इंदौर में 1.35 करोड़ घोटाले की जांच दबाने पंजीयन DIG मोरे का ट्रांसफर
इंदौर रीजन के पंजीयन डीआईजी बालकृष्ण मोरे का ट्रांसफर हो गया है। 1.35 करोड़ के घोटाले की जांच और दबाव के चलते लॉबिंग के बाद फाइल तीसरी बार में पास हुई है।
पंजीयन डीआईजी (उप महानिरीक्षक) इंदौर रीजन बालकृष्ण मोरे का आखिरकार ट्रांसफर हो गया है। इस ट्रांसफर के लिए एक पूरी लॉबी भोपाल में छह महीने से सक्रिय थी। दो बार सरकार ने इस फाइल को लौटा दिया था कि यह कोई जरूरी नहीं है, लेकिन फिर आया 1.35 करोड़ का घोटाला। इसकी जांच फिर मोरे के पास पहुंची, इसके बाद लॉबी फिर उनके ट्रांसफर के लिए लग गई है और तीसरी बार फाइल चली, जिसमें यह लॉबी सफल हुई और ट्रांसफर हो गया।
पूर्व महानिरीक्षक पंजीयक आईएएस एम सेलवेंद्रन के समय इंदौर के जिला पंजीयक डॉ. अमरेश नायडू की अच्छी पकड़ रही है। इसी दौरान उनकी एक जांच संभागायुक्त मालसिंह भयडिया ने मोरे को सौंपी। इसमें मोरे ने नायडू की गलती मानी, कि उनके कारण 12 लाख का राजस्व नुकसान हुआ। इसकी रिपोर्ट संभागायुक्त से भोपाल गई लेकिन वहां पर इसे दबा दिया गया और कोई कार्रवाई नहीं हुई। लेकिन इसके बाद से ही उनके ट्रांसफर के लिए डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा और सेलवेंद्रन के पास लॉबिंग शुरू हुई। दो बार यह फाइल चली भी लेकिन तत्कालीन सीएस वीरा राणा ने इसे गैर जरूरी मानते हुए समन्वय समिति से पहले ही लौटा दिया।
दरअसल नौ दिसंबर 2024 को जिला पंजीयक अमरेश नायडू की संभागायुक्त दीपक सिंह के पास गंभीर शिकायत हुई और 1.35 करोड़ के घोटाले की फाइल थी। इसमें शिकायत थी कि नायडू ने धारा 72 में दो आदेश एक 6 नवंबर 2023 और एक 5 फरवरी 2024 को किए और इसमें कोर्ट की डिक्री को नजरदांज कर आदेश किए और इसमें भारी भ्रष्टाचार और अनियमितता करते हुए शासन को 1.35 करोड़ का नुकसान पहुंचाया। इस मामले की जांच का जिम्मा संभागायुक्त ने डीआईजी मोरे को सौंपा, क्योंकि मोरे एक बार पहले भी जांच में हर तरफ से दबाव को नकारते हुए सही जांच कर नायडू को एक मामले में दोषी बता चुके थे। इसके चलते फिर से आशंका थी कि मोरे फिर वैसी सख्ती रखेंगे तो वह उलझ जाएंगे। इसके बाद फिर उनके ट्रांसफर की लॉबिंग हुई और आखिर में इस बार यह लॉबी सफल हुई और ट्रांसफर कर दिया गया।
मोरे की जगह भोपाल में पदस्थ उमाशंकर वाजपेयी को इंदौर का प्रभार दिया गया है। यह वही वाजपेयी है जो संपदा वन सिस्टम लागू होने के समय इंदौर वरिष्ठ जिला पंजीयक थे और यह सिस्टम सही से लागू नहीं कर पाने की वजह से शासन ने इनकी कार्यशैली से नाराजगी जाहिर की थी और इसके बाद उन्हें धार में ट्रांसफर किया गया। वहीं धार में वरिष्ठ जिला पंजीयक के तौर पर पदस्थ मोरे को इंदौर लाया गया। साल 2016 में उन्होंने ज्वाइन किया तब इंदौर का राजस्व 800 करोड़ था और जब वह डीआईजी पर प्रमोट हुए तब राजस्व करीब तीन गुना 2400 करोड़ रुपए हो गया था। इस दौरान कोविड काल भी रहा। हालांकि अब उनके ट्रांसफर के लिए विभाग संपदा टू में आ रही चुनौतियों को संभालने के लिए अच्छे अधिकारी की जरुरत के रूप में बताया जा रहा है।