इंदौर में बाणगंगा थाने में पदस्थ एसआई तेरेश्वर इक्का के साथ मारपीट करने वाले, उनसे माफी मंगवाने वाले और वायरलेस तोड़ने वाले जेल प्रहरी विकास डाबी और उनका दोस्त रवि राठौड़ को पुलिस ने गिरफ्तार कर 6 फरवरी को जुलूस निकाला था। इस दौरान दोनों के हाथ-पैर में भारी पट्टा बंधा था। पुलिस ने बताया गिर गए थे चोट लगी, हालांकि सभी को समझ आ रहा था कि खातिरदारी हुई है। लेकिन उनका गिरना और खातिरदारी दोनों ही झूठ निकला है। कुल मिलाकर पट्टा झूठा निकला। बाणगंगा थाने के टीआई सियाराम गुर्जर को द सूत्र ने फोन किए लेकिन जवाब नहीं आया।
क्या पुलिस से हुई सांठ-गांठ?
दोनों ही आरोपियों को कुछ दिन पहले जेल भेजा गया था। इस दौरान इनके बारे में खबरें आने पर जेल प्रशासन और सतर्क हुआ और दोनों की मेडिकल रिपोर्ट चेक की गई। इसमें सामने आया कि चोट कोई गंभीर नहीं है, यानी कुल मिलाकर चोट ही नहीं थी और चोट का नाटक पुलिस ने किया था। अब इसमें सूत्रों का कहना है कि आरोपियों ने उनके हाथ-पैर नहीं तोड़ने के एवज में जमकर सेवा की है, इसलिए पुलिस ने एसआई को पीटने वाले को ही बख्श दिया।
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इन धाराओं में दर्ज हुआ है केस
इन आरोपियों पर क्राइम नंबर 138 /24 में धारा 127( 2), 121, 296, 115(2), 132, 3(5) के तहत केस हुआ था। इसमें आरोपी रवि पिता प्रेम सिंह राठौड़ उम्र 25 साल निवासी 71/1 शिवकंठ नगर और विकास पिता रमेश डाबी उम्र 29 साल निवासी 470 दीवाल वाली गली शिवकांत नगर को गिरफ्तार किया गया और जेल भेजा गया। आरोपी विकास जोबट जिला अलीराजपुर में उप जेल में जेल प्रहरी के रूप में पदस्थ है, घटना के बाद उसे सस्पेंड कर दिया गया।
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यह हुई थी घटना
दरअसल, बाणगंगा थाने में पदस्थ सब-इंस्पेक्टर (एसआई) तेरेश्वर इक्का ड्यूटी कर रहे थे। इसी दौरान थाप जीप में बैठकर चार लोग शराब पी रहे थे। जब एसआई ने इन लोगों को रोका तो वे विवाद करने लगे। इसमें जेल प्रहरी जोबट जेल विकास डाबी व अन्य तीन दोस्त थे। यह सभी एसआई पर धौंस जमाने लगे कि हमें रोकेगा। फिर उनका बैच और वायरलेस सेट छीना और फिर जमकर पीटा। डाबी और दोस्त यही नहीं रूके, उन्होंने एसआई इक्का को जीप में बैठाया और फिर मारपीट करते हुए माफी मंगवाई। मेट्रो में काम करने वाले कर्मचारियों को बुलवाया और एसआई पर वसूली के आरोप लगाए। फिर उसे छोड़ कर भाग गए।
साथ ही आरोपियों ने उन्हें नकली पुलिस बताया और जमकर पीटा, साथी ही गालियां दी। जब विवाद शुरू हुआ तो एसआई ने सेट पर मदद भी मांगी, लेकिन कोई नहीं पहुंचा। बाद में एफआईआर के लिए भी वह कई घंटे परेशान हुए। बाद में डाबी और उसके दोस्त को पकड़ा गया और शासकीय काम में बाधा, मारपीट का केस हुआ।
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