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इंदौर के एमवाय अस्पताल में नवजात बच्चों को चूहों द्वारा कुतरे जाने और उनकी दर्दनाक मौत के विरोध में जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) ने बड़ा आंदोलन शुरू करने का ऐलान किया है। इस घटना को जयस ने चूहा कांड का नाम दिया है। उन्होंने इसे प्रदेश के लिए शर्मनाक व दिल दहला देने वाली घटना बताया है।
सरकार पर गंभीर आरोप
जयस के राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट लोकेश मुजाल्दा ने कहा कि सरकार इस विभत्स घटना के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को बचा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि घटना के कई दिन बीतने के बाद भी डीन, अस्पताल अधीक्षक और अन्य जिम्मेदार अधिकारियों निलंबन की कार्रवाई नहीं हुई है। ना ही गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज किया गया है। मुजाल्दा ने कहा कि हाईकोर्ट की डबल बेंच ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लेकर जनहित याचिका स्वीकार कर ली है।
चरणबद्ध आंदोलन की घोषणा
जयस ने इस सरकारी लापरवाही के खिलाफ "जनआक्रोश आंदोलन – एमवाय" की घोषणा की है, जो चरणबद्ध तरीके से चलेगा:
15 सितंबर – प्रदेश के सभी जिलों में कलेक्टर कार्यालयों पर ज्ञापन सौंपे जाएंगे। इसमें दोषी अधिकारियों को निलंबित करने और एफआईआर दर्ज करने की मांग होगी।
17 सितंबर – प्रधानमंत्री मोदी के बदनावर कार्यक्रम में जयस कार्यकर्ता विरोध दर्ज करेंगे और बच्चियों को न्याय दिलाने की मांग करेंगे।
21 सितंबर – एमवाय अस्पताल परिसर में विशाल “जनआक्रोश आंदोलन” किया जाएगा, जिसमें प्रदेशभर से 50 से ज्यादा सामाजिक संगठन शामिल होंगे।
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हाईकोर्ट बेंच ने लिखा चूहों ने खा लिया
हाईकोर्ट जस्टिस विपेक रूसिया और जस्टिस जयकुमार पिल्लई ने आदेश में लिखा है कि चौंकाने वाली घटना हमारे संज्ञान में आई है, जिस पर स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका दायर करना आवश्यक है। इंदौर के शासकीय महाराजा यशवंत राव चिकित्सालय में चूहे के काटने से दो नवजात शिशुओं की मृत्यु हो गई। 31.8.2025 और 01.09.2025 की मध्य रात्रि को, इंदौर के एम.वाय. चिकित्सालय के आईसीयू में भर्ती दो शिशुओं को चूहों ने खा लिया और बाद में उनकी मृत्यु हो गई।
यह अस्पताल प्रशासन की घोर लापरवाही
आदेश में आगे लिखा गया है कि प्रथम दृष्टया यह इंदौर के महाराजा यशवंत राव अस्पताल प्रशासन की घोर लापरवाही प्रतीत होती है। इसमें किसी भी अधिकारी, डॉक्टर या कर्मचारी आदि के विरुद्ध कोई कार्रवाई किए जाने की कोई सूचना नहीं है। शिशुओं में से एक के माता-पिता धार के आदिवासी परिवार से हैं।
इन सभी को नोटिस, मांगी पीएम रिपोर्ट
हाईकोर्ट ने आदेश में लिखा है कि निम्नलिखित सरकारी अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी करें:-
(i) प्रमुख सचिव, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, मध्य प्रदेश,
(ii) इंदौर संभाग के आयुक्त।
(iii) इंदौर कलेक्टर।
(iv) पुलिस आयुक्त, इंदौर।
(v) एम.वाय. अस्पताल, इंदौर के डीन।
पीएम रिपोर्ट के साथ दें जवाब
हाईकोर्ट ने आदेश में लिखा कि अतिरिक्त महाधिवक्ता सोनल गुप्ता को निर्देश दिया जाता है कि वे नोटिस स्वीकार करें और पोस्टमार्टम रिपोर्ट की प्रति के साथ इस न्यायालय के समक्ष जवाब प्रस्तुत करें। वरिष्ठ अधिवक्ता पीयूष माथुर इस मामले में न्यायालय की सहायता करने की अनुमति चाहते हैं, जो एतद्द्वारा प्रदान की जाती है। हम इस मामले में माथुर को न्यायमित्र नियुक्त करते हैं। कीर्ति पटवर्धन एडवोकेट को वरिष्ठ अधिवक्ता पीयूष माथुर की सहायता के लिए नियुक्त किया गया है। इसे 15 सितंबर को सूचीबद्ध किया जाता है।
