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Photograph: (the sootr)
राजस्थान में सरकारी स्कूलों के भवनों की स्थिति एक बार फिर सवालों के घेरे में है। झालावाड़ में हुए स्कूल हादसे के बाद यह मुद्दा और गंभीर हो गया है, जहां कई स्कूलों की स्थिति खस्ता हो चुकी है।
ताजा मामले में कोटा जिले में एक स्कूल को जर्जर हालत में होने के कारण मंदिर में स्थानांतरित किया गया है। स्कूल के भवन को जर्जर घोषित कर दिया गया था, जिसके बाद बच्चों की पढ़ाई को जारी रखने के लिए मंदिर परिसर में कक्षाएं चलानी पड़ रही हैं।
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जर्जर स्कूल और शिक्षकों का संघर्ष
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के गृह जिले कोटा के मंडानिया में स्थित सरकारी स्कूल का भवन ग्राम पंचायत प्रशासन के समय का बना हुआ है। यह भवन अब इतनी खराब स्थिति में है कि बारिश के मौसम में इसकी छत से पानी टपकता है, जिससे बच्चों को बैठने में भी मुश्किल होती है।
स्कूल के शिक्षक बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उन्हें मंदिर के टीन शेड में बैठाकर पढ़ाते हैं। शिक्षक प्रीति सोनी ने बताया कि यहां पढ़ाई की अच्छी व्यवस्था की गई है, लेकिन इस स्थिति को सुधारने के लिए स्कूल प्रशासन और स्थानीय विधायक से आश्वासन मिल चुका है कि जल्द ही नया स्कूल भवन बनेगा।
मंदिर में पढ़ाई की व्यवस्था
गांव के पूर्व सरपंच राम कल्याण नागर बताते हैं कि जब स्कूल भवन की स्थिति खराब हो गई और उसे कंडम घोषित कर दिया गया, तो स्कूल के शिक्षकों ने मिलकर बच्चों की पढ़ाई जारी रखने के लिए मंदिर के प्रांगण में कक्षाएं आयोजित कीं। शिक्षक और प्रशासन का कहना है कि सरकार ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही नया स्कूल भवन बनेगा, लेकिन इस समय तक बच्चों की पढ़ाई मंदिर में ही जारी रहेगी।
बच्चों की खुशी और सुरक्षा
मंदिर में पढ़ाई के बावजूद बच्चों की सुरक्षा और पढ़ाई का ध्यान रखा जा रहा है। स्कूल की छात्रा राधिका नायक और ईशिका प्रजापत ने बताया कि वे चाहती हैं कि सरकार उनके स्कूल का नया भवन बनाए, क्योंकि पुराना जर्जर स्कूल भवन कभी भी गिर सकता है। वे इस समस्या का समाधान जल्द से जल्द चाहती हैं, ताकि वे फिर से स्कूल में आराम से पढ़ाई कर सकें।
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आगे का रास्ता और उम्मीदें
मंडानिया गांव के स्कूल में वर्तमान में 78 छात्र-छात्राएं पढ़ाई कर रहे हैं। सरकार ने स्कूल को नए भवन की आवश्यकता को समझते हुए इस पर ध्यान देने का वादा किया है। बच्चों का कहना है कि उनके लिए यह जरूरी है कि जल्द से जल्द नया स्कूल भवन बने, ताकि वे सुरक्षित वातावरण में अपनी पढ़ाई जारी रख सकें।