झालावाड़ स्कूल हादसा : पीड़ित मुआवजे से संतुष्ट नहीं, सरकारी नौकरी की मांग, नरेश-गुढ़ा संग धरना

राजस्थान के झालावाड़ स्कूल हादसे में बच्चों की मौत के बाद पीड़ित परिवारों के साथ नरेश मीणा और राजेंद्र गुढ़ा ने जयपुर में धरना दिया। सरकार से न्याय की मांग की और जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की अपील।

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Amit Baijnath Garg
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jaipur dharna

Photograph: (the sootr)

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राजस्थान के झालावाड़ जिले के पिपलोदी गांव में स्कूल की छत गिरने से सात बच्चों की जान चली गई थी, जिसे लेकर प्रदेश भर में गहरी नाराजगी है। इस हादसे के बाद न्याय की मांग को लेकर नरेश मीणा और पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने एक बार फिर से राजस्थान सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला। 

दोनों नेता अपने समर्थकों और मृतक बच्चों के परिजनों के साथ जयपुर में शहीद स्मारक के बाहर धरने पर बैठ गए। उनका कहना था कि जब तक बच्चों के परिजनों को न्याय नहीं मिलेगा, उनका आंदोलन जारी रहेगा। पीड़ितों का कहना है कि सरकार ने उन्हें सम्मानजनक मुआवजा नहीं दिया। वे सरकारी नौकरी की मांग कर रहे हैं। एक पीड़ित ने कहा कि पांच बकरी मिली, जिनमें से एक बीमार थी, जो अगले दिन मर गई।

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मीणा ने कहा-सरकार ने धोखा दिया

नरेश मीणा ने कहा कि झालावाड़ में स्कूल की छत गिरने के बाद मैंने न्याय दिलाने के लिए कदम उठाए, लेकिन मुझे जेल में डाल दिया गया। 50 दिन से ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन अभी तक परिजनों को न्याय नहीं मिला। मीणा ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से उन्होंने बार-बार न्याय की मांग की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने यह भी कहा कि वसुंधरा राजे को इस मामले में मदद करनी चाहिए, क्योंकि सरकार ने इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं।

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गुढ़ा बोले-न्याय मांगने वालों पर कार्रवाई

पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने आरोप लगाया कि जब वह और नरेश मीणा बच्चों के परिजनों को न्याय दिलाने के लिए झालावाड़ गए थे, तब उन्हें झूठे आरोपों के तहत जेल भेजा गया। उन्होंने कहा कि हादसे के बाद स्कूल के ठेकेदारों, इंजीनियरों और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए थी, लेकिन नरेश मीणा को जेल में डाल दिया गया। गुढ़ा ने आरोप लगाया कि इस मामले में परिजनों से झूठे आरोप लगवाए गए, जबकि असल में परिजन नरेश मीणा के साथ थे।

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सरकार से बदलाव की मांग

गुढ़ा ने नेपाल में हाल ही में हुई घटना का हवाला देते हुए कहा कि वहां 19 बच्चों की मौत के बाद संसद को जला दिया गया और मंत्रियों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा गया। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या पड़ोसी देश की हवा यहां नहीं आएगी? क्या यहां का नौजवान अन्याय के खिलाफ खड़ा नहीं होगा? गुढ़ा ने यह भी कहा कि यदि इस तरह की घटनाएं देश में घटती हैं, तो क्या सरकार सुधरेगी और यदि नहीं तो एक बड़ा आंदोलन खड़ा हो सकता है।

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सरकार से न्याय की उम्मीद

इस धरने और विरोध प्रदर्शन के माध्यम से नरेश मीणा और राजेंद्र गुढ़ा ने सरकार को यह स्पष्ट संदेश दिया कि वे तब तक चुप नहीं रहेंगे, जब तक बच्चों के परिजनों को न्याय नहीं मिल जाता। बच्चों की मौत के इस दुखद हादसे पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाने से उनके समर्थकों और परिजनों में गुस्सा है। वे चाहते हैं कि जिम्मेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।

FAQ

1. झालावाड़ स्कूल हादसा कब हुआ और इसमें कितने बच्चों की जान गई?
झालावाड़ के पिपलोदी गांव में स्कूल की छत गिरने से सात बच्चों की मौत हुई थी।
2. नरेश मीणा और राजेंद्र गुढ़ा ने धरने पर क्यों बैठे?
नरेश मीणा और राजेंद्र गुढ़ा ने बच्चों के परिजनों को न्याय दिलाने के लिए धरने का आयोजन किया, क्योंकि उन्हें न्याय नहीं मिल पा रहा था।
3. क्या सरकार ने इस मामले में कोई कार्रवाई की है?
नरेश मीणा और राजेंद्र गुढ़ा का आरोप है कि सरकार ने इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है, और बच्चों के परिजनों को न्याय देने में विफल रही है।

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