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Photograph: (the sootr)
Jaipur. राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग ने 97 सरकारी स्कूलों को नजदीकी विद्यालयों में मर्ज कर दिया है। यह निर्णय शून्य नामांकन वाले स्कूलों की स्थिति को सुधारने के लिए लिया गया है। इन स्कूलों में किसी भी विद्यार्थी का नामांकन नहीं हुआ था, इसके बावजूद ये स्कूल नियमित रूप से चलाए जा रहे थे और शिक्षक वेतन प्राप्त कर रहे थे। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर का कहना है कि इस कदम से शिक्षा व्यवस्था में सुधार और संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित किया जाएगा।
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मर्ज किए गए स्कूलों की सूची
विभाग ने मर्ज किए गए स्कूलों की पहली सूची जारी की है, जिसमें 88 प्राथमिक विद्यालय और 9 उच्च प्राथमिक विद्यालय शामिल हैं। इन स्कूलों में एक भी विद्यार्थी नामांकित नहीं था, लेकिन फिर भी ये स्कूल नियमित रूप से संचालित हो रहे थे। इस मर्जर के बाद इन विद्यालयों का प्रशासनिक अस्तित्व समाप्त हो जाएगा और उनकी भूमि, भवन, खेल मैदान, फर्नीचर, शैक्षिक उपकरण आदि संबंधित मर्ज विद्यालय को हस्तांतरित कर दिए जाएंगे।
शिक्षकों का समायोजन
मर्ज किए गए स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों को अन्य विद्यालयों में समायोजित किया जाएगा। जिला शिक्षा अधिकारियों (प्रारंभिक) को यह निर्देश दिए गए हैं कि वे अधिशेष शिक्षकों को संबंधित पीईईओ (प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी) क्षेत्र के अन्य राजकीय विद्यालयों में कार्य-व्यवस्थार्थ रखें, ताकि शिक्षण कार्य पर कोई असर न पड़े। यह कदम सुनिश्चित करेगा कि शिक्षकों की कमी के कारण विद्यार्थियों को शिक्षा में कोई रुकावट न आए।
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हाड़ौती क्षेत्र में मर्ज किए गए स्कूल
हाड़ौती क्षेत्र के चार स्कूलों को मर्ज किया गया है। इनमें कोटा जिले के खातौली में फरेरा, बारां जिले के छीपाबड़ौद का खेड़ली, झालावाड़ जिले के गागरोन के पास मशालपुरा और खानपुर ब्लॉक के जटली गांव के प्राथमिक स्कूल शामिल हैं। इन स्कूलों को नजदीकी राजकीय उच्च प्राथमिक स्कूल में मर्ज किया गया है।
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राजस्थान के अन्य क्षेत्रों में मर्ज किए गए स्कूल
अन्य क्षेत्रों में भी शून्य नामांकन वाले कई स्कूलों को मर्ज किया गया है। इनमें अजमेर, अलवर, बालोतरा, बांसवाड़ा, बारां, ब्यावर, भरतपुर, भीलवाड़ा, बीकानेर, चूरू, दौसा, डीडवाना-कुचामन, जयपुर, जैसलमेर, जालोर, झालावाड़, झुंझुनूं, जोधपुर, करौली, कोटा, कोटपूतली, नागौर, पाली, फलोदी, प्रतापगढ़, राजसमंद, सवाई माधोपुर, सलूंबर, सीकर और टोंक जैसे जिलों में शून्य नामांकन वाले स्कूलों को मर्ज किया गया है।
शिक्षा विभाग ने 97 सरकारी स्कूलों को मर्ज किया
- शून्य नामांकन वाले स्कूलों का संचालन होते हुए भी विद्यार्थी नहीं आ रहे थे। इससे संसाधनों का अपव्यय हो रहा था, इसलिए इन स्कूलों को नजदीकी विद्यालयों में मर्ज किया गया, ताकि शिक्षा व्यवस्था को अधिक प्रभावी और व्यावहारिक बनाया जा सके।
- मर्ज किए गए स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों को अन्य विद्यालयों में समायोजित किया जाएगा। इसके लिए जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे शिक्षकों को संबंधित क्षेत्र के अन्य स्कूलों में नियुक्त करें, ताकि शिक्षण कार्य प्रभावित न हो।
- मर्ज किए गए स्कूलों के सभी संसाधन जैसे भूमि, भवन, खेल मैदान, फर्नीचर और शैक्षिक उपकरण संबंधित मर्ज विद्यालय को हस्तांतरित कर दिए जाएंगे। इस कदम से संसाधनों का बेहतर उपयोग किया जा सकेगा और शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाया जा सकेगा।
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