BHOPAL. मध्यप्रदेश सरकार प्रदेश के हर जिले में मेडिकल कॉलेज खोलने के इंतजाम कर रही है। सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों सहित करीब 32 जिलों को ये सौगात मिल चुकी है। अब सरकार 12 और जिलों में पीपीपी मोड पर मेडिकल कॉलेज खोलना चाहती है। इसके लिए 9 माह में इसके लिए 6 बार टेंडर जारी किए जा चुके हैं। इसमें एक भी निवेशक ने छह जिलों में तो पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप यानी पीपीपी मोड पर मेडिकल कॉलेज खोलने में दिलचस्पी नहीं दिखाई है। वहीं जिन छह जिलों के लिए टेंडर आए हैं उनमें भी कमियां मिली हैं। अब स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग सातवी बार नए सिरे से टेंडर जारी करने जा रही है।
पीपीपी मोड पर खुलेंगे 12 मेडिकल कॉलेज
मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को उच्च स्तर की बनाने के लिए सरकार लगातार काम कर रही है। प्रदेश में नए अस्पताल भवन और आधुनिक उपकरण जुटाने के साथ ही लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग को नए मेडिकल कॉलेज तैयार कराने का जिम्मा सौंपा गया है। मध्यप्रदेश में अब तक 36 मेडिकल कॉलेज खुल चुके हैं। सरकार अब 12 जिलों में और मेडिकल कॉलेज खोलने की प्लानिंग पर काम कर रही है। ये मेडिकल कॉलेज पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मोड पर खोले जाने हैं। इसके लिए प्रदेश के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा टीकमगढ़, बालाघाट, सीधी, भिंड, देवास, मुरैना, कटनी, धार, बैतूल, पन्ना, गुना और खरगोन जिलों को चिन्हित कर चुकी है।
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6 जिलों में निवेशकों को नहीं दिलचस्पी
सरकार के निर्देश पर 9 माह पहले अगस्त 2024 में पहली बार पीपीपी मोड पर मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए निवेशकों से टेंडर बुलाए गए थे। तब से अब तक छह बार टेंडर प्रक्रिया की जा चुकी है लेकिन निवेशक इन जिलों में मेडिकल कॉलेज खोलने आगे नहीं आ रहे हैं। अब तक हुई टेंडर प्रक्रिया के दौरान टीकमगढ़, बालाघाट, सीधी, भिंड, देवास और मुरैना जिलों के लिए तो एक भी निवेशक ने दिलचस्पी नहीं दिखाई है। वहीं शेष छह जिले कटनी, धार, बैतूल, पन्ना, गुना और खरगोन के लिए 10 टेंडर आए हैं। इनमें से कटनी के लिए तीन, धार और बैतूल के लिए दो_दो, पन्ना, गुना और खरगोन जिलों के लिए एक_एक निवेशक ने रुचि दिखाई है।
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निवेशकों को लुभाने बदलीं टेंडर की शर्तें
छह बार टेंडर बुलाने के बावजूद पीपीपी मोड पर मेडिकल कॉलेज खोलने में निवेशकों की अरुचि का पता लगाया जा रहा है। वहीं टेंडर की तारीखों को भी छह बार बढ़ाया जा चुका है। प्रक्रिया के दौरान जिन छह जिलों के लिए निवेशकों ने टेंडर डाले थे उनमें कई कमियां पाई गई थीं। इस वजह से उन्हें भी निरस्त करना पड़ा था। अब सातवीं बार तारीख बढ़ाकर टेंडर बुलाने की तैयारी कर ली गई है। सरकार ने निवेशकों की अरुचि को दूर करने के लिए टेंडर की कई शर्तों में भी बदलाव किया है।