संपत्तिकर भरने से अवैध कॉलोनी में निर्माण वैध नहीं होता, कलेक्टर और पंजीयन विभाग इन पर ड्यूटी भी वसूलें: हाईकोर्ट इंदौर

अवैध कॉलोनियों को लेकर इंदौर हाईकोर्ट बैंच ने अहम दिशा-निर्देश जारी किए हैं। कोर्ट ने एक मामले में सुनवाई के बाद कहा कि संपत्ति कर और बिजली बिल भर भरने से कोई संपत्ति वैध नहीं होती है। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला....

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Sandeep Kumar
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अवैध कॉलोनियों को लेकर HC का फैसला

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संजय गुप्ता @INDORE. अवैध कॉलोनियों ( illegal colonies ) को लेकर इंदौर हाईकोर्ट ( Indore High Court ) ने अहम दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इंदौर हाईकोर्ट ने एक मामले में सुनवाई के बाद साफ कहा कि- इंदौर में ही अकेले 1100 अवैध कॉलोनियां भूमाफिया ने काट दी हैं। इसमें मकान बनाने में आम व्यक्ति की जिंदगीभर की मेहनत की कमाई जा रही है। वह इसे वैध मानते हैं,  लेकिन संपत्ति कर, बिजली बिल भरने से कोई संपत्ति वैध नहीं होती है। हाईकोर्ट ने भूमाफिया द्वारा अवैध काटी जा रही कॉलोनियों पर चिंता जाहिर की कहा कि इस दिशा में कलेक्टर इंदौर कदम उठाएं।

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इंदौर हाईकोर्ट ने यह दिए दिशा-निर्देश

जस्टिस विवेक रूसिया की कोर्ट में चले सुरजीत कौर विरुद्ध मप्र शासन, प्रमुख सचिव गृह विभाग, कलेक्टर इंदौर, नगर निगम इंदौर और जोन 13 बिल्डिंग ऑफिसर अनूप गोयल केस में यह निर्देश जारी किए हैं।

1- हाईकोर्ट ने माना कि केवल संपत्ति कर भरने से, बिजली कनेक्शन होने से किसी भी अवैध कॉलोनी में निर्माण, या अवैध निर्माण को वैध की पात्रता नहीं मिल जाती है।

2- निगम, बिजली विभाग व अन्य एजेंसियों में समन्वय नहीं है। सब अपने टैक्स, ड्यूटी ले लेते हैं, लेकिन इन अवैध निर्माण, पर मप्र शासन को कोई भी पंजीयन, स्टाम्प ड्यूटी नहीं मिलती है, इससे मप्र शासन राजस्व में नुकसान में रहता है।

3- नगर निगम को संपत्ति कर लेने से पहले देखना चाहिए कि वह भूखंड की वैधता भूस्वामी के पास सही है और क्या निर्माण वैध है या नहीं, इसके बाद ही संपत्ति कर लेना चाहिए।

4- नगर निगम अपनी अवैध कॉलोनियों की सूची कलेक्टर इंदौर और पंजीयन विभाग को उपलब्ध कराए और इसमें दोनों ही आवश्यक एक्शन लें। 

5- इंदौर में भूमाफियाओं ने 1100 अवैध कॉलोनी काट दी, उन पर कई एफआईआर भी हो गई, लेकिन इसके बाद भी लोग वैधता के लिए परेशान हो रहे हैं।

6- हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि लोग यहां प्लाट नोटरी पर ले लेते हैं। अवैध निर्माण में अपनी मेहनत की कमाई लगा देते हैं, लेकिन इसके बाद भी वैधता नहीं मिलती है। कलेक्टर इंदौर इस दिशा में कदम उठाएं। 

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यह है मामला- खासगी ट्रस्ट की कारस्तानी आई सामने

दरअसल यह मामला तब उठा जब सुरजीत कौर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। यह याचिका नगर निगम द्वारा पिपपल्यारवा के सर्वे नंबर 162 में उनके 1800 वर्गफीट प्लाट पर बने निर्माण को अवैध बताने औऱ् तोड़ने के लिए था। इस पर कौर ने कहा कि उनके पोते करण राणा को बीजेपी पदाधिकारी पर हमले का आरोपी बनाने के कारण निगम यह कार्रवाई कर रहा है। वह तो इसका संपत्तिकर भी भर रही है। निगम इसे वैध नहीं कर रहा है, क्योंकि यह वैध कॉलोनी है और पूरा संत नगर ही अवैध है, क्योंकि यह ग्रीन बेल्ट पर है। इस पर नगर निगम ने बताया कि इन्होंने यह प्लाट खासगी ट्रस्ट से साल 2000 में मात्र 50 रुपए के स्टाम्प पर लिया है, ना मालिकाना हक है, ना रजिस्ट्री है और ना ही भवन मंजूरी है। पूरा एरिया ग्रीन बेल्ट में हैं, इसलिए इसे वैध नहीं कर रहे हैं। यह भी सामने आया कि खासगी ट्र्सट ने इस तरह अपनी जमीन कई लोगों को लीज पर मात्र 50-50 रुपए के स्टाम्प पर बेच दी और यह सौदे 1.50-150 लाख रुपए में साल 2000 के करीब हुए थे।

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