द सूत्र मन मत सर्वे:: राजस्थान के 46% लोग बोले- आज चुनाव तो हार जाएंगे मौजूदा विधायक, आधी जनता विधायकों के खिलाफ खुलकर नहीं बोल पाती

राजस्थान में भजन सरकार के दो साल पूरे हो गए हैं। दिसंबर 2023 में बनी सरकार को जनता ने उम्मीद के साथ मौका दिया था कि वह व्यवस्था को बदलेंगे। अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या सरकार की मौजूदगी जमीन पर महसूस हुई।

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JAIPUR.राजस्थान की सियासत में भजन सरकार के दो साल पूरे हो चुके हैं। दिसंबर 2023 में बनी इस सरकार को जनता ने सिर्फ कुर्सी बदलने के लिए नहीं, बल्कि जमी हुई व्यवस्था को हिलाने की उम्मीद के साथ मौका दिया था। अपेक्षा थी कि फैसले तेज होंगे, शासन की चाल बदलेगी और सत्ता की दूरी जनता से कम होगी।

दो साल बीतने के बाद अब माहौल सवालों से घिरा है। क्या सरकार की मौजूदगी जमीन पर महसूस हुई? क्या विकास की बातें कागज़ों से निकलकर आम आदमी की दिनचर्या का हिस्सा बनीं? क्या विधायक चुनाव के बाद भी जनता के बीच नजर आए या सत्ता का दायरा उन्हें और दूर ले गया?

इन्हीं सवालों की नब्ज टटोलने के लिए ‘द सूत्र’ ने डिजिटल सर्वे ‘मन मत’ कराया। प्रदेशभर के लोगों ने इसमें खुलकर, बिना किसी संकोच के अपनी राय रखी। नतीजों में कहीं संतोष उभरा है तो कहीं गहरी नाराजगी साफ झलकती है। कहीं सरकार को राहत मिली है तो कहीं साफ संकेत हैं कि चेतावनी की घंटी बज चुकी है।

इस सर्वे में राजस्थान की सभी 200 विधानसभा सीटों से 25 हजार 980 लोगों ने हिस्सा लेकर सरकार और विधायकों के कामकाज पर अपना सीधा फैसला सुनाया है।

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पढ़िए सर्वे के हर सवाल के नतीजे...

Q1- क्या सरकार ने आपके क्षेत्र में कोई महत्वपूर्ण विकास कार्य कराए हैं?

विकास कार्यों के सवाल के जवाब में 21 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनके इलाके में बहुत अच्छे विकास कार्य किए गए हैं। यह वर्ग उन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करता है, जहां बुनियादी सुविधाओं, योजनाओं या ढांचागत कामों का असर लोगों ने महसूस किया है। 29 प्रतिशत लोगों का मानना है कि कुछ विकास कार्य तो हुए हैं, लेकिन और बेहतर किया जा सकता था। यानी काम की मौजूदगी स्वीकार की जा रही है, पर उसकी गति या प्रभाव को लेकर संतोष अधूरा है।

वहीं, 34 फीसदी लोगों ने साफ कहा कि उनके क्षेत्र में विकास कार्य नहीं हुए। यह वर्ग बताता है कि प्रदेश के कई हिस्सों में बदलाव अब भी जमीन पर महसूस नहीं हो पाया है। 16 परसेंट लोग इस सवाल पर कोई राय नहीं बना सके।

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Q2- क्या आप अपने विधायक से आसानी से मिल सकते हैं? 

लोकतंत्र में जनता और विधायक के बीच सीधा संवाद बेहद अहम माना जाता है। इस सवाल पर भी सर्वे में मिली-जुली तस्वीर सामने आई। राजस्थान के 30 प्रतिशत लोगों का कहना है कि वे अपने विधायक से आसानी से मिल सकते हैं। दूसरी तरफ 43 परसेंट लोगों ने बताया कि वे कभी-कभार ही अपने विधायक से मिल पाते हैं। यह आंकड़ा बताता है कि नियमित संवाद की कमी महसूस की जा रही है। 27 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे अपने विधायक से बिल्कुल नहीं मिल पाते। यह स्थिति उन क्षेत्रों की ओर इशारा करती है, जहां जनता और जनप्रतिनिधियों के बीच दूरी बनी हुई है।

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Q3- क्या सरकार चुनाव के दौरान किए गए वादों को पूरा कर रही हैं?

चुनाव के समय किए गए वादे किसी भी सरकार के लिए सबसे अहम पैमाना होते हैं। इस सवाल पर राजस्थान में जनता की राय अपेक्षाकृत तीखी नजर आई। 45 प्रतिशत लोगों का मानना है कि चुनाव के दौरान किए गए वादों पर अपेक्षाकृत रूप से अभी उतना काम नहीं हो रहा है, जिनती उन्हें उम्मीद थी। 

वहीं, 30 प्रतिशत लोगों का कहना है कि सरकार वादे पूरे कर रही है, जबकि 22 प्रतिशत ने कहा कि कुछ वादे पूरे हुए हैं और कुछ बाकी हैं। 3 प्रतिशत लोग इस सवाल पर स्पष्ट राय नहीं दे पाए।

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Q4- विधायकों की ईमानदारी के बारे में आपका क्या विचार है?

विधायकों की ईमानदारी को लेकर सर्वे में चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं। राजस्थान के 22 प्रतिशत लोगों ने अपने विधायकों को ईमानदार माना। इसके मुकाबले 35 प्रतिशत लोगों का कहना है कि उनके विधायक ईमानदार नहीं हैं। सबसे बड़ा वर्ग 43 प्रतिशत, ऐसा रहा जो किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सका। 

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Q5- अगर आज चुनाव हुए तो क्या आपके वर्तमान विधायक दोबारा जीत पाएंगे? 

