खुजली मिटाने वाले जालिम लोशन से एलर्जी, रिपोर्ट में अफसरों ने लिखा- रद्द कर सकते हैं उत्पादन की अनुमति

खुजली मिटाने के लिए एक व्यक्ति ने लोशन लगाया तो उससे खुजली तो नहीं मिटी, बल्कि उल्टा एलर्जी हो गई। इसके बाद उसने कंपनी के लोशन की शिकायत सेंट्रल के ड्रग अफसरों से कर डाली।

author-image
Vishwanath Singh
New Update
The Sootr

The Sootr

Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

इंदौर की एक लोशन बनाने वाली कंपनी का अजीब मामला सामने आया है। इसका खुजली मिटाने वाला लोशन इन दिनों लोगाें की खुजली मिटाने के बजाए उन्हें एलर्जी दे रहा है। इसी से संबंधित एक शिकायत जब केंद्र के अफसरों को हुई तो बड़ा खुलासा हुआ। अफसरों ने कंपनी परिसर का निरीक्षण किया तो कई चौंकने वाली बातें सामने आई हैं। मामला इतना गंभीर था कि ड्रग डिपार्टमेंट के अफसरों ने अपनी रिपोर्ट में यहां तक लिख दिया कि कंपनी में जो गड़बड़ियां मिलीं हैं उसके आधार पर ही कंपनी के उत्पादन की अनुमति को निलंबित या रद्द किए जाने की अनुशंसा की जा सकती है। हालांकि अब देखना यह है कि कंपनी से लिए गए सैंपल की जांच रिपोर्ट में क्या आता है। क्योंकि उसके बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। 

खुजली मिटने के बजाए हो गई एलर्जी

खुजली मिटाने के लिए एक व्यक्ति ने लोशन लगाया तो उससे खुजली तो नहीं मिटी, बल्कि उल्टा एलर्जी हो गई। इसके बाद उसने कंपनी के लोशन की शिकायत सेंट्रल के ड्रग अफसरों से कर डाली। अफसरों ने भी इसमें तत्काल कार्रवाई करते हुए लोशन की सैंपलिंग की कार्रवाई कर डाली है। इस कार्रवाई से संबंधित एक महत्वपूर्ण दस्तावेज द सूत्र के हाथ लगा है। जिसमें कहा गया है कि फर्म को प्रदान की गई उत्पाद निर्माण की अनुमति को निलंबित या रद्द भी किया जा सकता है। हालांकि अब आगे की कार्रवाई के लिए इसकी रिपोर्ट आने का इंतजार किया जा रहा है। गौरतलब है कि इंदौर की दवा कंपनियां मॉर्डन, नंदिनी, अल्पा, रसोमा के सैंपल आए दिन फेल होते रहते हैं। कुछ कंपनियों की दवाओं को तो देश के कुछ हिस्सों में ब्लैक लिस्ट भी किया जा चुका है।

यह है पूरा मामला

इंदौर के पास राऊ स्थित ओरिएंटल केमिकल वर्क्स के नाम से कंपनी स्थित है। यह कंपनी 1958 से भी पहले के समय से लोशन आदि बनाने का काम कर रही है। इसी कंपनी द्वारा जालिम लोशन का निर्माण भी किया जाता है जो कि पूरे देशभर में सप्लाई किया जाता है। इसके जालिम लोशन को लगाने से एक ग्राहक की खुजली तो नहीं मिटी, बल्कि उल्टा एलर्जी और हो गई। 

यह खबर भी पढ़ें...इंदौर में तिरंगा यात्रा में उमड़ा जनसैलाब, सीएम पूरे जोश में बोले- अब दुनिया देख रही है भारत की नई शक्ति

सेंट्रल को हुई शिकायत के बाद हुई जांच

सेंट्रल ड्रग लायसेंसिंग अथॉरिटी (CDSCO) के अफसरों के मुताबिक विभाग पिछले दिनों एक शिकायत मिली थी। उसके बाद सेंट्रल और स्टेट दोनों के ही अफसरों की टीम ने सप्ताहभर पहले ज्वाइंट रुप से इंस्पेक्शन किया था। टीम ने मौके से जालिम लोशन के सैंपल लिए और उन्हें जांच के लिए भेज दिया। सेंट्रल और स्टेट दोनों की ही टीमों ने अलग–अलग सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे हैं।

यह खबर भी पढ़ें...जयस का स्थापना दिवस : क्या मध्य प्रदेश में तीसरी ताकत बनेगा आदिवासियों का सबसे चर्चित संगठन जयस

द सूत्र के हाथ लगा जांच रिपोर्ट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा

द सूत्र के हाथ जांच रिपोर्ट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा लगा है। उसमें कहा गया है कि–  उपरोक्त के मद्देनज़र, और उपरोक्त निष्कर्षों के आधार पर, संयुक्त निरीक्षण दल का निम्नलिखित मत है:

a) ज़ालिम लोशन की उत्पाद अनुमति को निलंबित / रद्द किया जा सकता है जब तक कि फर्म ज़ालिम लोशन की औषधि स्वीकृति स्थिति, संयुक्त जांच रिपोर्ट में उल्लिखित टिप्पणियों और जांच के दौरान उठाए गए प्रश्नों के संबंध में स्पष्टीकरण प्रस्तुत नहीं करती, जिसके लिए फर्म ने उत्तर देने हेतु समय मांगा है (जैसा कि दिनांक 05.05.2025 की फर्म की शपथपत्र में उल्लेखित है) — आगे की संयुक्त जांच के लिए।

b) आगे की उपयुक्त कार्रवाई सरकारी विश्लेषक की रिपोर्ट के आधार पर की जा सकती है।

The Sootr
रिपोर्ट का यह महत्वपूर्ण हिस्सा लगा हाथ

  

