संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर नगर निगम से एक साल से भी कम समय में राज्य प्रशासनिक सेवा 2012 बैच के अपर आयुक्त अभिषेक गेहलोत की विदाई के पीछे की वजह महापौर पुष्यमित्र भार्गव की नाराजगी सामने आई है। सूत्रों के अनुसार गेहलोत के बाद राजस्व विभाग का जिम्मा था। लेकिन महापौर के बताए कामों, योजनाओं की लगातार अनदेखी हो रही थी। चुनावी साल में महापौर को भी शहर में काम करना है और अधिकारियों के बीच भी पकड़ बनाना है, ऐसे में उन्होंने हाल ही में सीएम शिवराज सिंह चौहान से इस बारे में बात की थी, जिसके बाद ट्रांसफर लिस्ट में गेहलोत का नाम जुड़ गया। उनका ट्रांसफर देवास हुआ।
IAS मिश्रा की छवि बढ़िया अधिकारी की
गेहलोत की जगह 2017 बैच के आईएएस अभिलाष मिश्रा को पदस्थ किया गया है। उनकी छवि बेहद साफ और बढ़िया अधिकारी की है। काम करने की शैली भी तेज है और सभी को सुनते हैं। उनकी छवि पूर्व में निगमायुक्त रह चुके और वर्तमान में भोपाल कलेक्टर आशीष सिंह की तरह मानी जाती है। मिश्रा महू एसडीएम रह चुके हैं और तत्कालीन कलेक्टर मनीष सिंह द्वारा चलाए गए माफिया अभियान के दौरान कैंप लगाकर पीड़ितों के दस्तावेजों की जांच कर पीड़ितों को कब्जा देने में उनकी और अपर कलेक्टर डॉ. अभय बेडेकर की टीम का ही बड़ा काम था, जो बिना विवाद के हो गया था।
महापौर के लिए अधिकारियों में पकड़ जरूरी
महापौर लंबे समय से मनचाहे अधिकारियों की मांग कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें अपने हिसाब से नगर निगम चलाते हुए शहर में काम करते हुए दिखाना है। तत्कालीन निगमायुक्त प्रतिभा पाल से उनकी पटरी नहीं बैठी। इसके बाद उम्मीद थी कि उनकी पसंद से निगमायुक्त आएंगे, इसके लिए उन्होंने 2 अधिकारियों के नाम भी भोपाल दिए थे, लेकिन दोनों ही नामों को ना करते हुए पाल की ही बैच 2012 की आईएएस अधिकारी हर्षिका सिंह को निगमायुक्त पदस्थ किया गया, जो पहले इंदौर नहीं रही है।
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शहर तो जवाब महापौर से ही मांगता है
महापौर द्वारा दिए निर्देशों पर काम नहीं होने के चलते अब वे सख्ती की भाषा पर आ गए हैं। निरीक्षण के दौरान यहां तक बोल चुके हैं कि आप लोग प्रेम की नहीं डंडे की भाषा ही समझते हैं, वही लेकर चलना होगा। बैठकों मे लालफीताशाही को लेकर नाराजगी जता चुके हैं। एमआईसी मेंबर से लेकर पार्षद तक अधिकारियों की नाफरमानी की लिस्ट बता चुके हैं। महापौर की चिंता है कि शहर उन्हें जानता है और जवाब भी उन्हीं से मांगता है, चाहे मामला सड़कों पर पानी जमने का हो, सफाई का हो, गांधी हॉल को लीज पर देने का हो या कोई भी इश्यू। ऐसे में महापौर भार्गव बार-बार बोल रहे हैं कि जब शहर में जवाब मुझे देना है तो फिर मुझसे बात करके शहर के लिए फैसले हो। गेहलोत के ट्रांसफर के बाद उम्मीद जागी है कि अधिकारी महापौर की सुनेंगे और नहीं सुनेंगे तो फिर ट्रांसफर जैसी सख्ती भी हो सकती है।