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पूरी खबर को 5 पॉइंट में समझें
- इंदौर शिक्षा विभाग के कर्मचारियों ने मिलकर सरकारी योजनाओं के 1.57 करोड़ रुपए का घोटाला किया है।
- स्कॉलरशिप और जीपीएफ का पैसा जरूरतमंद को देने के बजाय अपने रिश्तेदारों के बैंक खातों में डाल दिया गया।
- यह धोखाधड़ी साल 2018 से 2025 के बीच लगातार चलती रही और किसी को कानों-कान खबर नहीं हुई।
- भोपाल की आईटी सेल ने जब बैंक खातों में संदिग्ध लेन-देन देखा, तब जाकर इस पूरी साजिश का खुलासा हुआ।
- कलेक्टर के आदेश पर अब उन सभी बड़े अधिकारियों और कर्मचारियों की जांच की जा रही है जो इस दौरान वहां तैनात थे।
INDORE-इंदौर बीईओ कार्यालय में सरकारी राशि का बड़ा गबन हुआ है। योजनाबद्ध तरीके से कुल 1 करोड़ 57 लाख रुपए हड़पे गए। यह राशि सरकारी स्कूलों और विद्यार्थियों के नाम पर आई थी। इतने बड़े घोटाले की किसी को कानों-कान खबर तक नहीं लगी।
आईटी सेल को कुछ बैंक खातों में संदिग्ध लेनदेन नजर आया। संदेह होने पर ही इस पूरे बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। गबन का आरोप सीधे इंदौर ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कार्यालय पर है।
7 साल तक होती रही वित्तीय अनियमितता
सरकारी योजनाओं की राशि में भारी वित्तीय अनियमितता सामने आई है। कर्मचारियों ने जरूरतमंदों के बजाय परिचितों के खातों में पैसा भेजा। रिश्तेदारों के बैंक खातों में भी सरकारी रकम ट्रांसफर की गई। यह धांधली वर्ष 2018 से 2025 के बीच लगातार चलती रही।
इंदौर विकासखंड कार्यालय में यह बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। यहां अनुदान और छात्रवृत्ति मद की राशि में हेराफेरी हुई। सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ) का पैसा भी गलत तरीके से निकाला गया। सरकारी पैसे को दूसरे खातों में डालकर आपस में बांट लिया गया।
ऐसे हुआ मामले का खुलासा
इस पूरे मामले का खुलासा भोपाल स्थित आईटी सेल की निगरानी के दौरान हुआ। नियमित डेटा विश्लेषण के दौरान कुछ बैंक खातों में संदिग्ध लेन-देन पकड़ा गया। इसमें सरकारी मद की राशि बार-बार ट्रांसफर होती दिखाई दी। संदेह पुख्ता होने के बाद यह जानकारी कलेक्टर कार्यालय को भेजी गई, जहां से मामले को गंभीर मानते हुए जांच के आदेश दिए गए।
शुरू हुई जांच
पूरे मामले का खुलासा भोपाल स्थित आईटी सेल की निगरानी में हुआ। नियमित डेटा विश्लेषण के दौरान कुछ खातों में संदिग्ध लेन-देन पकड़ा गया। इन खातों में सरकारी फंड का पैसा बार-बार ट्रांसफर हो रहा था। संदेह पुख्ता होने के बाद इसकी जानकारी कलेक्टर कार्यालय को भेजी गई। कलेक्टर ने मामले को गंभीर मानते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं।
कलेक्ट्रेट में भी हुआ था ऐसा गबन
इंदौर कलेक्ट्रेट के ट्रेजरी विभाग में भी ऐसा ही मामला सामने आया है। वहां एक कर्मचारी ने रिश्तेदारों के खातों में सरकारी पैसा डाला था। जिला पंचायत और शिक्षा विभाग के अधिकारी अब इसकी बारीकी से जांच कर रहे हैं।
अधिकारी अब सभी डॉक्यूमेंट्स और बैंक खातों के रिकॉर्ड खंगाल रहे हैं। घोटाले में शामिल कर्मचारी की भूमिका की भी सघन जांच की जा रही है।
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