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अब कैसे दामाद डीन को बचाओगे सरकार
राज्य सरकार ने इस गंभीर घटना में भी पूर्व मंत्री के दामाद डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया के साथ ही अधीक्षक डॉ. अशोक यादव सभी बड़ों को बचा लिया। स्वास्थ्य आयुक्त तरूण राठी का इस पूरी कमेटी रिपोर्ट में भूमिका संदिग्ध है, क्योंकि वह जांच कमेटी के इंदौर में निरीक्षण के दौरान खुद मौजूद रहे और डीन, अधीक्षक के साथ ही लंच भी किया था।
ना गैर इरातदन हत्या माना, ना ही बड़ों पर कार्रवाई
जांच कमेटी ने पूरे मामले को गैर इरादतन हत्या से नहीं जोड़ा है। मामूली काम में लापरवाही मानते हुए तत्कालीन यूनिट इंचार्ज प्रभारी विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज जोशी को सस्पेंड किया है। अधीक्षक डॉ. यादव को छुट्टी लेने के मौखिक निर्देश हुए और वह मेडिकल लीव लेकर लंबी छुट्टी पर निकल लिए। उनकी जगह डॉ. बसंत निगवाल को अधीक्षक का प्रभार दिया है। उधर खानापूर्ति करते हुए विभागाध्यक्ष डॉ. ब्रजेश लाहोटी को पद से हटाकर उनकी जगह डॉ. अशोक लड़्डा को प्रभार दे दिया गया है।
कमेटी ने पूरी कोशिश की कोई बड़ा नहीं उलझे
इस पूरे मामले में आयुक्त राठी और जांच कमेटी ने भरपूर जोर लगाया है कि किसी भी बड़े पर कोई आंच नहीं आए और खासकर पूर्व मंत्री के दामाद डीन डॉ, अरविंद घनघोरिया को लेकर कोई भी टिप्पणी कमेटी की रिपोर्ट में नहीं हो। वही हुआ और इसमें डीन को पूरी क्लीन चिट मिल गई। अधीक्षक को छुट्टी पर भेजा और लाहोटी से केवल विभाग प्रमुख का पद ले लिया गया। किसी भी तरह से इसे गैर इरादतन हत्या नहीं माना गया। हां रिपोर्ट से सही जांच की जरूर हत्या कर दी गई।
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अस्पताल अधीक्षक इस तरह गए लंबी छुट्टी पर
एमवायएच अस्पताल अधीक्षक डॉ. अशोक यादव ने 10 सितंबर को मेडिकल कॉलेज डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया को चिट्ठी लेकर लंबी मेडिकल लीव ले ली है। उन्होंने आवेदन में लिखा है कि मेरा स्वास्थ्य अत्यंत खराब होने के चलते मैं कार्य कर पाने में असमर्थ हूं। डॉक्टर द्वारा मुझे 15 दिन का आराम करने की सलाह दी गई है। इशलिए मैं 11 सितंबर से करीब 15 दिन तक विभागीय कार्य करने में असमर्थ हूं। मेरी अनुपस्थिति में संयुक्त संचालक व अधीक्षक के कामों का निर्वहन डॉ. बसंत निगवाल प्राध्यापक निश्चेतना विभाग, सुपर स्पेशलिएटी अस्पताल का विभागीय काम डॉ. सुमित सिंह व ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग का काम डॉ. रामू ठाकुर संपादित करेंगे।
खुदको बचाने में डीन ने यह की थी पहले कार्रवाई
डॉ. ब्रजेश लाहोटी विभागाध्यक्ष, पीडीयाट्रिक सर्जरी विभाग को कारण बताओ नोटिस जारी किया।
डॉ. मुकेश जायसवाल, सहायक अधीक्षक एवं भवन प्रभारी को निलंबित किया गया।
मारग्रेट जोजफ, नर्सिंग सुपरिटेंडेंट को हटाया।
आकांक्षी बेंजामिन, नर्सिंग ऑफिसर को सस्पेंड किया।
श्वेता चौहान नर्सिंग ऑफिसर को सस्पेंड किया।
कलावती बलावी सहायक प्रभारी नर्सिंग ऑफिसर (NICU) को शोकाज नोटिस दिया।
प्रवीणा सिंह प्रभारी नर्सिंग ऑफिसर (PICU) को निलंबित किया गया।
डॉ. मनोज जोशी प्रभारी व प्राध्यापक (पीडियाट्रिक सर्जिकल) को शोकाज नोटिस दिया।
एजाइल कंपनी पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया।
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निलंबन आदेश तक जारी रहेगा आंदोलन
जयस ने साफ कहा कि यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक दोषी अधिकारियों को निलंबित कर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की जाती। इस लड़ाई में भीम आर्मी, करणी सेना, ओबीसी महासभा, जन स्वास्थ्य अभियान और अन्य सामाजिक संगठन भी शामिल रहेंगे।