इंदौर में अभी तक आरटीओ, शिक्षा विभाग और अन्य सरकारी दफ्तराें में कर्मचारियों के एवजियों के काम करने की सामने आ चुकी है। इसके बाद प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल के जूनियर डॉक्टरों ने ही अब यहां पर एवजी रख लिए थे। ये एवजी ना केवल मरीजों का बीपी चेक कर रहे थे, बल्कि मरीजों की ड्रेसिंग करने के अलावा ओटी में भी मदद कर रहे थे। ऐसे 15 एवजियों (किसी कर्मचारी की जगह काम करने वाला दूसरा बाहरी व्यक्ति) पर एमजीएम मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने कार्रवाई करते हुए उन्हें तत्काल प्रभाव से हटा दिया है। द सूत्र के हाथ एमवाय अस्पताल के सर्जरी विभाग में पकड़े गए ओटी टेक्नीशियन का वीडियो भी हाथ लगा है। जिसमें उसने एमवाय अस्पताल में काम किए जाने को लेकर कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं।
अस्पताल स्टाफ की यूनिफॉर्म में घूम रहे थे
एमवाय अस्पताल में एवजियों के काम करने का खुलासा तो तब हुआ, जबकि यहां के सीनियर डॉक्टर और विभागाध्यक्षों ने अनजान लोगों को स्टाफ की यूनिफॉर्म पहनकर काम करते देखा। इसके बाद पूरे चिकित्सा महकमे में हड़कंप मच गया। पूछताछ हुई तो पता चला कि ये लोग 3 साल से एमवाय अस्पातल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इसके बाद एमजीएम प्रबंधन ने कार्रवाई करते हुए सभी 15 एवजियों को हटाया है। वहीं, जिन जूनियर डॉक्टरों ने इन्हें काम पर रखा था उन्हें वॉर्निंग देकर छोड़ दिया गया है।
ओटी टेक्नीशियन को पकड़ा तो खुली पोल
माइनर ओटी से पकड़े गए एक ऑटो टेक्नीशियन राजीव खटिक ने इस पूरे मामले का खुलासा किया है। उसने बताया कि ये एवजी लोग सर्जरी विभाग के कुछ छात्रों के कहने पर साल 2020 के आसपास अस्पताल में आए थे और तभी से लगातार मरीजों के इलाज से जुड़े काम कर रहे थे। उसने बताया कि जूनियर डॉक्टरों के द्वारा ही उन्हें मदद के लिए बुलाया जाता था।
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500 रुपए प्रतिदिन मिलते हैं
राजीव ने बताया कि एवजियों को बतौर सपोर्टिंग स्टाफ काम करने के लिए एक दिन के 500 रुपए दिए जाते थे। वे मरीजों को ऑपरेशन थिएटर तक ले जाते थे। इसके अलावा सैंपल कलेक्ट करते थे और अन्य जरूरी काम करते थे। कुछ एवजी तो रात में भी अस्पताल में रुकते थे। वहीं, इन एवजियों के बकायदा आईडी कार्ड भी बने हुए थे।
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सैंपल भी खुद लेकर आते थे लैब
इन एवजियों को यहां तक जिम्मेदारी दी गई थी कि वे खुद मरीजों के सैंपल लेकर लैब तक जाएं और रिपोर्ट लाएं। जबकि यह जिम्मेदारी सिर्फ प्रशिक्षित स्टाफ की होती है। इससे साफ जाहिर है कि अस्पताल में मरीजों की जान को खतरे में डाला जा रहा था।
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कैज्युअल्टी और मेडिसीन विभाग तक में काम कर रहे थे
सूत्रों के मुताबिक जो 15 एवजी यहां पर काम करते मिले उनमें से 3 एमवाय की कैज्युअल्टी, मेडिसीन विभाग, सर्जरी और पैथोलॉजी में काम कर रहे थे। ये लोग मरीजों की पल्स चेक करते थे, बीपी लेते थे और ड्रेसिंग तक करते थे।
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एमजीएम से ही 2020 में पढ़ चुका है
राजीव ने यह भी खुलासा किया कि उसे फर्स्ट ईयर के छात्रों द्वारा काम पर रखा गया था, जो कि जूनियर डॉक्टर के रूप में एमवाय में काम करते हैं। उसने एमजीएम मेडिकल कॉलेज से ही 2020 में टेक्नीकल ट्रेनिंग की पढ़ाई पूरी कर चुके है। वह और उसके साथ पकड़ाए अन्य लोग दिन में निजी अस्पतालों व क्लीनिक में काम करते थे।
सभी एवजियों को कर दिया बाहर
एमजीएम डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया का कहना है कि हमें कुछ एवजियों को लेकर शिकायत मिली थी। हम उस पर जीरो टॉलरेंस के तहत कार्रवाई करते हुए उन्हें बाहर कर दिया गया है। ऐसे देखने में आया है कि अस्पताल के पीछे वाले रास्ते से ये लोग आ रहे थे तो सुरक्षा के लिहाज से अब अस्पताल में आवागमन को लेकर भी कुछ रास्ते बंद किए हैं। सभी गेट पर मॉनिटरिंग की जा रही है। स्टाफ को आई कार्ड रखना अनिवार्य किया गया है। ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना से बचा जा सके। साथ ही जिन जूनियर डॉक्टरों के बारे में जानकारी सामने आई है कि उन्होंने इन एवजियों को अस्पताल में काम करने के लिए रखा था तो उन्हें भी हिदायद दी गई है कि वे ऐसी गलती दोबारा ना करें। अन्यथा उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
पहले भी पकड़े गए हैं एवजी
यह पहला मौका नहीं है जब एमवायएच में एवजी पकड़े गए हैं। इससे पहले भी ऐसे लोग 8 साल पहले पकड़े जा चुके हैं, लेकिन इस बार संख्या काफी है। पूर्व में भी जब एवजियों को पकड़ा गया था, तब भी प्रबंधन ने कार्रवाई करने के बजाए केवल चेतावनी देकर छोड़ दिया था।