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MP News: इंदौर महापौर पद पर पुष्यमित्र भार्गव के कार्यकाल के तीन साल 5 अगस्त 2025 को पूरे हो रहे हैं। इस मौके पर भार्गव ने 352 पन्नों का खुद का रिपोर्ट कार्ड जारी किया है। इसमें छोटे-बड़े करीब तीन हजार कामों का ब्यौरा दिया गया है। यानी एक दिन में तीन काम। भार्गव ने इस रिपोर्ट कार्ड पर नारा दिया है- असंभव को कर दिखाया संभव, भविष्य के इंदौर की आधारशिला, आत्मनिर्भर इंदौर और नवाचार।
महापौर ने शपथ पर यह कहा था
भार्गव ने जब शपथ ली तब उन्होंने निगम के एक्ट, संविधान आदि पर भी हाथ रखा था। अपने संबोधन में कहा था कि वे देवी अहिल्या के आदर्शों से प्रेरणा लेते हैं और अंतिम पंक्ति के शख्स के लिए संघर्ष करता रहूंगा। इंदौर को बंगलुरू और हैदराबाद से आगे ले जाने का प्रयास करूंगा। दुनिया का ऐसा शहर बनाएंगे जहां तकनीक, ग्रीनरी, हाई टेक और स्मार्ट सिटी में इंदौर की विश्व में चर्चा हो।
महापौर के रूप में काम के दावे
महापौर ने अपने काम के साथ लगे मित्र शब्द का उपयोग करते हुए खुद को शहर और शहवासियों का मित्र बताया था। अब तीन साल होने पर उन्होंने कहा कि- हमने गत तीन वर्षों में इंदौर ने ना सिर्फ अवसंरचना और नागरिक सुविधाओं में सुधार किया, बल्कि ग्रीन फाइनेंसिंग, स्मार्ट ट्रैफिक सिस्टम, डिजिटल गवर्नेंस और यूथ इन्वॉल्वमेंट जैसे क्षेत्रों में राष्ट्रीय स्तर पर उदाहरण प्रस्तुत भी किया वहीं जनमानस से जुड़े मूलभूत कार्यों के क्रम में एक दिन में तीन काम कर तीन वर्षों में 3000 से अधिक मूलभूत कार्यों को पूर्ण कर नगरवासियों को सुविधा देने का कार्य भी किया।
यदि बड़े काम की बात करें तो यह अहम
तीन हजार काम को अलग रखते हुए यदि बड़े कामों की बात करें तो,
- हुकुमचंद मिल का 32 साल पुराना केस का निराकरण हुआ, हजारों मजदूरों को न्याय मिलने का रास्ता खुला।
- जलूद सोलर प्रोजेक्ट की आधारशिला, ग्रीन बांड जारी हुए।
- स्मार्ट सिटी के लिए क्यूआर का डिजिटल पता पायलट प्रोजेक्ट शुरू, 60 हजार सीसीटीवी लगाने की नीति बनी, एरिया चिन्हित, अभी लगना बाकी।
- कर्बला जमीन पर निगम को कब्जा मिलना।
- पहली बार 1000 करोड़ का टैक्स जमा होना, वन टाइम सेटलमेंट योजना जल कर के लिए लाए।
- पेपरलेस बजट लाए। ऑनलाइन पर जोर, निगम का पोर्टल भी इसी माह लाने की तैयारी।
- 450 करोड़ की लागत से एक साथ 23 मास्टर प्लान की सड़कों का निर्माण कार्य शुरू किया।
- नर्मदा जलापूर्ति योजना का चौथा चरण ₹2,134 करोड़ की लागत से प्रारंभ हो चुका है। यह परियोजन आने वाले 25 साल के लिए।
- ऑनलाइन डिमांड पर कचरा उठाने की व्यवस्था, मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से नागरिक अब अपने घर, दुकान या किसी सार्वजनिक स्थान से कचरे के निपटान के लिए तत्काल निगम की सेवाएं प्राप्त कर सकेंगे।
- इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (ITMS) की शुरुआत कर स्मार्ट ट्रैफिक सिग्नल, CCTV निगरानी, ई-चालान और डिजिटल मैपिंग को जोड़ा गया है, ट्रैफिक मित्र शुरू किया। एक हजार लोग जुड़े गौशाला पर काम।
