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Photograph: (the sootr)
Indore. इंदौर नगर निगम द्वारा संपत्तिकर में की गई बढ़ोतरी और स्लैब में बदलाव से आए टैक्स के बोझ के खिलाफ भोपाल में सुनवाई हुई। हाईकोर्ट के आदेश पर यह सुनवाई नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा की गई। इसमें शहर की 1200 कॉलोनियों के लाखों रहवासियों पर आ रहे संपत्तिकर के बोझ का मुद्धा उठाया गया था।
इनके द्वारा लगाई गई थी याचिका
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में पूर्व पार्षद दिलीप कौशल की याचिका लगी थी। इसमें सुनवाई के निर्देश हुए थे। कौशल एवं अभिभाषक जयेश गुरनानी ने अवर सचिव शैलेंद्र सिंह की सुनवाई में इंदौर के लाखों करदाताओं के पक्ष में सुनवाई के दौरान तथ्य रखे। दोनों ने मंगलवार 23 दिसंबर को मंत्रालय पहुंचकर संपत्तिकर वृद्धी के प्रस्ताव को निरस्त कर इंदौर के 7.35 लाख संपत्तिकर खातो में लगाए गए अतिरिक्त कर को वापस लेने की मांग की।
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सुनवाई के दौरान यह रखे गए तर्क
इसमें बताया गया कि साल 2020 में मध्यप्रदेश सरकार ने राजपत्र जारी कर प्रत्येक जिले में संपत्तिकर लेने / बढ़ाने के लिये जिला कलेक्टर द्वारा मौजूदा वित-वर्ष में निर्धारित की गई गाईड-लाईन अनुसार संपत्तिकर निर्धारण करने के नियम बनाए थे।
लेकिन इंदौर नगर निगम बीजेपी परिषद ने नियम को दरकिनार कर पूर्व की संपत्तिकर दरों में सीधे 10% की वृद्धि कर दी। इससे नगरीय क्षेत्र की 923 कालोनियां सीधे तौर पर प्रभावित हुई। जबकि वर्ष 2024-25 एवं वर्ष 2025-26 की कलेक्टर गाईड-लाईन में उक्त 923 कालोनियों में किसी भी प्रकार की वृद्धि नहीं हुई।
वहीं 146 नवीन कालोनियों का मूल्यांकन भी प्रथम बार किया गया, इसलिए यहां भी बढ़ोतरी करना अनुचित था। साथ ही तथा 184 कालोनियों की गाईड-लाईन में 0% से 10% तक वृद्धि होने के बावजूद सभी पर एक जैसा 10% संपत्तिकर बड़ा दिया गया।
किसी भी करदाता की आपत्ति नहीं सुनी
यह भी तर्क रखे गए कि इंदौर नगर निगम परिषद् द्वारा संवेधानिक प्रक्रिया का पालन नहीं करके प्रत्येक करदाता के मौलिक अधिकारों का हनन किया। किसी भी करदाता को सुनवाई का अवसर नहीं देकर संपत्तिकर राशि की निर्धारण स्लैब को बदला गया जिससे इंदौर के करदाताओ पर 25% से 50% तक का अतिरिक्त भार पड़ा है।
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इस तरह उदाहरण देकर बताया बोझ
कौशल एवं अभिभाषक जयेश गुरनानी ने इंदौर के सभी विधानसभा क्षेत्रों में आने वाली विभिन्न कालोनियों का उदहारण (नमूना) देकर बताया गया। साल 2024-2025 के मुकाबले इस वितीय वर्ष 2025-2026 में कलेक्टर द्वारा निर्धारित गाईड लाईन में किसी भी प्रकार की वृद्धि नहीं होने के बाद भी नगर निगम परिषद् ने समान्तर 10% संपत्तिकर बढ़ाकर 1200 कालोनियों पर अधिक संपत्तिकर थोपा।
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