संजय गुप्ता@ INDORE. वरिष्ठ जिला पंजीयक डॉ. अमरेश नायडू ( Dr. Amaresh Naidu ) के आदेश पर पंजीयन कार्यालय 2 इंदौर के सब रजिस्ट्रार ( sub registrar ) ने गलत रजिस्ट्री ( registry ) कर दी। इस गलत रजिस्ट्री के कारण शासन को 12.39 लाख रुपए का नुकसान हुआ। यह गंभीर लापरवाही का मामला है। यह मामला संभागायुक्त ( Divisional Commissioner ) इंदौर द्वारा शिकायत के आधार पर कराई गई जांच की रिपोर्ट है। इसके आधार पर संभागायुक्त ने शासन को उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा कर दी है। आपको बताते चलें कि जमीन की गाइडलाइन कीमत 1.35 करोड़ रुपए है।
कार्रवाई रिपोर्ट पर अब IGR के एक्शन का इंतजार
सूत्रों के अनुसार संभागायुक्त की यह रिपोर्ट पंजीयन विभाग प्रमुख सचिव अमित राठौर के पास पहुंच गई है। वहां से इस रिपोर्ट को आगे कार्रवाई के लिए आईजीआर पंजीयक यानि एम. सेलवेंद्रन के पास भेज दिया गया है। लेकिन फिलहाल इस रिपोर्ट को अभी ठंडे बस्ते में डाला हुआ है, एक्शन कब होगा विभाग अभी कुछ भी कहने से बच रहा है।
यह है किबे कंपाउंड की जमीन का घोटाला
किबे कंपाउंड ( मिलिंद किबे कंपाउंड इंदौर ) के भूखंड 33 की 99 साल लीज 1968 में सुरेशचंद्र गुप्ता को हुई, फिर उन्होंने इसे सब लीज बांबे डीजल कंपनी को कर दी। इसका कब्जा कंपनी की किरण चोपड़ा के पास है। लेकिन इस जमीन का सौदा विक्रेता अजय विट्ठल और सुरेश गुप्ता ने मिलकर चौथी पार्टी हरमीत सिंह बग्गा को कर दिया। इस मामले में चोपड़ा ने सिविल कोर्ट में केस लगाया और उन्हें स्टे मिल गया। लेकिन विट्ठल, गुप्ता ने यह शपथपत्र पंजीयन विभाग को दिया कि वह कब्जेधार को कोर्ट के अंतिम आदेश तक बेदलख नहीं करेंगे, रजिस्ट्री कर दी जाए। सब रजिस्ट्रार ने इसे करने से मना कर दिया। इस पर अपील इंदौर टू के वरिष्ठ जिला पंजीयक अमरेश नायडू जो जिले के भी प्रभारी है, के पास हुई। उन्होंने सब रजिस्ट्रार को रजिस्ट्री करने के आदेश जारी कर दिए।
ये खबर भी पढ़िए...भोपाल में मंत्री पुत्र मारपीट का मामला, टीटी नगर टीआई को सौंपी गई जांच
इस तरह शासन को पहुंची 12.39 लाख की राजस्व हानि
इस मामले में जांच में सामने आया कि रजिस्ट्री में कोर्ट के आदेश को तो दरकिनार किया ही गया, साथ ही यह भी गलत हुआ कि इसमें स्टाम्प ड्यूटी खरीदी-बिक्री पर लगने के साथ ही इसमें गुप्ता द्वारा लीज अधिकार भी ट्रांसफर हुए, उस पर भी ड्यूटी बनती है, इसमें दो तरफा ड्यूटी लगती थी जो 12.39 लाख रुपए होती है, लेकिन इसकी भी वसूली इस रजिस्ट्री में नहीं की गई है और नायडू के आदेश के कारण इसका भी शासन को नुकसान हुआ है। जो गंभीर कदाचरण, लापरवाही और काम में उदासीनता है। विभाग की रिपोर्ट के आधार पर संभागायुक्त इंदौर ने कार्रवाई की अनुशंसा भोपाल स्तर पर प्रमुख सचिव के भेज दी है।