अंतर्राष्ट्रीय बाघ तस्कर तासी शेरपा का नेपाल, भूटान और चीन तक फैला है नेटवर्क 5 साल की सजा

मध्यप्रदेश में अंतर्राष्ट्रीय बाघ तस्कर तासी शेरपा को 5 साल की सजा सुनाई गई है। 9 साल की लंबी जांच के बाद नर्मदापुरम ट्रॉयल कोर्ट ने 9 मई 2025 को 5 साल के कठोर कारावास और एक लाख रुपये का जुर्माना सुनाया। 

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Jitendra Shrivastava
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मध्यप्रदेश में बाघों के अवैध शिकार और उनकी हड्डियों की तस्करी के खिलाफ एक ऐतिहासिक कार्रवाई की गई है। तासी शेरपा, एक अंतर्राष्ट्रीय बाघ तस्कर, को 9 साल की लंबी जांच के बाद नर्मदापुरम ट्रॉयल कोर्ट ने 9 मई 2025 को 5 साल के कठोर कारावास और एक लाख रुपये का जुर्माना सुनाया। तासी शेरपा को 25 जनवरी 2024 को सिलीगुड़ी, पश्चिम बंगाल में गिरफ्तार किया गया था, जो भारतीय सीमा के पास स्थित एक प्रमुख तस्करी के नेटवर्क का हिस्सा था।

यह मामला बाघों की तस्करी और उनकी हड्डियों की अवैध बिक्री का पहला ऐसा मामला है, जिसमें भारत, नेपाल, भूटान और चीन तक फैले एक अंतर्राष्ट्रीय तस्करी गिरोह का पर्दाफाश किया गया है। मध्यप्रदेश के स्टेट टाइगर फोर्स (STF) की इस सफलता से बाघों के संरक्षण में एक बड़ी जीत मानी जा रही है।

ऐसे हुई थी तासी शेरपा की गिरफ्तारी 

तासी शेरपा को सतपुड़ा टाइगर रिजर्व, नर्मदापुरम में 2015 में बाघ के अवैध शिकार और चीन में हड्डियों की तस्करी के मामले में गिरफ्तार किया गया था। इस गिरोह का पता स्टेट टाइगर फोर्स (STF) ने अपनी कठोर जांच के बाद लगाया था। जांच के दौरान, STF ने एक संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया और 30 आरोपियों को गिरफ्तार किया, जिनमें शिकारियों, कुरियर, बिचौलियों और तस्करों का एक पूरा नेटवर्क था।
इस मामले में तासी शेरपा का नाम मुख्य आरोपी के तौर पर सामने आया था, जो इस अंतर्राष्ट्रीय तस्करी गिरोह का महत्वपूर्ण हिस्सा था। शेरपा के खिलाफ जांच के दौरान, STF ने ब्रेन मेपिंग और नार्को एनालिसिस करवाया, जिससे उसके खिलाफ महत्वपूर्ण सबूत मिले। इसके अलावा, साइबर डेटा भी एकत्र किया गया, जो न्यायालय में साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया गया।

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अंतर्राष्ट्रीय तस्करी नेटवर्क का पर्दाफाश 

तासी शेरपा और उसके गिरोह का नेटवर्क नेपाल, भूटान और चीन तक फैला हुआ था। तासी शेरपा मूल रूप से तिब्बत का निवासी है और उसने भारतीय बाघों की तस्करी के लिए एक बड़े अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क की स्थापना की थी। शेरपा का गिरोह बाघों के शिकार के बाद उनकी हड्डियों की तस्करी करता था, जिनका इस्तेमाल अवैध रूप से चीन में किया जाता था।

इस पूरे गिरोह के खुलासे में इंटरपोल, वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने सहयोग किया। तासी शेरपा की गिरफ्तारी ने इस अंतर्राष्ट्रीय तस्करी नेटवर्क को पूरी तरह से खत्म करने में मदद की है।

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तासी शेरपा की सजा के साथ लगाया जुर्माना 

नर्मदापुरम की मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी अदालत ने तासी शेरपा को 5 साल की कठोर सजा और ₹1 लाख जुर्माना लगाया। इस मामले का महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह देश का पहला मामला है, जिसमें शिकारियों, कुरियर, बिचौलियों और तस्करों सहित 28 व्यक्तियों के पूरे गिरोह को गिरफ्तार कर दोषी ठहराया गया।

इस कार्रवाई में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी, नर्मदापुरम की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही, जिन्होंने मामले को सख्ती से ट्रैक किया और अपराधियों को सजा दिलवाने में मदद की। इस ऐतिहासिक फैसले ने बाघों की तस्करी पर कड़ा प्रहार किया है और इसे संरक्षण में एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है।

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तासी शेरपा की जमानत याचिका की खारिज

तासी शेरपा की जमानत याचिका को पहले मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय, जबलपुर ने खारिज कर दिया था। इसके बाद उसने सर्वोच्च न्यायालय में जमानत की याचिका दायर की थी, जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने भी खारिज कर दिया। अदालत ने ट्रॉयल कोर्ट को आदेश दिया था कि तासी शेरपा के मामले का एक साल के भीतर फैसला किया जाए। इस आदेश के बाद, तासी शेरपा को दोषी ठहराया गया और उसे सजा सुनाई गई।

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बाघों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए अहम कदम 

मध्यप्रदेश में बाघों के संरक्षण के लिए की गई यह ऐतिहासिक कार्रवाई एक महत्वपूर्ण कदम है। स्टेट टाइगर फोर्स ने यह साबित कर दिया कि राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर बाघों के शिकार और उनकी तस्करी के खिलाफ सरकार की नीतियां प्रभावी ढंग से लागू की जा सकती हैं।

इस मामले में शामिल 28 आरोपियों की गिरफ्तारी और तासी शेरपा की सजा से यह भी सिद्ध हुआ है कि बाघों के संरक्षण के लिए पूरे देश में एक संगठित प्रयास की आवश्यकता है। भविष्य में ऐसे गिरोहों के खिलाफ और कड़े कदम उठाए जा सकते हैं, ताकि बाघों की संख्या बढ़ाई जा सके और उनके जीवन की रक्षा की जा सके।

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