दोनों टीमों ने एक साथ ही कार्रवाई

मप्र के स्टेट लायसेंसिंग अथॉरिटी मनमोहन मोलासरिया ने बताया कि ड्रग डिपार्टमेंट के केंद्र के अफसरों को जालिम लोशन को लेकर शिकायत मिली थी। उसमें बताया गया था जालिम लोशन लगाने से किसी कस्टमर को एलर्जी हो गई है। उसके बाद हमें पत्र लिखकर संयुक्त रूप से जांच करने के लिए कहा गया था। हमारी टीम ने उनके अफसरों के साथ मिलकर कंपनी से सैंपलिंग कर ली है। अब आगे की कार्रवाई चल रही है। जैसे ही सैंपल की रिपोर्ट आ जाएगी। उसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। 

यह खबर भी पढ़ें...जयस का स्थापना दिवस : क्या मध्य प्रदेश में तीसरी ताकत बनेगा आदिवासियों का सबसे चर्चित संगठन जयस

सैंपलिंग के बाद कोई जानकारी नहीं दी

कंपनी के डायरेक्टर नवीन झा का कहना है कि डिपार्टमेंट की तरफ से हमें केवल सैंपलिंग किए जाने को लेकर जानकारी मिली थी। उनके अफसरों ने कंपनी से सैंपलिंग की भी थी। मैं उस समय इंदौर से बाहर था। हालांकि कंपनी के स्टाफ मौजूद थे। उसके बाद आगे की क्या कार्रवाई हुई है। उसकी कोई जानकारी अभी तक विभाग की तरफ से हमें नहीं दी गई है। 

यह खबर भी पढ़ें...बॉलीवुड एक्टर सैफ अली खान की भोपाल, सीहोर और रायसेन की करोड़ों की जमीन शत्रु संपत्ति विवाद में

कर्नाटक सरकार ने वापस बुलवाई दवाएं

इंदौर की फार्मा कंपनियों की हालही में एक और टेस्ट रिपोर्ट सामने आई है। इसमें इंदौर की 3 दवा कंपनियां अल्पा लेबोरेटरीज, रसोमा लेबोरेटरीज और मॉर्डन लेबोरेटरीज, एक कंपनी खरगोन की आईएचएल लाइफसाइंसेज सहित कुल 8 दवा कंपनियों की 9 दवाईयां स्टेरिलिटी परीक्षण (स्वच्छता जांच) में फेल हो गई है। यह टेस्ट कर्नाटक में सप्लाई की गई दवाओं से लिए गए सैंपल से किए थे। इसकी रिपोर्ट आने के बाद कर्नाटक सरकार ने दवा कंपनियों को लेकर आड़े हाथाें लेते हुए उनकी दवाईयों को पूरे भारत से वापस बुलाने की मांग केंद्र सरकार से की है। 

मॉर्डन के ही सैंपल लगातार हो रहे फेल

कुछ दिन पूर्व ही द सूत्र ने इंदौर की 7 दवा कंपनियां की 16 जीवनरक्षक दवाओं के सैंपल फेल होने की खबर प्रकाशित की थी। उसमें बताया था कि इनके सैंपल मई, जून, अगस्त, अक्टूबर, नवंबर, दिसंबर और जनवरी महीने में फेल हुए हैं। ये सभी सैंपल नॉन स्टैंडर्ड क्वालिटी (NSQ) के मिले हैं। इसमें दो कंपनियां मॉडर्न लेबोरेट्रीज और नंदिनी मेडिकल लेबोरेट्रीज के सबसे ज्यादा 10 सैंपल हैं जो कि फेल हुए हैं। वहीं, जेनेथ फार्मा और सिंडिकेट तो ऐसी हैं जिनकी एक ही दवाई के अलग–अलग बैच नंबर के सैंपल भी मानकों पर खरे नहीं उतर पाए हैं।

सेंट्रल अथॉरिटी की लगातार सैंपलिंग में खुली पोल

असल में देशभर में बन रही और बिक रही दवाईयों की सैंपलिंग को लेकर सेंट्रल ड्रग अथॉरिटी निगरानी रखती है। निरंतर नियामक निगरानी के तहत दवाओं के नमूने बिक्री/वितरण बिंदु से एकत्र किए जाते हैं। उनका विश्लेषण किया जाता है और मानक गुणवत्ता के अनुरूप नहीं (NSQ) पाई गई दवाओं की सूची हर महीने CDSCO पोर्टल पर प्रदर्शित की जाती है। इसी सूची में इंदौर की दवा कंपनियों के सैंपल लगातार फेल होते दिख रहे हैं। NSQ सूची प्रदर्शित करने का उद्देश्य हितधारकों को बाजार में पाए गए दवाओं के NSQ बैचों के बारे में जागरूक करना है।

 

इंदौर सैंपलिंग कंपनी राऊ दवा कंपनियां