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विश्वनाथ सिंह @ इंदौर
इंदौर के एक रिटायर्ड प्रिंसिपल साइबर ठगी का शिकार होकर अपनी जीवनभर की पूंजी गंवा बैठे। उन्हें शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करने का झांसा दिया गया था। इस पर उन्होंने भरोसा करते हुए 1 करोड़ 70 लाख रुपए ठगों के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए। इस राशि को उन्होंने ठगों के बताए हुए नौ खातों में ट्रांसफर कर दिया था। ऐसा करने को लेकर उन्हें ना केवल बैंक मैनेजर बल्कि एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया ने भी खूब समझाया, लेकिन वे नहीं माने और सारी रकम गंवा बैठे। अब पुलिस उन ठगों के अकाउंट की पड़ताल कर रही है। बताया गया कि वे खाते किराए पर लिए गए थे और पड़ोसी राज्यों से ऑपरेट हो रहे थे।
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36 लाख देने पर लौटाई 25 प्रतिशत ज्यादा रकम
मंगलवार को एक निजी कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल साइबर ठगी का शिकार हो गए। ठगों ने उन्हें सोशल मीडिया के जरिए फर्जी ट्रेडिंग ग्रुप में जोड़ा और उनके खाते से 1.70 करोड़ रुपए की ठगी कर ली। सबसे पहले बुजुर्ग ने 36 लाख रुपए अकाउंट में ट्रांसफर किए, तो उन्हें 20 से 25 प्रतिशत तक राशि बढ़कर मिली। इस पर उन्हें लालच हो गया कि अगर वे बाकी की रकम भी शेयर ट्रेडिंग में लगा देंगे, तो हो सकता है उनकी पूरी रकम डबल हो जाए।
बड़े ट्रांजेक्शन पर चौंके बैंक मैनेजर
पीड़ित बुजुर्ग का खाता पलासिया स्थित एक निजी बैंक में है। इसके चलते जब बैंक मैनेजर को लगातार हो रहे बड़े ट्रांजेक्शनों पर शक हुआ, तो उन्होंने बुजुर्ग से पूछताछ की, लेकिन बुजुर्ग ने जानकारी देने से इनकार कर दिया। इसके बाद उन्होंने शक होने पर मामले की जानकारी पुलिस को दी।
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नौ बार में पौने दो करोड़ गंवा दिए
पुलिस के मुताबिक, 84 वर्षीय पूर्व प्रिंसिपल को आर्यन आनंद नाम के व्यक्ति का कॉल आया, जिसने खुद को ट्रेडिंग एडवाइजर बताया। उसने उन्हें stock.mscl-vip.top लिंक भेजकर एक ऐप इंस्टॉल करवाया और निवेश के लिए प्रेरित किया। बुजुर्ग ने 9 बार में करीब 1.70 करोड़ रुपये जमा कर दिए। ठग लगातार उन्हें डबल मुनाफे का लालच देते रहे और ऐप पर उनके अकाउंट में रकम भी दिखाई, लेकिन निकासी की अनुमति नहीं दी। जब उन्होंने पैसा निकालने की कोशिश की, तो आरोपियों ने बहाने बनाए और फिर नंबर बंद कर दिए।
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एडिशनल डीसीपी घर पहुंचे समझाने, पर वे नहीं माने
पलासिया स्थित बैंक के मैनेजर ने जब बुजुर्ग से पूछताछ की, तो उन्होंने पहले निवेश का हवाला देकर जानकारी देने से मना कर दिया। इसके बाद मैनेजर ने पुलिस को सूचित किया। जब क्राइम ब्रांच ने जांच शुरू की, तब पता चला कि यह साइबर ठगी का मामला है। एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया खुद पूर्व प्रिंसिपल के घर पहुंचे और उनसे पूछताछ की। बुजुर्ग को आखिरी समय तक यह समझ नहीं आया कि वे ठगी का शिकार हो चुके हैं। वे ऐप पर दिखाई जा रही फर्जी रकम को ही असली मानते रहे। पुलिस अब उन खातों की तलाश कर रही है, जिनमें राशि ट्रांसफर हुई है।
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