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इंदौर में मुस्लिम छात्रों के नाम पर दी जाने वाली छात्रवृत्ति योजना में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। क्राइम ब्रांच की जांच में खुलासा हुआ है कि कई संचालक खंडहर और खाली मैदान को स्कूल और मदरसा बताकर लाखों रुपए की छात्रवृत्ति हड़प रहे थे। भौतिक सत्यापन में इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ, जिसके बाद पुलिस ने कई संस्थानों और उनके संचालकों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। इस पूरे मामले की रिपोर्ट सरकार को भी भेजी जा रही है।
फरार हुआ मुख्य आरोपी आफताब खान
डीसीपी (अपराध) राजेश कुमार त्रिपाठी ने बताया कि सहायक संचालक अनिल कुमार सोनी की शिकायत पर अपराध शाखा ने 17 जून को मामला दर्ज किया था। जांच में सामने आया कि कई स्थानों पर जहां स्कूल और मदरसे दर्शाए गए थे, वहां वास्तव में कोई भवन ही मौजूद नहीं था।
एक मामला आफताब खान का सामने आया, जिसने खजराना की सब्जी मंडी में 'सेंट जेवियर कान्वेंट' (डाइस कोड- 23260103838) नाम से स्कूल बताकर सात लाख रुपये से अधिक की छात्रवृत्ति ली थी। जब पुलिस ने उसके ठिकाने पर दबिश दी, तो वह मोबाइल बंद कर फरार हो गया।
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इन संस्थानों के खिलाफ FIR दर्ज
निरीक्षक माघव सिंह भदौरिया की जांच में सामने आया कि फर्जीवाड़ा करने वाले संचालक अपात्र विद्यार्थियों को कक्षा 9वीं और 10वीं में पोर्टल पर पंजीकृत कर अपने ही लॉगिन से डेटा अपलोड कर रहे थे। इनमें से कई विद्यार्थियों का वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं है। इस आधार पर पांच संस्थानों पर FIR दर्ज की गई है:
- केयर वेल स्कूल, संचालक: मो. रफीक खान (बैकुंठधाम कॉलोनी)
- मदरसा साफिया, संचालक: शबनम शाह (हिना पैलेस, खजराना)
- मदरसा उस्मानिया, संचालक: शहनाज खानम (चंदन नगर)
- सेंट जेवियर कान्वेंट, संचालक: आफताब खान (खजराना)
- सेंट जेआर डीआरडी मेमोरियल स्कूल, संचालक: आफताब (सब्जी मंडी)
27 शिक्षण संस्थानों पर संदेह
पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि कुल 27 शिक्षण संस्थान ऐसे हैं जो संदेह के घेरे में हैं। इन सभी की अलग-अलग जांच की जा रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि इनमें से कितने संस्थानों ने वास्तविक छात्रवृत्ति प्राप्त की है और कितनों ने फर्जी तरीके अपनाए हैं।
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सरकार को भेजी जा रही रिपोर्ट
इस घोटाले की गंभीरता को देखते हुए पूरे मामले की रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजी जा रही है, जिससे दोषियों पर कठोर कार्रवाई हो सके। साथ ही, अन्य जिलों में भी ऐसे फर्जीवाड़े की जांच की तैयारी की जा रही है। पुलिस की जांच और सरकार की सख्ती से अब ऐसे घोटालेबाजों की गिरफ्तारी तय मानी जा रही है।
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