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राजस्थान सरकार ने एक नया कदम उठाते हुए राज्य के 98 महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में हिंदी माध्यम की भी शुरुआत की गई है। यह बदलाव उन क्षेत्रों के लिए किया गया है जहां उच्च माध्यमिक स्तर का सरकारी हिंदी माध्यम विद्यालय नहीं है। इसके अंतर्गत इन स्कूलों में छात्रों को अब अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी में भी शिक्षा प्राप्त होगी।
क्यों शुरू की गई हिंदी माध्यम की पढ़ाई?
राज्य सरकार ने यह निर्णय उन क्षेत्रों के लिए लिया है, जहां सरकारी स्कूलों में हिंदी माध्यम का विकल्प नहीं था। इस कदम से ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का स्तर बढ़ाने और छात्रों को बेहतर अवसर प्रदान करने का प्रयास किया जा रहा है।
शिक्षकों की कमी और संसाधनों का अभाव
98 महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में अब हिंदी माध्यम में भी पढ़ाई शुरू हो गई है। हालांकि सरकार ने हिंदी माध्यम की पढ़ाई शुरू करने की घोषणा की है, लेकिन इसके लिए अतिरिक्त शिक्षक और संसाधन उपलब्ध नहीं कराए गए हैं। पहले से ही अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में शिक्षकों की कमी है, और अब हिंदी माध्यम के शिक्षण के लिए भी उन्हीं शिक्षकों से काम लिया जाएगा जो पहले से अंग्रेजी माध्यम में पढ़ा रहे हैं।
हिंदी माध्यम के लिए अलग शिक्षक नियुक्त नहीं होंगे
सरकारी आदेश के अनुसार, अंग्रेजी माध्यम के शिक्षकों को ही हिंदी माध्यम में भी पढ़ाने का निर्देश दिया गया है। इसका मतलब यह है कि उन शिक्षकों को दोनों माध्यमों में पढ़ाना होगा, जिससे उनके कार्यभार में और वृद्धि हो सकती है।
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जयपुर में सबसे अधिक हिंदी माध्यम के स्कूल
राजस्थान में सबसे अधिक हिंदी माध्यम का विकल्प जयपुर जिले में शुरू किया गया है। यहां 17 स्कूलों में यह सुविधा उपलब्ध कराई गई है। इसके अलावा, प्रदेश के अन्य जिलों में भी यह पहल शुरू की गई है, जैसे अजमेर, बीकानेर, उदयपुर, जोधपुर, आदि। जिलेवार विवरण विवरण टेबल में दिया गया है।
स्कूलों के लिए शिक्षकों की कमी
राज्य सरकार ने कुल 10,000 शिक्षकों का चयन किया था, लेकिन इनमें से केवल 8,000 शिक्षकों को नियुक्ति दी गई है। इससे शिक्षकों की कमी बनी हुई है, और हिंदी माध्यम की शिक्षा को चलाने के लिए अतिरिक्त शिक्षक उपलब्ध नहीं कराए गए हैं।
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शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रभाव
शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष आनंद पारीक ने चिंता व्यक्त की है कि जब एक शिक्षक को एक साथ हिंदी और अंग्रेजी दोनों माध्यमों में पढ़ाना होगा, तो इससे शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ सकता है। राजस्थान के स्कूलों में शिक्षकों की कमी है। 9वीं से 12वीं कक्षा तक दोनों माध्यमों के लिए अलग-अलग कक्षाएं संचालित करने में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। राजस्थान के सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता पर पहले से ही सवाल उठते रहे हैं।
शिक्षा के संसाधन और भवन संबंधी समस्याएं
राजस्थान के महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूल में हिंदी माध्यम की शिक्षा शुरू कर दी है, लेकिन इसके लिए विशेष भवन या अतिरिक्त संसाधन की व्यवस्था नहीं की गई है। इससे स्कूलों के संचालन में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, खासकर जब शिक्षकों की कमी पहले से ही महसूस हो रही है।