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Photograph: (thesootr)
INDORE. इंदौर जिला प्रशासन और पुलिस ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) के तहत होने वाली प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की थी। अब इसको लेकर बड़ा सवाल उठ गया है। यह सवाल इंदौर के कार्यपालिक मजिस्ट्रेट हातोद के जरिए की गई कार्रवाई से जुड़ा है। एसडीएम ने बीएनएसएस की धारा 126 बी और 135(3) के तहत एक किसान के खिलाफ कार्रवाई की थी।
इसमें जिला कोर्ट ने साफ कहा है कि इस प्रतिबंधात्मक आदेश में कार्यपालिक मजिस्ट्रेट के जरिए न्यायिक मस्तिष्क यानी ज्यूडिशियरी ब्रेन का उपयोग नहीं किया गया है। यहां तक कि यह भी कहा गया कि कार्यपालिक मजिस्ट्रेट के आदेश, फार्म साइक्लोस्टाइल में बने हुए हैं।
मामला क्या है
फरियादी इंदरसिंह पिता दौलतसिंह यादव, निवासी सुदामानगर, इंदौर ने जिला कोर्ट में केस दाखिल किया था। उसने मजिस्ट्रियल हातोद इंदौर और थाना प्रभारी हातोद को पक्षकार बनाया है। यादव ने आरोप लगाया कि उनके खिलाफ थाना प्रभारी हातोद ने याचिका पेश किया था। यह याचिका बीएनएसएस की धारा 126 बी और 135(3) के तहत कार्यपालिक मजिस्ट्रेट हातोद कोर्ट में पेश की गई थी।
इसमें उन्हें 28 अगस्त 2025 को 6 महीने के लिए 10 हजार की राशि में बाउंडओवर करने के आदेश हुए। यह इसलिए क्योंकि महेश केवट जो उनकी कृषि जमीन पर कब्जा कर खेती कर रहा था, उसे कब्जा हटाने के लिए कहा गया था।
इसके बाद महेश ने थाने में उनके खिलाफ आवेदन किया और इसी आधार पर उनके खिलाफ प्रतिबंधात्मक कार्रवाई प्रस्तावित कर दी गई थी। जबकि यादव ने महेश के खिलाफ अपनी जमीन पर कब्जे को लेकर हातोद थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी। साथ ही, कलेक्टर जनसुनवाई और अन्य कई जगहों पर शिकायत की थी।
यादव का कहना है कि उनकी खुद की जमीन पर कब्जा था। साथ ही, उनके खिलाफ कोई केस नहीं होने पर भी यह प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की गई।
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जिला कोर्ट की 126 बी पर अहम टिप्पणी
जिला कोर्ट ने सभी तथ्यों को सुनने के बाद पाया कि यह कार्रवाई गलत है। साथ ही, कार्यपालिक मजिस्ट्रेट हातोद ने इस मामले में ज्यूडिशियरी ब्रेन का उपयोग नहीं किया था। जब भूस्वामी खुद शिकायत कर रहा है और पहले वह एफआईआर भी दर्ज करा चुका है और विवाद कृषि जमीन का है, तो यह सार्वजनिक विवाद कैसे हो सकता है?
कार्यपालिक मजिस्ट्रेट ने आदेश में लिखा कि बीएनएसएस की धारा 126 सार्वजनिक स्थल पर सार्वजनिक शांति भंग होने और विवाद के लिए है। यह धारा व्यक्तिगत स्थल पर हुए व्यक्तिगत विवाद पर लागू नहीं होती है।
इस धारा को तब लागू किया जाता है जब सामुदायिक शांति भंग हो। साथ ही, इससे आम जनता में डर पैदा हो, इसमें व्यक्तिगत या निजी विवाद नहीं आते हैं। इसलिए एसडीएम कोर्ट का आदेश निरस्त किया जाता है।
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एसडीएम कोर्ट ने साइक्लोस्टाइल में बनाए हैं फार्म
जिला कोर्ट ने प्रतिबंधात्मक आदेश देखने पर यह भी लिखा कि ऐसा लगता है कि यह आदेश सायक्लोस्टाइल प्रोफार्मा पर तैयार किया गया है। इसमें धारा 130, 131 और 135(3) बीएनएसएस के प्रावधान संयुक्त रूप से लिखे गए हैं।
आदेश को देखकर कहीं नहीं दिखाई देता कि फरियादी को केवल तलब किया जा रहा है या उससे बाउंडओवर की मांग की जा रही है। नोटिस में यह भी साफ नहीं है कि आवेदक के किस काम से परिशांति भंग हो रही है या वह भंग करेगा।
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