- नदियों, नालों और जल स्रोतों को पुनर्जीवित करना, वेस्ट से बेस्ट में प्रयोग कर राम मंदिर की रेप्लिका जैसी वैश्विक प्रतिकृति बना कर दुनिया में अलग पहचान बनाई।
3 पॉइंट्स में समझें खबर👉 इंदौर महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने 352 पन्नों का रिपोर्ट कार्ड जारी किया। इसमें 3000 कार्यों का विवरण दिया गया। इन कार्यों में इन्फ्रास्ट्रक्चर, नागरिक सुविधाओं में सुधार, ग्रीन फाइनेंसिंग, स्मार्ट ट्रैफिक सिस्टम, डिजिटल गवर्नेंस और यूथ इन्वॉल्वमेंट शामिल हैं। 👉उनके कार्यकाल में निगमायुक्तों के साथ मनमुटाव की समस्याएं आईं, जिससे प्रशासनिक स्तर पर संबंध अच्छे नहीं रहे। कई बार वह अपने ही अधिकारियों और कर्मचारियों पर सवाल उठाते हुए दिखाई दिए, जो उनके लिए एक चुनौती बना। 👉महापौर नागरिकों से सीधा जुड़ाव रखते हैं और शहर में घूमकर उनसे मिलते हैं। शहर की पुरानी समस्याएं जैसे जल जमाव, ट्रैफिक की स्थिति और खराब सड़कें अभी तक हल नहीं हो पाई हैं। |
भार्गव, राजनेता, प्रशासक और शहर के मित्र के रूप में कैसे
एबीवीपी के बाद युवा मोर्चा की राजनीति करने वाले भार्गव ने बाद में कानून की राह पकड़ी और कम उम्र में ही एएजी का पद संभाला। लेकिन चाहत, मंशा और समय, संबंध सबके गठजोड़ ने महापौर का टिकट दिलवाया और करीब 1.30 लाख से चुनाव जीते। राजनेता के रूप में देखा जाए तो भार्गव ने सभी को साथ लेने की कोशिश की है और इसमें भी कैलाश विजयवर्गीय के काफी करीबी हैं। बाकी नेतानगरी से भी ठीक पैठ है, लेकिन पूर्व महापौर और विधायक मालिनी गौड़ के साथ दूरियां बनी रही है। यह राजनीतिक है।
भार्गव केवल महापौर पद पर नहीं रूकना चाहते हैं, नजरें 2028 के विधानसभा चुनाव में हैं और उनके लिए मुफीद विधानसभा इंदौर चार और राऊ है। ऐसे में राजनीतिक प्रतिंददिता बनी हुई है। अपने कानूनी अनुभव के चलते महापौर ने कोशिश की है वह प्रशासक भी बढ़िया बने। लेकिन पहले दो साल तो तत्कालीन निगमायुक्त प्रतिभा पाल और फिर हर्षिका सिंह के साथ मनमुटाव में निकल गए। बाद में निगमायुक्त शिवम वर्मा आए। इनके साथ ठीक गाड़ी चल रही है। हालांकि ब्यूरोक्रेसी और उनके बीच में संबंध पूरे तीन साल में बहुत अधिक मधुर नहीं दिखे हैं।
कई बार वह अपने ही अधिकारी, कर्मचारियों को घेरते हुए दिखे हैं, इसके चलते उनका भरोसा वह हासिल नहीं कर सके हैं जो वह कर सकते थे। उधर बात करें मित्र के रूप में जिसका नारा देकर वह पद पर आए। इसमें उन्होंने यह तो किया है कि वह शहर में सभी के लिए सुलभ रहे हैं और शहर में घूमते हुए मिले हैं और लोगों से सीधे जुडे।
कोई भी उनसे कभी भी मिल सकता है और आसानी से बात कर सकता है। लेकिन संपत्ति कर में स्लैब और जोन बदलकर संपत्तिधारकों को बड़ा झटका दिया, जलकर भी बढ़ाया। हालांकि निगम ने सालों से इसे नहीं बढाया था और सरकार ने भी काफी कटौती कर दी है ज एक मजबूरी बन चुका ह। लेकिन मूलभूत बातों की बात करें तो पुरानी समस्याएं बररकार है, जल जमाव अब नासूर हो चुका है, बारिश के बाद गड्ढे, जगह-जगह खुदा शहर, बदहाल ट्रैफिक और कई बार पीली गैंग की दादागिरी यह अभी भी लोगों के लिए परेशानी का सबब है जिसका अभी हल निगम के पास नहीं है।
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