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इंदौर कलेक्टर ने 50 लाख रुपए की रिश्वत मांगे जाने के आरोप में नायब तहसीलदार नागेंद्र त्रिपाठी को दोषी मानते हुए उसे सस्पेंड किए जाने का प्रस्ताव संभागायुक्त को भेजा है। गौरतलब है कि इसका खुलासा सबसे पहले द सूत्र ने करते हुए खबर प्रकाशित की थी। उसके बाद कलेक्टर कलेक्टर आशीष सिंह द्वारा नायब तहसीलदार नागेन्द्र त्रिपाठी, तहसील मल्हारगंज को राजस्व प्रकरणों के निराकरण में राशि की मांग करने व नियमों के विपरीत आदेश पारित किए जाने के फलस्वरूप संभागायुक्त से नागेन्द त्रिपाठी को निलम्बित करते हुए विभागीय जांच किए जाने की अनुशंसा की है। इस मामले में पटवारी को तो पहले ही सस्पेंड कर दिया था। अब नायब तहसीलदार त्रिपाठी पर भी गाज गिर गई है। संभागायुक्त दीपक सिंह ने बताया कि कलेक्टर के प्रस्ताव पर कार्रवाई करते हुए उसे सस्पैंड कर दिया गया है।
द सूत्र ने किया था खुलासा
इंदौर कलेक्टोरेट में नायब तहसीलदार, पटवारी के साथ मध्यस्थ के बने गठजोड़ द्वारा 50 लाख की रिश्वत मांगे जाने के मामले में संकुल में सनसनी मच गई थी। इसको लेकर द सूत्र ने सबसे पहले खुलासा करते हुए खबर प्रकाशित की थी। इसके बाद मामले में कार्रवाई करते हुए पटवारी को सस्पेंड कर दिया गया था और फिर नायब तहसीलदार को नोटिस दिए गए थे। इसके बाद इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह ने जांच के आदेश दिए थे। उसी मामले में अब कार्रवाई की गई है।
यह था पूरा मामला
कलेक्टर सिंह ने बताया था कि इस संबंध में शिकायत मिली थी और आडियो भी थी। इसके आधार पर पटवारी को सस्पेंड कर दिया गया। नायब तहसीलदार की भूमिका की जांच की गई है, हालांकि उनकी कोई रिकार्डिंग नहीं थी। लेकिन उनकी भी जांच के आदेश दिए गए थे। एसडीएम द्वारा नायब तहसीलदार की भूमिका की जांच गई और इसकी रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की गई।
संदेहास्पद मिली त्रिपाठी की भूमिका
जांच के बाद हल्का पटवारी के माध्यम से राजस्व प्रकरण के निराकरण में अनुचित तरीके से राशि मांगने के आरोपों के संबंध में त्रिपाठी की भूमिका संदेहास्पद पाई गई है। त्रिपाठी द्वारा मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता के प्रावधानों का पालन किए बिना व बिना स्थल निरीक्षण किए, मात्र पटवारी द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन के आधार पर शासकीय भूमि से निजी खातेदार को नई मांग उपलब्ध कराया गया। भूमि शासकीय होने से भूमि में शासन का हित निहित था और शासन हितरक्षण करने का दायित्व संबंधित तहसीलदार का था।
इन अधिकारियों पर लगे थे गंभीर आरोप
इंदौर मल्हारगंज के नायब तहसीलदार नागेंद्र त्रिपाठी के साथ ही भांग्या के पटवारी ओम त्रिपेश के साथ ही एक मध्यस्थ शान पटेल पर यह गंभीर आरोप लगे थे। आरोप थे कि इंदौर उज्जैन रोड स्थित एक होटल व्यवसाई की संपत्ति के नामांतरण केस में यह रिश्वत मध्यस्थ शान पटेल के जरिए मांगी गई। आरोप यह भी था कि शान पटेल लगातार नायब तहसीलदार के ही चेंबर में मिलता था और यहीं पर बात होती थी।
रेसीडेंसी बुलाने के आरोप, पटवारी की आडियो सामने आई
इस मामले में आरोप था कि पहले फरियादी के अधिवक्ता राहुल दवे द्वारा इस मामले में डील की कोशिश की और दवे को कहा गया कि वह शान पटेल से बात कर लें। लेकिन जब उन्होंने 50 लाख की रिश्वत बोली तो होश उड़ गए और मना कर दिया। इसके बाद पटवारी ने सीधे पार्टी को फोन लगा दिया और कहा कि साहब (त्रिपाठी) छुट्टी पर जा रहे हैं, जल्द आकर रेसीडेंसी में मिल लो। इसके बाद फरियादी से रेसीडेंसी पर मुलाकात हुई थी।
शिकायतकर्ता ने यह लगाए थे आरोप
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाए थे कि वह रेसीडेंसी पर पहुंचे, वहां अंदर शान पटेल और नायब तहसीलदार कार में बैठे थे। दोनों आगे की सीट पर थे और पटवारी को बाहर खड़ा कर दिया। पीछे की सीट पर फरियादी बैठा। इस दौरान फिर 50 लाख की बात कही गई और कहा गया कि जैसा आप चाहते हो वह करके दे देंगे। लेकिन बात नहीं बनी, इसी बीच उन्हें कुछ ऐसी बात कही गई कि नहीं तो काम पूरा बिगड़ जाएगा। उससे वह तनाव में आ गए। इसके बाद मामले में कलेक्टर को शिकायत कर दी गई।
यह कहा था नायब तहसीलदार ने
नायब तहसीलदार त्रिपाठी ने उस दौरान कहा था कि मेरा इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है, मेरी किसी से कोई बातचीत भी नहीं हुई, जब मामला उठा तब मैंने फाइल की जानकारी ली, इसमें खुद फरियादी गलत नाम पर संपत्ति का नामांतरण चाहते हैं। मैं किसी मध्यस्थ शान पटेल को भी नहीं जानता हूं। रही बात पटवारी की तो उन्होंने क्या किया मुझे नहीं मालूम, लेकिन मेरी किसी से कोई चर्चा नहीं हुई।