिपे टेंडर नहीं दिया है। ओपन टेंडर के जरिए प्रक्रिया की गई है। उनका कहना है कि बिल्डिंग पुरानी हो चुकी है और वहां बड़ी आईटी कंपनियां काम करने में रुचि नहीं लेतीं। सरकार का उद्देश्य मुनाफा कमाना नहीं बल्कि अधिक आईटी कंपनियों को स्थान देना है।