दो साल पूरी कर चुकी सरकार के लिहाज से यह सवाल अहम था। सर्वे में राजस्थान के 30 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वर्तमान विधायक दोबारा जीत सकते हैं। वहीं, 46 प्रतिशत का कहना है कि विधायक की दोबारा जीत संभव नहीं होगी। 24 प्रतिशत लोग इस सवाल पर कोई राय नहीं दे पाए।  

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Q6- क्या आप अपने विधायक या सरकार के बारे में सोशल मीडिया पर या आपसी बातचीत में खुलकर बोल पाते हैं? 

राजस्थान में विधायकों के खिलाफ खुलकर बोलने की आजादी पर सवाल खड़े हो गए हैं। जब हमनें सर्वे में पूछा कि क्या लोग अपने विधायक या सरकार के बारे में सोशल मीडिया या आपसी बातचीत में खुलकर बोल पाते हैं। इसके जवाब में 34 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे खुलकर अपनी बात रखते हैं। इसके उलट 46 प्रतिशत लोगों का कहना है कि वे ऐसा नहीं कर पाते। 20 प्रतिशत लोग इस सवाल पर स्पष्ट राय नहीं बना सके। 

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Q7- राजस्थान के विधायकों की किन मामलों में खासी रुचि रहती है? 

जब जनता से पूछा गया कि राजस्थान के विधायकों की रुचि किन मामलों में ज्यादा रहती है, तो इसमें जनता ने अलग अलग जवाब दिए। 21 प्रतिशत लोगों के अनुसार विधायकों की सबसे ज्यादा रुचि जमीन से जुड़े मामलों में रहती है। 16 प्रतिशत ने शराब, 14 परसेंट ने खदानों की बात कही। वहीं, 14 फीसदी ने लोगों ने कहा कि विधायक अपराधियों को संरक्षण देते हैं। 12 प्रतिशत लोगों का मानना है कि विधायकों की इन सभी मामलों में रुचि रहती है। वहीं, 23 परसेंट लोग इस सवाल पर कोई राय नहीं बना पाए।

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Q8- क्या विधायकों के रिश्तेदार तेजी से पैसे वाले बन रहे हैं?

सत्ता के साथ नेताओं के रिश्तेदारों की स्थिति को लेकर सवाल अक्सर उठते हैं। द सूत्र के सर्वे में राजस्थान के 34 प्रतिशत लोगों ने माना कि विधायकों के रिश्तेदार तेजी से पैसे वाले बन रहे हैं। वहीं, 56 प्रतिशत ने इस बात से इनकार किया है, जबकि 10 परसेंट लोग इस पर कोई राय नहीं दे पाए।

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Q9- सरकारी योजनाएं: कहीं संतोष, कहीं असमंजस

सरकार की प्रमुख योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर भी अलग-अलग अनुभव सामने आए।

द सूत्र का चुनावी सर्वे: मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना को लेकर 54 प्रतिशत लोगों ने संतोषजनक और 35 प्रतिशत ने बहुत संतोषजनक बताया। 9 प्रतिशत असंतुष्ट रहे, जबकि 2 प्रतिशत ने राय नहीं दी।

इंदिरा रसोई योजना को 35 परसेंट लोगों ने संतोषजनक, 23 प्रतिशत ने बहुत संतोषजनक, 20 प्रतिशत ने असंतोषजनक करार दिया। वहीं, 22 प्रतिशत अनिश्चित रहे।

मुख्यमंत्री किसान मित्र ऊर्जा योजना को 37 प्रतिशत ने संतोषजनक और 28 प्रतिशत ने बहुत संतोषजनक माना। 18 प्रतिशत असंतुष्ट रहे, जबकि 17 प्रतिशत ने कह नहीं सकते कहा।

कालीबाई भील मेधावी छात्रा स्कूटी योजना को 18 परसेंट लोगों ने संतोषजनक, 36 फीसदी ने बहुत संतोषजनक बताया। वहीं, 15 परसेंट ने असंतोषजनक और 31 फीसदी ने कोई राय नहीं दी। 

ऐसे ही इंदिरा गांधी शहरी क्रेडिट कार्ड योजना को 29 फीसदी ने बहुत संतोषजनक बताया। 32 परसेंट ने संतोष जनक कहा। 23 फीसदी लोग नाराज दिखे और 16 परसेंट ने कोई राय नहीं दी। '

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भजन सरकार को कितने स्टार

द सूत्र मन मत: सर्वे का अंतिम सवाल सरकार के कुल प्रदर्शन से जुड़ा था। काम के आधार पर जनता ने राजस्थान सरकार को 5 में से औसतन 2.3 स्टार दिए हैं। 

यह रेटिंग न पूरी तरह संतोष का संकेत देती है, न पूरी तरह असंतोष का। यह उन अनुभवों का औसत है, जहां कुछ योजनाओं और कामों पर भरोसा दिखता है, तो कई मोर्चों पर सवाल और असमंजस अब भी कायम हैं। ‘द सूत्र’ का यह सर्वे बताता है कि राजस्थान में सरकार के कामकाज को लेकर जनता का नजरिया एकरंगा नहीं है। संतोष, असंतोष और अनिश्चितता, तीनों ही द सूत्र के सर्वे 'मन मत' का हिस्सा हैं।

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