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Photograph: (the sootr)
Indore. इंदौर के सबसे पुराने ब्रिज में से एक शास्त्री-रीगल ब्रिज पर हाल में ही बड़ा गड्ढा हो गया था। इसकी जांच में सामने आया कि ब्रिज पर चूहों के बड़े-बड़े बिल है और उनके ही कुतरने से ही यह गड्ढा हुआ था। ब्रिज के आसपास भारी मात्रा में चूहों के बिल पाए गए। अब इस ब्रिज को बचाने के लिए इंदौर नगर निगम द्वारा नई जुगत की जा रही है।
इस तरह भरे जा रहे कांच के टुकड़े
ब्रिज के फुटपाथ के पैवर ब्लाक को हटा दिया गया है और इसमें गहरी खुदाई की गई है। इस खुदाई के बाद इसमें कांक्रीट के साथ ही कांच के टुकड़े भरे जा रहे हैं। जिससे चूहे बिल ही नहीं बना सकें और ना ही कांच के कारण चूहों की भागमभागी हो सकेगी।
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एसजीएसआईटीएस प्रोफेसर की सलाह पर
नगर निगम द्वारा यह काम एसजीएसआईटीएस के प्रोफेसरों की सलाह पर किया जा रहा है। पहले तो सभी के बिल हटाने के लिए इसे खोदा गया। फिर स्टोन डस्ट के साथ-साथ कांच के टुकड़े और पेस्ट कंट्रोल कर हैवी ब्लाक लगाने की तैयारी का जा रही है।
रीगल से लेकर एमवाय तक बिल
हाल ही में एमवाय अस्पताल में चूहों के काटने से दो नवजात की मौत हुई थी। बाद में रीगल पर लगी गांधी प्रतिमा के पास की जांच की गई तो यहां भी चूहों के बड़े बिल मिले थे। इसके बाद शास्त्री ब्रिज में एक साइड गड्ढा हो गया और इसका कारण चूहों के कुतरने से नीचे की मिट्ठी धसकना था।
ब्रिज के बोगदों में भी चूहों के बड़े-बड़े बिलों के कारण ब्रिज को खतरा हो गया है। निगम के अधिकारियों ने एसजीएसआईटीएस के प्रोफेसरों के साथ मिलकर अलग-अलग हिस्सों का दौरा किया था और प्रोफेसर आशा उत्तम गुप्ता और उनकी टीम ने ब्रिज के आसपास के हिस्सों में नए सिरे से कार्ययोजना बनाकर दी।
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योजना के अनुसार ऐसे हो रहा बचाव
योजना के तहत सबसे पहले वहां पूरे हिस्सों के फुटपाथ खोदे जाएंगे और वहां तीन से चार टैंकर पानी डाला जाएगा, ताकि पूरी मिट्टी लेबल में आ सके। इसके बाद स्टोन डस्ट और पेस्ट कंट्रोल के साथ-साथ कांच और कई केमिकल भरकर सीमेंट का हैवी घोल बिछाया जाएगा।
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