BHOPAL. मध्य प्रदेश की कैलारस नगर परिषद ( Kailaras Municipal Council ) में बिल का भुगतान करने के दौरान बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। मामले में EOW ने चार पूर्व और 4 वर्तमान सीएमओ सहित 8 कर्मचारियों के खिलाफ FIR दर्ज कर ली है । बताया जा रहा है नगर परिषद में 180 फर्जी बिलों का भुगतान करने के लिए 1 करोड़ 41 लाख से भी अधिक का फर्जी भुगतान किया गया है। जिसकी शिकायत ईओडब्ल्यू ( EOW ) में की गई थी । जिस पर कार्रवाई करते हुए ईओडब्ल्यू ने नगर परिषद ( Municipal Council ) के आठ अधिकारी और कर्मचारीयों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
EOW की ग्वालियर शाखा ने शुरू की जांच
EOW की ग्वालियर इकाई को एक शिकायत मिली थी, जिसमें मुरैना कैलारस नगर परिषद में करोड़ों रुपए की हेरा फेरी की शिकायत की गई थी। EOW को बताया गया कि नगर परिषद में 180 बिल वाउचरों का फर्जी भुगतान कर शासन को 1 करोड़ 41 लाख 75 हज़ार 825 रुपए का आर्थिक नुकसान पहुंचाया गया । जब इस मामले की जांच शुरू की गई तो सबसे पहला नाम उस शख्स का आया जिसकी फर्जी तरीके से नियुक्ति हुई थी ।
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1989 में फर्जी तरीके से हुई थी शिव कुमार शर्मा की नियुक्ति
शिवकुमार शर्मा वर्ष 1989 में नगर सुधार न्यास मुरैना में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के रूप में नियुक्त किए गए थे। वर्ष 1990 में उन्हें हटा दिया गया था। इसके अलावा 1994 में उन्हें पुनः दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के रूप में नियुक्त किया गया था। शिवकुमार शर्मा का आज तक नियमितीकरण नहीं हुआ है बल्कि शिवकुमार शर्मा ने अपने रिकॉर्ड में काट छांटकर अपने आप को नियमित कर्मचारी बताकर मुरैना से कैलारस स्थानांतरण करा लिया। साथ ही दैनिक वेतन भोगी के स्थान पर नियमित कर्मचारियों का वेतन लेकर शासन को बड़ी मात्रा में आर्थिक क्षति भी पहुंचाई। शिवकुमार शर्मा द्वारा नगर परिषद कैलारस में स्टोर प्रभारी रहते हुए बिना सामग्री खरीदे फर्जी बिल वाउचरों के माध्यम से करोड़ों रुपए का भुगतान प्राप्त किया गया।
नगर परिषद ने नहीं खरीदी कोई सामग्री
यह घोटाला 2020 से 2022 के बीच हुआ है। जिसमें नगर परिषद द्वारा कोई सामग्री नहीं खरीदी गई, फिर भी 180 फर्जी बिल पास करके 1 करोड़ 41 लाख 75 हजार 825 रुपये का भुगतान कर दिया। इस मामले की शिकायत मुरैना नगर निगम से आम आदमी पार्टी के पार्षद रमेश उपाध्याय, निवासी केशव नगर कॉलोनी ने की थी। 7 फरवरी 2023 को ग्वालियर ईओडब्ल्यू ने मामला पंजीबद्ध किया और इसकी जांच टीआई डॉ. जयसिंह यादव ने की। जिसमें बताया गया है, कि दो साल में 180 फर्जी बिल वाउचरों का स्टोर रजिस्टर में रिकार्ड नहीं मिला है। इतना ही नहीं है, इन बिलों की कोई सामग्री नगर परिषद में कभी नहीं आई और ना ही ऐसी सामग्री का कहीं उपयोग हुआ है।
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सीएमओ से मिलीभगत कर किया घोटाला
ईओडब्ल्यू की जांच में सामने आया है, कि कैलारस नगर परिषद के इस घोटाले का मास्टमाइंट तात्कालीन स्टोर कीपर शिवकुमार शर्मा है, जिसकी नौकरी ही फर्जी निकली है। जांच में बताया गया है, कि शिवकुमार शर्मा नगर सुधार न्यास मुरैना में 1989 में दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी के तौर पर नियुक्त हुआ और हाईकोर्ट में याचिका लगाने के बाद 1994 में पुन: दैवेभो कर्मचारी के तौर पर बहाली की गई।
इनकी भूमिका संदिग्ध, दर्ज हुई FIR
इस जांच के अनुसार फर्जी भुगतान के मामले में स्टोर कीपर शिवकुमार और तत्कालीन सीएमओ संतोष शर्मा, तत्कालीन सीएमओ अमजद गनी, तत्कालीन सीएमओ संतोष सिहारे, रामबरन राजोरिया एवं अतर सिंह रावत और अकाउंटेंट देव प्रकाश शर्मा, लक्ष्मण सिंह नामदेव द्वारा षड्यंत्र कर नगर पालिका परिषद कैलारस को नुकसान पहुंचाया गया। जिन पर कई धाराओं में मामला दर्ज किया गया है ।