इंदौर का अनोखा हनीट्रैप जिसमें नीलाम हो गई खाकी की इज्जत, दो पुलिस अफसरों समेत कई नपे

इंदौर में एक अनोखा हनी ट्रैप केस सामने आया, जिसमें दो पुलिस अधिकारी (टीआई और एएसआई) और एक सिपाही के खिलाफ कार्रवाई की गई। एक महिला ने व्यापारी के खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज करवाई और... नीचे पढ़ें पूरी खबर

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राहुल दवे @ Indore

मप्र में हनीट्रैप मामला : इंदौर में हनीट्रैप  का एक ऐसा मामला सामने आया है, जो आम हनीट्रैप से काफी अलग है। आमतौर पर हनी ट्रैप में कोई महिला किसी व्यक्ति को अपने जाल में फंसाकर उससे पैसे निकालती है, और फिर शिकायत के बाद महिला और उसके साथी आरोपी बन जाते हैं।

वहीं इंदौर में कुछ और ही हुआ। इस मामले में खाकी की इज्जत तक नीलाम हो गई। दो पुलिस अधिकारी, एक टीआई और एक एएसआई, को सजा के तौर पर डिमोट किया गया। टीआई को एसआई बना दिया गया और एएसआई को कांस्टेबल। वहीं, एक सिपाही पहले ही बर्खास्त हो चुका था। इस पूरे मामले में पुलिस की कार्रवाई भी सवालों के घेरे में आ गई है।

महिला ने दिया व्यापारी के खिलाफ आवेदन

इस मामले की सबसे पहली कड़ी वह महिला है, जिसने अनूप नगर में रहने वाले व्यापारी पर कई गंभीर आरोप लगाए थे। वह सिपाही गोविंद से मिली और व्यापारी के खिलाफ एक आवेदन तैयार किया।

इस आवेदन पर कार्रवाई के लिए वह थाने पहुंची थी। मामले में जब शिकायत हुई और मामला वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंचा तो तत्कालीन एसीपी भूपेंद्र सिंह ने जांच की, जिसमें यह शिकायत फर्जी पाई गई थी।

सिपाही गोविंद की भूमिका

एमआईजी थाने के सिपाही गोविंद द्विवेदी (इंदौर पुलिस) को जांच में दोषी पाए जाने के बाद बर्खास्त कर दिया गया। पूरे मामले में पुलिस की एंट्री शुरुआत उससे ही होती है।

मार्च 2022 की 3 तारीख को वह एक महिला का आवेदन लेकर थाने पहुंचा था। यह आवेदन उसने ही तैयार कराया था। इस आवेदन को उसने ड्यूटी पर मौजूद प्रधान आरक्षक संजय चौहान को दिया और दोनों के बीच कुछ बातचीत हुई।

इसके बाद सिपाही ने आवेदन को एएसआई धीरज शर्मा को मार्क कर देने की बात चौहान से कही और यह भी कहा कि टीआई से बात हो गई है।

टीआई और एएसआई ने ये किया

एएसआई शर्मा के पास जब महिला का आवेदन पहुंचा तो उसने इस संबंध में टीआई अजय वर्मा से बातचीत की। दोनों के बीच चर्चा के बाद उस व्यापारी को थाने बुलाया गया, जिसके खिलाफ महिला ने आरोप लगाते हुए आवेदन दिया था।

टीआई और एएसआई ने बिना कानूनी कार्रवाई करते हुए सीधे कारोबारी को थाने बुलवाया तो वह घबराया हुआ तत्काल वहां पर पहुंच गया। उसे धमकाया कि महिला दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज करा देगी तो तुम फंस जाओगे।

व्यापारी, जिससे की गई वसूली

सामान्यत: देखा गया है कि कोई आमजन को पुलिस के नाम से ही डर लगने लगता है। ऐसे में व्यापारी के साथ भी यही हुआ। जब थाने में उसे बुलाकर टीआई और एएसआई ने धमकाया तो वह घबरा गया।

जब उससे कहा गया कि यदि यहीं लेन-देन हो गया तो महिला राजीनामा कर लेगी। डरकर व्यापारी ने रुपए दे दिए। इसके बाद उसके खिलाफ न तो जांच की गई और न ही केस दर्ज किया गया।

शिकायत मिली तो हुई जांच

पूरा मामला गुपचुप तरीके से चल रहा था और व्यापारी को डरा-धमकाकर करीब 65 लाख रुपए की वसूली भी कर ली गई। इसी बीच किसी तरह अधिकारियों तक शिकायत पहुंच गई और यह मामला उनके संज्ञान में आने के बाद तत्कालीन एसीपी भूपेंद्र सिंह ने जांच की।

इसमें महिला की फर्जी शिकायत, टीआई, एएसआई और सिपाही की भूमिका पाई गई। जांच में टीआई, एएसआई व सिपाही की कॉल डिटेल भी महिला के फोन से मिली है। इस जांच के बाद टीआई अजय वर्मा को डिमोट कर दो साल के लिए सब इंस्पेक्टर और एएसआई धीरज शर्मा को पांच साल के लिए सिपाही बना दिया गया है। इस केस में पहले ही एक सिपाही गोविंद द्विवेदी को बर्खास्त किया जा चुका है।

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प्रमोट होकर टीआई बने थे वर्मा

अजय वर्मा फरवरी 1994 को सब इंस्पेक्टर बने थे। 2021 में प्रमोट होकर टीआई बने।वर्मा सब इंस्पेक्टर से भर्ती हुए थे और अब दो साल बाद उसी पद से रिटायर्ड होंगे, जबकि डीएसपी बन सकते थे।

महिला पहले भी कर चुकी थी वसूली

व्यापारी के एक परिचित दलाल ने महिला से उनका परिचय कराया था। वे महिला को घुमाने के लिए फ्लाइट से बेंगलुरु ले गए। इसके बाद महिला ने कारोबारी को धमकाकर (एमपी में हनीट्रैप) फ्लैट, फर्नीचर, घरेलू सामान लिया और बुटिक खुलवा लिया। व्यापारी ने तब भी उसे 30 लाख रुपए से ज्यादा दिए।

जांच में टीआई पर नहीं लगा वसूली का आरोप

विभागीय जांच को अगर देखा जाए तो टीआई वर्मा पर वसूली का आरोप नहीं लगा है। उन पर तीन आरोप लगाए गए हैं, जिसमें जांच नस्तीबद्ध करने की दक्षता में कमी, थाने के अधीनस्थों पर नियंत्रण का अभाव और थाने के अधीनस्थों द्वारा उनके कर्तव्यों के उचित रूप से पालन करने के उत्तरदायी की भूमिका कमजोरी, लेकिन वसूली का आरोप नहीं लगा है। अवैध वसूली का आरोप सिपाही गोविंद और एएसआई धीरज शर्मा पर लगा है।

अजय वर्मा ने कहा - मुझ पर भ्रष्टाचार के आरोप नहीं हैं, लाखों रुपये के लेन-देन की बात फर्जी

अजय वर्मा नेल बातचीत के दौरान कहा कि मुझ पर भ्रष्टाचार के आरोप नहीं हैं। कमिश्नर साहब न्यायप्रिय अधिकारी हैं जिनके आदेश का मैं सम्मान करता हूं। आदेश जो भी कमियां हैं उसके संबंध में श्रीमान पुलिस महानिदेशक को मैं अपील कर रहा हूं। मुझे अपने विभाग से एवं न्याय प्रणाली से न्याय मिलने का पूरा विश्वास है।

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