INDORE. इंदौर नगर निगम का 150 करोड़ का घोटाले सामने आए अभी कुछ ही महीने गुजरे हैं और निगम के कर्मियों न एक और गुल खिला दिया। अब यहां बीआरटीएस कॉरिडोर में चलने वाली आई बस के टिकट में 1.50 करोड़ का घोटाला हो गया है। मामले में कुछ को सस्पेंड कर और कुछ को इधर-उधर कर मामले को रफा-दफा किया गया। आशंका है कि घोटाले और बड़ा हो सकता है, अधिकारी जांच की बात बोल रहे हैं। यह घोटाला डेढ़ साल से चल रहा था और किसी पर एफआईआर नहीं हुई है।
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इस तरह हुआ घोटाला
घोटाले की शुरूआत आईबस स्टेशन पर टिकट बिक्री से होती है। आनलाइन सिस्टम को बंद कर हाथ में पकड़ी जाने वाली इलेक्ट्रॉनिक टिकट मशीन (ईटीएम) से टिकट काटे जाने लगे। मशीन में टिकट की संख्या दर्ज होती है। संबंधित कर्मचारी मशीन का डाटा दर्ज करवाने शाम को एआइसीटीएसएल के दफ्तर जाते। यहां पर सुपरवाइजर और कम्प्यूटर ऑपरेटर के साथ भी मिलीभगत होती है जिसके चलते यह सभी टिकट संख्या और रुपए कम कर दर्ज कराते हैं। इसके बाद मशीन का डाटा डिलीट कर दिया जाता। स्टेशन पर तैनात कर्मचारी से एआइसीटीएसएल मुख्यालय के जिम्मेदार तक मिलजुल कर इस घोटाले की इस रकम की बंदरबाट करते और कंपनी को चूना लगाते। शहर में इस समय पर हर दिन 59 आइबस चल रही है। कंपनी के रिकार्ड के अनुसार हर दिन करीब 50 से 55 हजार यात्री इनमें रोज सफर करते हैं।
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डेढ़ साल से नाक के नीचे चल रहा फर्जीवाड़ा
करीब डेढ़ साल से यह फर्जीवाड़ा जारी था। इस बीच किसी ने गोपनीय शिकायत कर दी। नगर निगम के अपर आयुक्त और सिटी बस कंपनी के प्रभारी अधिकारी ने अपने स्तर पर जांच की। धांधली में शामिल एक कर्मचारी ने पूछताछ में कुबूल भी कर लिया। इसके बाद नगर निगम ने दो कर्मचारियों की बर्खास्ती का आदेश निकाल दिया। सिस्टम में शामिल कुछ लोगों की जगह बदल दी। इस घोटाले में कोई एफआईआर नहीं कराई गई। एआईसीटीएसएल के सीईओ दिव्यांक सिंह ने जांच होने की बात कही है।
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इन्हें किया बर्खास्त
सुपरवाइजर (ईटीएम) सुखदेव ग्रेवाल को बर्खास्त कर दिया गया है। एक अन्य आउटसोर्स कर्मचारी धर्मेंद्र राजावत को भी हटा दिया गया है। इन लोगों पर निगरानी की जिम्मेदारी तीन अन्य अधिकारियों जगजीत सिंह, अमित पाल और चेतन कर्निक, की जगह बदली गई है। बताया जा रहा है कि घोटाले की जानकारी पहले के कुछ अधिकारियों को भी थी।
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