संजय गुप्ता, INDORE. जमीन की सुरक्षा की जिम्मेदारी राजस्व अधिकारियों की होती है, लेकिन जब वह खुद ही आरोपियों के साथ मिलकर सांठगांठ करने लगे तो फरियादी कहां जाएगा? ऐसा ही कांड इंदौर में नायब तहसीलदार रह चुके योगेंद्र सिंह राठौर ( Yogendra Singh Rathore ) ने किया है। जिस पर अब पुलिस ने केस दर्ज किया है।
13 साल पुराने मामले में इन पर किया गया केस
मामले में राजेंद्र नगर पुलिस ने नायब तहसीलदार योगेंद्र सिंह राठौर( Indore Naib Tehsildar ) , नीलेश भावसार और अजय जैनकर पर धोखाधड़ी और षड्यंत्र रचने की धाराओं में केस दर्ज किया है। मामला 13 साल पुराना है। आरोपियों ने फरियादी को 36 लाख रुपए का भुगतान करना भी बताया गया है। जुलाई 2011 में पूरा भुगतान कब्जा रसीद भी ले ली।
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यह है मामला
राजेंद्र नगर क्षेत्र में कैट रोड स्थित 11 हजार वर्ग फुट जमीन के फर्जी दस्तावेज बनाकर हड़पने के मामले में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। हुक्माखेड़ी में फरियादी अच्युत पद्मावर और उनकी पत्नी के नाम जमीन है। आरोपियों ने फर्जी दस्तावेज से जमीन हड़पनी चाही। ब्लैकमेल भी किया। जनवरी में उच्च स्तर से मिले निर्देश के बाद पुलिस ने जांच की। बुधवार को केस दर्ज किया गया। जांच में विक्रय अनुबंध और अन्य दस्तावेज फर्जी पाए गए हैं। अनुबंध लेख रजिस्ट्रार कार्यालय में जमा ही नहीं किया गया। आरोपियों ने कोर्ट को भी गुमराह कर परिवाद में फर्जी दस्तावेज लगा दिए। जमीन मालिक को लीगल नोटिस देकर कानूनी तौर पर दबाव बनाया।
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अधिकारियों की यह रही भूमिका
मामले में नायब तहसीलदार और आरोपियों ने मिलकर षड्यंत्र रचा, साथ ही अपने राजनीतिक रसूख का उपयोग भी किया। नायब तहसीलदार सत्तापक्ष से जुड़े नेता का नजदीकी रिश्तेदार है। बताया जा रहा है कि एफआईआर रोकने के पूरे प्रयास किए गए। उच्च स्तर से निर्देश मिलने पर मामला दर्ज किया। यहां तक कि आवेदक पद्मावर ने सभी फर्जी दस्तावेजों, अपने हस्ताक्षर की फारेंसिक जांच करवाई। साथ ही स्टांप खरीदी की जानकारी भी उपलब्ध करवाई।
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