संजय गुप्ता@INDORE. इंदौर नगर निगम ( Indore Municipal Corporation ) की रिमूवल गैंग को आर्मी वर्दी का ड्रेस कोड ( army uniform dress code ) देने के मामले में द सूत्र द्वारा मुद्दा उठाए जाने के बाद शहर में चौतरफा इसका विरोध हुआ। द सूत्र ने ही सबसे पहले बताया कि आईपीसी धारा 140 व 171 के तहत इस तरह की वर्दी पहनना कानूनन जुर्म है। इसका असर यह हुआ कि अब इस वर्दी में बदलाव किया जाएगा।
निगमायुक्त ने द सूत्र को यह बताया
निगमायुक्त शिवम वर्मा ( Municipal Commissioner Shivam Verma ) ने इस आर्मी वर्दी ड्रेस कोड को एक अच्छी मंशा से लागू किया था कि इससे टीम में अनुशासन आएगा और रिमूवल के समय बेवजह विवाद भी नहीं होंगे, लेकिन इस मामले में कानून और एक्ट की न्यूज प्रकाशित करने के बाद उन्होंने द सूत्र से कहा कि इस मामले में नियमों को देखते हुए इसमें बदलाव किया जाएगा, हम अनुशासन लाना चाहते हैं और शहर हित में बेहतर काम करना चाहते हैं, साथ ही वर्दी का भी मान-सम्मान है। इन सभी को देखते हुए अब इसमें आवश्यक बदलाव करेंगे।
आर्मी वर्दी ड्रेस कोड के यह है नियम
धारा-140 और 171 के तहत दर्ज किया जा सकता है केस
गृह मंत्रालय ने इस संबंध में सभी राज्यों के सेक्रेटरी को निर्देश दिए हैं कि जो लोग भी अनाधिकृत तरीके से आर्म्ड फोर्स (आर्मी, नेवी, एयरफोर्स) की वर्दी या उसके जैसी दिखने वाली यूनिफॉर्म पहनते हैं उन्हें आईपीसी की धारा-140 और 171 के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है।
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500 रुपए का जुर्माना, तीन माह की सजा
आईपीसी की धारा-140 ( Section-140 IPC) के मुताबिक, अगर कोई यह दिखाने के लिए कि वह आर्म्ड फोर्सेस का हिस्सा है और आर्मी, नेवी या एयरफोर्स की तरह दिखने वाले कपड़े पहनता है या प्रतीक चिन्ह का इस्तेमाल करता है तो उसे अधिकतम तीन महीने तक की जेल और 500 रुपए का जुर्माना हो सकता है।
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कांग्रेस ने भी ली थी आपत्ति
इस मामले में कांग्रेस ने भी आपत्ति ली थी। संभागीय प्रवक्ता विवेक खंडेलवाल और अमित चौरसिया ने कहा था कि पहले से ही लोग पीली गैंग से आतंकित है और इस वर्दी का उपयोग निगम की गैंग लोगों को डराने में अधिक करेगा। निगम नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे द्वारा भी इसमें आपत्ति ली जा रही है और शाम को चर्चा के लिए मीडिया को बुलाया है।
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कोरोना काल में पुलिस ने पहनी थी, पीएचक्यू से आई थी आपत्ति
कोविड के समय इंदौर में पुलिस अधिकारियों ने इसी तरह की आर्मी वर्दी पहनना शुरू किया था। लेकिन दस दिन में आर्मी ने इस पर आपत्ति ले ली और पीएचक्यू को पत्र लिख दिया। इस आपत्ति के बाद पुलिस ने तत्काल इसके पहनने से रोक लगा दी। आर्मी के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि आर्मी की तरफ से लोगों को आर्मी वर्दी जैसे कपड़े न पहने का ऑर्डर नहीं निकाला गया है, क्योंकि आर्मी सिर्फ अपनी फोर्स के लिए ही ऑर्डर निकाल सकती है। कई बार अपील जरूर की गई है। बाकी नियम है।
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कैमोफ्लाज के कारण अपनाई गई वर्दी
यह वर्दी कैमोफ्लाज काम के लिए है केवल बालाघाट में पहन सकते हैं। यह वर्दी कैमोफ्लाज के कारण अपनाई गई है। इसका मतलब है कि आर्मी को जंगल में ऑपरेशन करने होते हैं और इस दौरान जंगलों में पेड़-पौधों के रंग में यह जवान को छिपा ले इसलिए ऐसी वर्दी रखी गई है। (जिस तरह गिरगिट रंग बदलकर खुद को बचाता है)। इसलिए यह ड्रेस कोड लिया गया था। पुलिस को यह वर्दी मप्र में केवल बालाघाट नक्सली एरिया में पहनने की मंजूरी है, क्योंकि वहां पुलिस को इस तरह के ऑपरेशन करने होते हैं।
कौन पहनता हैं इस तरह की वर्दी
इस तरह की वर्दी क्विक रिस्पांस टीम और पैरामिलिट्री के जवान भी पहनते हैं। एक्ट के तहत उन्हें मंजूरी है। लेकिन यह और पुलिस की वर्दी किसी भी अन्य के द्वारा पहनने पर एक्ट के तहत ही रोक लगी हुई है।
उधर महापौर समर्थन में
उधर महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने इस आर्मी वर्दी का समर्थन किया। उन्होंने कहा इससे काम के दौरान अनुशासन रहेगा, सभी एक रूपता में दिखाई देंगे। भार्गव ने कहा इसमें हम एक नई चीज़ कर रहे है कि यूनिफॉर्म में रिमूवल गैंग की पट्टिका लगा दे ताकि उसका प्रभाव लोगों के बीच में रहे। जहां तक इस यूनिफॉर्म को सेना की वर्दी से जोड़ने की बात है उस कलर की वर्दी पहनने की कोई मनाही नहीं है अपराध यह है कि सेना की वर्दी कोई और पहने सेना के स्टार कोई और लगाए वो अपराध है। महापौर ने कहा कि यह अनुशासन के लिए किया गया अच्छा प्रयास है। रही बात कांग्रेस कि तो वो निगम कर्मचारियों को पीली गैंग कहती है लेकिन उन्हें यह पता हो कि यह वो गैंग है जिन्होंने इंदौर को स्वच्छता के शिखर पर सात बात पहुंचाया है और नंबर वन बनाया है।
आर्मी वर्दी ड्रेस कोड के नियम
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