यह खबर समाज के लिए अलर्ट - इंदौर में लिव-इन में रह रहे नाबालिग, आठ बच्चियां हुईं प्रेग्नेंट

इंदौर में नाबालिग बच्चों के लिव-इन रिलेशनशिप का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। इन बच्चों की उम्र 13 से 17 साल के बीच है। इनमें से आठ बच्चियां प्रेग्नेंट हो चुकी हैं।

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Sanjay Gupta
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INDORE. द सूत्र की खबर यह समाज में तेजी से बदलते और बिखरते ढांचे को बताती है। यह एक अलर्ट है पूरे समाज के लिए। लिव-इन रिलेशनशिप (Live-in Relationship) को भारत में कानूनी मान्यता है। वहीं, यह व्यस्कों के लिए है, यानी जिनकी शादी की उम्र हो चुकी है। इसके बावजूद, इंदौर में चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां नाबालिग बच्चे-बच्चियां लिव-इन में रह रहे हैं।

इनकी उम्र 13 से 17 साल के बीच है

महिला एवं बाल विकास विभाग को इंदौर उड़नदस्ता से शिकायतें मिलीं थी। शिकायतों के बाद जांच शुरू हुई। ऐसे में एक-दो नहीं, बल्कि अब तक 8 मामले सामने आए हैं। ये मामले एक महीने में हुए हैं। इनमें लड़के और लड़कियां दोनों शामिल हैं। इनकी उम्र 13 से 17 साल के बीच है। ये सभी नाबालिग एक साथ लिव-इन में रह रहे हैं।

लिव-इन में पति-पत्नी की तरह, प्रेग्नेंट हुईं

लिव-इन भी सामान्य नहीं बल्कि पूरी तरह व्यस्कों जैसे पति-पत्नी की तरह। इसके चलते दोनों के बीच में शारीरिक संबंध बने और नतीजतन बच्चियां प्रेग्नेंट हो गईं है। इसमें एक बच्ची की जानकारी उड़नदस्ता विभाग को अस्पताल से मिली थी। इसमें बच्ची डिलिवरी के लिए भर्ती हुई थी।

जागरूकता के लिए महिला बाल विकास विभाग आयुक्त का आदेश

कौन हैं ये नाबालिग?

इंदौर बाल विवाह रोधी उड़नदस्ता प्रभारी महेंद्र पाठक बताते हैं कि इन बच्चों ने बताया कि ये आपस में प्यार करते हैं। साथ ही, परिवार के विरोध के चलते भागकर इंदौर में आ गए और साथ में रहने लगे। ये झाबुआ, अलीराजीपुर, बाड़वानी, राजगढ़ और धार के पीथमपुर के हैं। इन सभी को बाल कल्याण समिति के सामने भी काउंसलिंग के लिए पेश किया गया था। सभी ने बताया कि ये आपस में रजामंदी से रह रहे हैं। यहां किराए के कमरों में रह रहे थे।

मजदूरी और भीख मांग कर पेट पाल रहे हैं

काउंसलिंग के दौरान यह भी सामने आया कि ये शादी करना चाहते थे लेकिन नाबालिक के कारण यह संभव नहीं था। इसलिए ऐसे ही रहने लगे। जीवन यापन के लिए मजदूरी करने लगे, कोई आटो गैरेज में काम कर रहा है। एक जोड़ा तो तीन इमली पुल के नीचे झोपड़ी बनाकर रहने लगा। साथ ही, जीवनयापन के लिए भीख मांगना भी शुरू कर दिया। इन बच्चियों को जीवन ज्योति में आश्रम में रखा गया है।

विभाग ने शुरू किया जागरूकता कार्यक्रम

इन केस की जानकारी आने के बाद महिला व बाल विकास विभाग भी खासा चिंतित है। आयुक्त निधि निवेदिता ने विभाग को बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के तहत शिविर चलाने के आदेश दिए हैं।

स्कूलों में यह कैंप शुरू कर दिए गए हैं। इसमें बताया जा रहा है कि पहले बच्चों को पढ़ना चाहिए, फिर सही उम्र में विवाह के लिए विचार करना चाहिए। कम उम्र में किया गया विवाह बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर प्रभाव डालता है।

शारीरिक, आर्थिक और मानसिक विकास के बाद ही विवाह किया जाना चाहिए। कार्यशाला में बाल विवाह विरोधी उड़न दस्ता प्रभारी महेंद्र पाठक ने कहा कि विवाह में शामिल होना, आयोजन कराना, इसमें वर-वधू को लिफाफा देना तक अपराध है।

जिले के विभिन्न हाई स्कूल और हाई सेकेंडरी स्कूलों में बालक-बालिकाओं को कार्यशाला के माध्यम से अधिनियम की जानकारी दी जा रही है। कार्यशाला में बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष धर्मेंद्र पांडे की उपस्थिति में शपथ भी दिलाई जा रही है।

इंदौर में अभी तक 12 स्कूलों में कार्यशाला का आयोजन किया गया है। इसमें 2500 से अधिक बालक-बालिकाओं को जानकारी देने के साथ ही बाल विवाह रोकथाम की शपथ दिलाई गई है।

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