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Photograph: (THESOOTR)
INDORE. इंदौर मेट्रो प्रोजेक्ट को लेकर रोज नई उठापट चल रही है। इसी बीच आखिरकार इंदौर हाईकोर्ट खंडपीठ ने भी जिम्मेदारों से जवाब मांग लिया है। समाजसेवी किशोर कोडवानी की लगी जनहित याचिका पर 25 नवंबर, मंगलवार को हाईकोर्ट डबल बेंच में सुनवाई हुई। इसमें यह निर्देश दिए गए। अगली सुनवाई 8 दिसंबर को रखी गई है।
तीखी बहस हुई
सुनवाई के दौरान कोडवानी ने मजबूती से अपनी बात रखी और और इस दौरान पक्षकारों के अधिवक्ताओं से तीखी बहस हुई। कोडवानी ने कहा कि मेरी कोई जमीन नहीं है और ना ही मेट्रो में जा रही है। लेकिन हर दिन नई बाते मेट्रो को लेकर आती है, कोई कुछ बताने के लिए तैयार नहीं है। ना ही इसके लिए जिला योजना समिति में कोई प्रस्ताव आया। पूरा प्रोजेक्ट नियमों को ताक पर रखते हुए अपने हिसाब से जिम्मेदारों द्वारा किया जा रहा है।
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बीआरटीएस भी हटाना पड़ा, मैंने 12 साल पहले बोला था
कोडवानी ने यह भी कहा कि इंदौर बीआरटीएस को भी आखिर हटाना पड़ रहा है। इसे लेकर मैंने 12 साल पहले कई अहम मुद्दे उठाए थे। लेकिन यहां भी इनके काम ढीले चल रहे हैं और हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी साल भर होने को आया और बीआरटीएस नहीं हटा पाए।
हाईकोर्ट ने कहा जनहित का मामला, प्रोजेक्ट बताओ
जस्टिस विजय कुमार शुक्ला और जस्टिस आलोक अवस्थी की बेंच ने सुनवाई के बाद आदेश दिए कि यह जनहित का मामला है। बेंच ने कहा कि मेट्रो के काम में हम हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं, प्रोजेक्ट चलते हैं तो असुविधा होती है, लेकिन यह कब तक होगी, यह बताना चाहिए। इसलिए प्रोजेक्ट की लागत क्या है (शासकीय अधिवक्ता ने कहा कि अब तो 18-20 हजार करोड़ होगा), टाइमबाउंड शेड्यूल क्या है, कब तक पूरा होगा, यह बताएं।
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जिला योजना समिति ने क्यों नहीं सुनी बात
कोडवानी ने बताया कि जिला योजना समिति में यह प्रस्ताव आना था लेकिन कोई ठहराव प्रस्ताव वहां मेट्रो को लेकर नहीं आया। रोज नहीं बातें आ रही है। मेरी एक अन्य याचिका पर अक्टूबर 2021 में निर्देश हुए थे कि जियोस में प्रेजेंटेशन दें, लेकिन तब कलेक्टर ने मुझे पत्र लिखकर कहा कि अभी जियोस भंग है, इसलिए सुन नहीं सकते। अभी तक मेरी बात को नहीं सुना गया। इस पर भी हाईकोर्ट ने निर्देश दिए हैं।
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अंडरग्राउंड को लेकर चल रहा विवाद
मेट्रो प्रोजेक्ट को खजराना से ही अंडरग्राउंड मेट्रो करने की मांग चल रही है। इसके लेकर मंत्री कैलाश विजयवर्गीय भी बोल चुके हैं कि इसे अंडरग्राउंड करेंगे और सीएम से इस संबंध में चर्चा करेंगे।
इससे प्रोजेक्ट की लागत 900 करोड़ करीब बढ़ रही है, जिसका भार मप्र शासन पर आएगा। इसे लेकर मामला अटका हुआ है। सीएम की मंजूरी के बाद ही बोर्ड में इसके रूट को लेकर बदलाव हो सकेगा। पूर्व में मेट्रो रूट नोटिफाइड है।
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